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उत्तरी हवा और बच्चा डायमंड की कहानी | miraculous north wind and baby diamond

miraculous north wind and baby diamond


एक था डायमंड । वह अपने माता - पिता के साथ अस्तबल के ऊपर बने छोटे - से घर में रहता था । एक रात डायमंड गहरी नींद में सोया हुआ था । अचानक तेज , शीतल हवा के झोंके से उसकी नींद खुल गई । उसने सुना , कोई उसका नाम लेकर पुकार रहा है- " 

डायमंड ! डायमंड ! उठो ! " “ कौन ? " - डायमंड ने आंखें मलते हुए पूछा । – “ मैं हूँ उत्तरी हवा । ” “ उत्तरी हवा ! " - डायमंड ने आश्चर्य से पूछा । - " हाँ , क्या तुम मेरे साथ घूमने चलोगे ? ” " जरूर ! पर मेरे गरम कपड़े तो माँ के कमरे में हैं । " “ उनकी जरूरत नहीं । तुम्हें ठंड नहीं लगेगी । मैं सारा इंतजाम कर दूँगी । " - 

आवाज आई । " तो ठीक है , उत्तरी हवा ! तुम बहुत भली हो । ” " तो फिर चलो मेरे साथ । " उत्तरी हवा ने कहा । डायमंड बिस्तर के बाहर निकल आया और उत्तरी हवा के साथ चल पड़ा -एक अनजान यात्रा पर उत्तरी हवा की पीठ पर सवार डायमंड उड़ने लगा । तभी अपने पिता के मालिक कोलमैन का घर नजर आया । उत्तरी हवा की पीठ से उतरकर वह उस तरफ बढ़ा । डायमंड ने खिड़की से देखा । घर के सब लोग गहरी नींद में हैं ।

तभी कोई आवाज सुनकर उसने पीछे देखा । उत्तरी हवा न जाने कहाँ गायब हो गई थी । डायमंड घबराकर रोने लगा । उसकी आवाज सुन कोलमैन की बेटी बाहर आई । उसने डायमंड को पहचान लिया । उसने सोचा ' डायमंड को शायद नींद में चलने की आदत है । " 

इसलिए वह उसे उसके घर छोड़ आई । इसके कुछ दिनों बाद की घटना है । डायमंड एक रात अपने बिस्तर पर लेटा था । उसे नींद नहीं आ रही थी । उसने सुना " डायमंड , खिड़की खोलो । मैं उत्तरी हवा हूँ । " " तुम फिर आ गई ! " -डायमंड बोल उठा । " हाँ , चलोगे मेरे साथ ? " डायमंड पुलक उठा । बोला- " जरूर चलो । " 

उत्तरी हवा ने एक सुंदर लड़की का रूप धर लिया था । डायमंड उसके साथ चल दिया । उत्तरी हवा ने डायमंड को बताया कि वह लंदन जा रही है । उसे सारा शहर साफ करना है । फिर उसने कहा- " डायमंड , तुम मेरा हाथ थामे रहना । " 

थोड़ी देर बाद वे लंदन शहर के ऊपर थे । डायमंड के कानों में सांय - सांय की तेज आवाजें गूंजने लगीं । उसने उत्तरी हवा से पूछा- ' कैसी आवाजें हैं ? " " ये हम थोड़े  तेज - तेज कुचरी लगा रही हूँ । यह ठीक उसकी ध्वनि है । लंदन जितना बड़ा देश है , हमने कभी सोची भी नहीं थी । " 

सहसा डायमंड की दृष्टि सड़क पर खड़ी एक लड़की पर पड़ी । तेज हवा के कारण वह परेशान थी । डायमंड का मन पिघल गया । वह उत्तरी हवा से उसकी सहायता करने का अनुरोध करने लगा ।

तुम बहुत दयालु हो डायमंड । यह अच्छा गुण है , पर मुझे अभी बहुत काम करना है । मैं तुम्हें यहीं छोड़ देती हूँ । तुम उस लड़की की सहायता करो । " अगले क्षण वह लड़की डायमंड को देखकर चौंक उठी । क्योंकि वह एकाएक प्रकट हो गया था । 

उसने डायमंड से उसका परिचय पूछा । डायमंड ने उसे अपने बारे में बता दिया । फिर उत्तरी हवा की कहानी सुनाई । लड़की को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ । वह बोली " भला ऐसा भी कहीं होता है । अब हवा कम हो गई है । मैं अपने घर जाऊँगी । तुम भी अपने घर जाओ । ” 

सुबह हुई , तो वे चल पड़े । चलते - चलते एक मकान के पिछवाड़े पहुँचे । डायमंड ने दरवाजे को धक्का दिया , तो वह खुल गया । सामने एक बाग था । लेकिन यह क्या ! यह तो उसके अपने घर का बगीचा था । डायमंड अचानक अपने घर पहुँच गया था । उसने लड़की से भीतर आने को कहा , पर उसने इनकार कर दिया और वहाँ से चली गई । 

इसके बाद कई दिन बीत गए । एक शाम डायमंड एक बाग में घूमने गया । वह बाग के सुंदर फूलों को देख रहा था । तभी एक फूल से एक बौरा उड़कर हवा में विलीन हो गया । “ ओह , मैंने तो सोचा था कि यह भौरा रात भर फूल पर ही बैठा रहेगा " -किसी ने बारीक आवाज में कहा । डायमंड चौंक पड़ा । वहाँ कोई न था । ' तब वह किसकी आवाज थी ? ' उसने सोचा । फिर पूछ बैठा- " तुम कौन हो ? क्या कोई परी हो ? " " नहीं , मैं परी नहीं हूँ । देखो , मैं इस फूल पर हूँ । " 

डायमंड ने यह आवाज सुनी और उस दिशा में देखने लगा । उसे एक फूल पर एक नन्ही - सी तितली नजर आई । तभी उस तितली ने पंख फड़फड़ाकर कहा- " डायमंड , तुमने मुझे पहचाना नहीं । मैं हूँ उत्तरी हवा । अच्छा , अब मैं जाऊँगी । आज रात मुझे एक जहाज डुबोना है । " - " 

यह तो बुरा काम है । तुम तो दयालु हो । फिर जहाज क्यों डुबाओगी ? " " तुम नहीं समझ पाओगे । चाहे , तो चलो मेरे साथ ! " - उत्तरी हवा ने कहा । अगले पल उत्तरी हवा ने नन्हीं तितली का रूप त्यागकर एक सुंदर युवती का रूप धर लिया । उसने डायमंड को गोद में उठा लिया और उड़ चली । 

सहसा उत्तरी हवा की रफ्तार बढ़ गई । गाँव , नगर एक - एक कर नीचे से गुजरते जा रहे थे । थोड़ी ही देर में वे समुद्र तट पर पहुँच गए । तट के पास ही एक गिरजाघर था । उत्तरी हवा ने कहा- “ डायमंड , अब मैं जहाज डुबोने जाऊँगी । तब तक तुम इसी गिरजाघर में आराम करो । " 

उसने डायमंड को एक बड़ी - सी खिड़की की राह गिरजाघर के भीतर उतार दिया । डायमंड थक गया था । शीघ्र ही उसे नींद आ गई । पर कुछ लोगों की बातों की आवाज से वह जाग गया । उसने देखा , गिरजाघर की खिड़की के पास खड़े तीन संत आपस में उसी के बारे में बातें कर रहे थे । 

उसने सुना , वे कह रहे थे - ' हो न हो , यह उत्तरी हवा की करामात है । वही इस बच्चे को यहाँ लाकर छोड़ गई है । ' डायमंड चाहता था कि वह संतों से उत्तरी हवा के बारे में बात करे । लेकिन एकाएक उसने स्वयं को अंधकार में पाया । यहाँ न गिरजाघर था , न संत ! वह पूईरा पर लेटा था । अभी सुबह नहीं हुई थी ।

कुछ दिनों बाद डायमंड अपने माता - पिता के साथ सैंडविच नामक एक बंदरगाह पर गया । वहाँ उसकी मौसी रहा करती थी । रात हुई । डायमंड बिस्तर पर लेटा था । पर उसे नींद नहीं आ रही थी । सहसा उसने उत्तरी हवा की आहट सुनी । वह झट उठ बैठा । कुछ पलों में उसके सामने उत्तरी हवा थी । 

एक बार फिर डायमंड हवा की पीठ पर सवार था । इस बार उत्तरी हवा उसे बहुत दूर ले गई । डायमंड ने नीचे नजर डाली । वे लोग समुद्र पर उड़ रहे थे । समुद्र में एक नौका चली जा रही थी । उत्तरी हवा ने भी उसे देखा । उसने डायमंड से कहा- " देखो , मैं तुम्हें उस नाव के पाल पर लिटा दूँगी । तुम डरना मत । " और उसने डायमंड को नाव के बड़े - बड़े पालों के बीच लिटा दिया । 

डायमंड को लगा , जैसे वह किसी झूले में लेटा है । चारों तरफ लहरों का शोर हो रहा था । उत्तरी हवा तेजी से नाव को ढकेल रही थी । कितने घंटे बीत गए , डायमंड को पता नहीं चला । वह सो गया था । अचानक बरफीली हवा के झोंके से उसकी नींद खुल गई । उसने देखा , दूर एक बड़ा - सा जहाज चला जा रहा है । 

तभी उत्तरी हवा ने उससे कहा- “ देखो , वह जहाज उत्तरी ध्रुव जा रहा है । अब हम लोग उस जहाज पर यात्रा करेंगे । " और हवा ने उसे गोद में उठाकर उस विशाल जहाज पर पहुँचा दिया । डायमंड ने देखा , जहाज के आसपास बर्फ की चट्टानें तैर रही हैं । उत्तरी हवा ने डायमंड को फिर गोद में उठाया और उस विशाल चट्टान में बनी एक गुफा में पहुँचा दिया । डायमंड घबरा गया । तभी उत्तरी हवा ने कहा- " मैं जा रही हूँ , पर मैं जल्दी ही लौटूंगी । तुम डरना मत । "

कुछ समय बाद जब उत्तरी हवा लौटी , तो डायमंड उसका चेहरा देखकर घबरा गया । उसने उत्तरी हवा से पूछा- " तुम बीमार तो नहीं हो , उत्तरी हवा ? " - " नहीं , मैं किसी के बुलावे का इंतजार कर रही हूँ । " - " उत्तरी हवा , ठीक है तुम इंतजार करो , तब तक मैं तुम्हारी पीठ के पीछे स्थित प्रदेश को देखना चाहता हूँ । " - " 

बड़ी आसानी से । तुम मेरे बीच से गुजर जाओ । " - " पर तुम्हारे बीच से गुजरूँगा कैसे ? " -डायमंड ने पूछा । " जैसे किसी दरवाजे से गुजरते हो । पर सावधान रहना । कहीं चोट न लग जाए । " -उत्तरी हवा ने उसे चेतावनी दी । डायमंड उत्तरी हवा के बीच से गुजरने लगा । चलते - चलते वह बेहोश हो गया । और जब आँख खुली , तो उसने स्वयं को उत्तरी हवा की पीठ के पीछे वाले क्षेत्र में पाया । 

इस प्रदेश में डायमंड कई दिनों तक रहा । उसने विचित्र दृश्य देखा । जब वह अपने माता - पिता को देखना चाहता था , तो एक खास तरह के पेड़ पर चढ़ जाता । वहाँ से वह अपने माता - पिता को आसानी से देख सकता था । न जाने क्या जादू था । एक दिन वह पेड़ पर बैठा था । अचानक उसे उत्तरी हवा की याद आई । वह पेड़ से नीचे उतर आया । पर यह क्या । पल भर में वह सारा प्रदेश लुप्त हो गया । 

उसकी जगह डायमंड को उत्तरी हवा नजर आई । उसका चेहरा बर्फ की तरह सफेद था । उसने डायमंड के बाल सहलाए । फिर कहा- “ डायमंड , मुझे बहुत सारे काम करने हैं । हम लोग कुछ ही देर में यहाँ से चल देंगे । " डायमंड आगे बढ़ा । इसी बीच उत्तरी हवा गायब हो गई और उसकी जगह एक मकड़ी नजर आई । वह तेजी से बड़ी होती गई ।

डायमंड उसके पीछे दौड़ा , तो वह बिल्ली बन गई । डायमंड बिल्ली के पीछे दौड़ा , तो वह चीता बन गई । अगले पल वह चीता बर्फ के पहाड़ों पर उड़ने लगा । फिर नजरों से ओझल हो गया । डायमंड आश्चर्य से देखता रह गया । " 

क्यों , मजा आया ? " किसीकी पीछे से ध्वनि सुनाई दी। डायमंड ने पीछे घूमकर देखा तो उसके पीछुआरे एक खूब सूंदर कन्या के रूप में उत्तरी हवा खड़ी मिली । उसने प्यार से डायमंड को गोद में उठाया और दक्षिण दिशा की ओर उड़ चली । धीरे - धीरे डायमंड को नींद आ गई । जब नींद खुली तो उसने अपनी माँ को देखा । वह उस पर झुकी हुई थी । 

उसने आँखें खोलीं , तो वह फूट - फूटकर रो पड़ी । उसने पूछा " माँ , तुम रो क्यों रही हो ? " - " बेटा तुम कितने बीमार थे । ” - " माँ , मैं तो उत्तरी हवा के साथ घूमने गया था । " " बेटा , तुम तो बेहोश थे । " -माँ ने कहा । तभी डाक्टर आ गया । डाक्टर ने डायमंड की माँ को अलग ले जाकर कहा- " अब वह ठीक हो रहा है । ” 

माँ ने बोली लेकिन वह न जाने किन देश की यात्रा के बारे में बात कर रहा था । " डाक्टर जी ने कहा - " चिंता करने की कोई बात नहीं है। थोड़े ही दिनों में वह सही तरह स्वस्थ हो गया । फिर वह माता - पिता और छोटे भाई के साथ लंदन गया । यात्रा के दौरान उसे अक्सर उत्तरी हवा की याद आती । रात में कभी - कभी उत्तरी हवा उसके पास चली आती । पर यह बात कोई दूसरा न जान पाता ।