सूर्य उपासना एक पूजा विधि होती है, जिसमें सूर्य को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आराधा जाता है। सूर्य उपासना धार्मिक एवं आध्यात्मिक आयामों से सम्बंधित होती है। इस उपासना में, व्यक्ति सूर्य देवता को पूजता है और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करता है।
इसके अलावा, सूर्य उपासना तांत्रिक, योगिक और ज्योतिष आयामों से भी सम्बंधित हो सकती है। यह उपासना विभिन्न तरीकों से की जा सकती है, जिसमें से कुछ तरीके शामिल हैं - सूर्य नमस्कार, सूर्य ध्यान, सूर्य मंत्र जप, सूर्य अर्घ्य देना और सूर्य की आरती करना।
सूर्य उपासना के माध्यम से, व्यक्ति अपने शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है, उनके समस्त दोषों से मुक्त होता है और उन्हें आरोग्य, धन, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। सूर्य उपासना से व्यक्ति का मन शांत होता है और उसका सम्बंध प्रकृति के साथ मजबूत होता है।
लोक आस्था के महान पर्व छठ पूजा के अवसर पर सूर्य की उपासना करने वालों को धन, यश, यश और संतान की प्राप्ति होती है. छठ पूजा की परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है। आज के युग में जहां आधुनिकता का प्रभाव सभी तीज-त्योहारों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, वहीं छठ पूजा आज भी पारंपरिक तरीके से पूर्ण आस्था और आध्यात्मिकता के माहौल में की जाती है।
इस तरह पहले बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग छठ पूजा करते थे। समय बीतने के साथ यह त्योहार दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत देश के ज्यादातर बड़े शहरों में मनाया जा रहा है। छठ पूजा में पहले दिन डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और दूसरे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि सूर्यदेव और छठ मैया भाई-बहन हैं, यह व्रत हर तरह से भक्ति के साथ किया जाता है।
फलदायी है। वहीं सूर्य की उपासना से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। इस पूजा में 24 घंटे उपवास रखकर किसी जलाशय या तालाब या नदी तट पर सूर्य की पूजा की जाती है। विभिन्न प्रकार के सूखे मेवे और मिठाइयों के साथ गाय के दूध या पवित्र जल के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह अलग बात है कि लोक आस्था के इस महान पर्व के दौरान फल-फूल और छठ पूजा की वस्तुएं बेचने वाले लोग भक्तों से मनमाना दाम वसूलते हैं।
एक के बाद एक फल बाजार में तेजी आई है। व्यापारी वर्ग पूजा के लिए जरूरी सामान का मनमाना दाम वसूल करता है और लोग खुशी-खुशी छठ मैया के नाम पर दे देते हैं।
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छठ पूजा के प्रमुख मान्?य नियम
- मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद चढ़ाया जाता है।
-प्रसाद बांस की टोकरियों में रखे जाते हैं
पूजा करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज नई होती है
व्रत रखने वाले बिना लहसुन और प्याज के खाना खाते हैं।
खरना की रात को भक्त खीर-रोटी और केले से पूजा करते हैं और प्रसाद लेते हैं।
पूरे व्रत में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है.
छठ पूजा में पंडित जी की कोई भूमिका नहीं है।
एक बार पूजा शुरू हो जाने के बाद हर साल व्रत करके इसे संपन्न किया जाता है।
छठ पूजा मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए एक महान पर्व है।
रतसर : सूर्य की उपासना अनादि काल से प्रचलित है। सूर्य दृश्य देवता हैं, अन्य सभी देवता अपनी-अपनी दुनिया में रहते हैं। लेकिन हमारा सूर्य देव से प्रतिदिन सामना होता है। अध्यात्मवादी आचार्य पं. भरत पांडेय
बताया कि इस पर्व पर सुलभ देव के सूक्ष्म दिव्य आध्यात्मिक स्वरूप को जानने से ही हमारा पूर्ण कल्याण संभव है। सूर्य षष्ठी व्रत, जो सूर्यापासना से जुड़े कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के छठे दिन पड़ता है, छठ या छठ के रूप में मनाया जाता है।
पूर्वांचल, बिहार और देश के अन्य हिस्सों में पूजा का नाम लोकप्रिय है। इस वर्ष 6 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 7 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर उत्सव का समापन होगा।
सूर्य अर्घ्य दान मंत्र
बांस के सूप में विभिन्न प्रकार के फल, ईख आदि से 'ओम ऐ ही सूर्य सहत्रों तेजो राशी जगपते, अनुकंपा मां भक्त गृहवर्गीय दिवाकर'। षष्ठी विद्या सप्तमी में रात्रि जागरण के बाद अरूणोदय के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ना चाहिए। आचार्य भरत पाण्डेय का कहना है कि उगते सूर्य को सभी प्रणाम करते हैं, इसके विपरीत संध्याकाल से किसी भी उत्सव की रस्मों की शुरुआत में कुछ विशेष अर्थ होता है। तप, दृढ़ संकल्प, उपवास और भक्ति से दैवीय शक्तियों का आह्वान किया जाता है। छठ पूजा का संदेश शक्ति की अद्वितीयता की पूजा करने का संकल्प है।
सूर्य उपासना मंत्र (surya upaasana mantr)
यहां एक सूर्य उपासना मंत्र दिया गया है:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
यह मंत्र सूर्य देवता की पूजा और उपासना के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से सूर्य देवता के आशीर्वाद से मन, शरीर, और आत्मा के सभी क्षेत्रों में ऊर्जा और प्रकाश का विस्तार होता है।
यह मंत्र सुबह सूर्योदय के समय जपा जाता है ताकि सूर्य देवता के उदय के साथ आपके जीवन में भी नयी ऊर्जा का आगमन हो। इस मंत्र को रोज जपने से आपको अधिक ऊर्जा, धैर्य और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति हो सकती है।
सूर्य उपासना के फायदे (surya upaasana ke phaayade)
सूर्य उपासना के कुछ महत्वपूर्ण फायदे निम्नलिखित हैं:
शारीरिक लाभ: सूर्य उपासना करने से हमारे शरीर के कुछ भागों का उपयोग करने की क्षमता बढ़ती है। सूर्य उपासना से ऊर्जा और प्रकाश का विस्तार होता है जो हमारे शरीर में स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक होता है।
मानसिक लाभ: सूर्य उपासना करने से हमारा मन शांत होता है और अधिक ऊर्जा और ताकत के साथ हम अपने जीवन के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार रहते हैं। सूर्य उपासना में ध्यान केंद्रित करने से व्यक्ति का मन शांत होता है और उसे चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
स्वस्थ जीवन: सूर्य उपासना से आपको स्वस्थ जीवन की प्राप्ति हो सकती है। यह आपके शरीर के लिए लाभदायक होता है और व्यक्ति को भी शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है।
आत्मिक विकास: सूर्य उपासना से आपके आत्मिक विकास में सुधार होता है। आप अपनी जिंदगी के उद्देश्य को जानते हैं और आप अपने आत्मा के साथ अधिक संवाद कर सकते हैं.
सूर्य के गुप्त उपाय (surya ke gupt upaay)
कुछ सूर्य के गुप्त उपाय निम्नलिखित हैं:
सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योगिक अभ्यास है, जिसे सूर्य की पूजा के रूप में किया जाता है। इस उपाय में, सूर्य को अपना ईश्वर मानकर उसका आभार व्यक्त किया जाता है।
सूर्य मंत्र जप: सूर्य मंत्र जप सूर्य की उपासना का एक और उपाय है। इसमें व्यक्ति सूर्य के मंत्र को जपता हुआ सूर्य की पूजा करता है। सूर्य के इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति का मन शांत होता है और उसे सूर्य के द्वारा ऊर्जा प्राप्त होती है।
सूर्य उपासना मंडल: सूर्य उपासना मंडल उपासक के शांति और ध्यान को बढ़ाने के लिए उपयोगी होता है। इसमें सूर्य के चित्र को मंडल के मध्य में रखा जाता है और उसके आस-पास संबंधित मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
सूर्य यंत्र: सूर्य यंत्र उपासक को सूर्य की शक्ति से जुड़ा हुआ महसूस करने में मदद करता है।
सूर्य का सबसे प्रभावशाली मंत्र (surya ka sabase prabhaavashaalee mantr)
सूर्य का सबसे प्रभावशाली मंत्र है "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"।
इस मंत्र का उच्चारण करने से सूर्य देवता की कृपा प्राप्त होती है और उसकी आशीषों से समस्त नगरीयों, गांवों, खेतों और उनके निवासियों को सुख, समृद्धि और सम्मान प्राप्त होता है। इस मंत्र के उच्चारण से सूर्य की आन्तरिक ऊर्जा जागृत होती है और व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
सूर्य कवच के फायदे (surya kavach ke phaayade)
सूर्य कवच एक प्राचीन तंत्र है जो सूर्य देवता की उपासना के लिए बनाया गया है। यह एक प्रकार की मंत्र जाप प्रणाली है जो सूर्य देवता के स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और शक्ति के लिए उपयोगी होता है। कुछ महत्वपूर्ण सूर्य कवच के फायदे निम्नलिखित हैं:
सूर्य कवच के जाप से व्यक्ति के मन में शांति और सकारात्मकता का भाव उत्पन्न होता है।
सूर्य कवच जाप से व्यक्ति की सेहत में सुधार होता है। इसके अलावा, इससे सूर्य देवता की कृपा मिलती है जो उनकी बीमारियों का उपचार करती है।
सूर्य कवच के जाप से व्यक्ति को धन, समृद्धि और सफलता मिलती है।
सूर्य कवच जाप से व्यक्ति को नकारात्मकता से बचाया जा सकता है और उन्हें सकारात्मकता और उत्साह का अनुभव होता है।
सूर्य कवच जाप से व्यक्ति को आत्मविश्वास मिलता है जो उन्हें अपने जीवन में अधिक सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
सूर्य की उपासना करने से क्या होता है (soory kee upaasana karane se kya hota hai)
सूर्य की उपासना करने से मानसिक और शारीरिक रूप से कई लाभ होते हैं।
मानसिक लाभों में शामिल हैं:
सूर्य की उपासना से ध्यान केंद्रित होता है जिससे मन शांत होता है।
सूर्य की उपासना करने से दिमाग में सकारात्मक सोच आती है जो स्वास्थ्य और खुशी का स्रोत है।
सूर्य की उपासना करने से मन की तनाव मुक्त होती है और अधिक उत्साह आता है।
सूर्य की उपासना करने से मन की शक्ति बढ़ती है जो लम्बे समय तक बनाए रखने में मदद करती है।
शारीरिक लाभों में शामिल हैं:
सूर्य की उपासना से व्यक्ति के शरीर को शुद्ध करने में मदद मिलती है।
सूर्य की उपासना करने से व्यक्ति के शरीर को विटामिन डी का स्रोत मिलता है।
सूर्य की उपासना से व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
सूर्य की उपासना करने से व्यक्ति के शरीर की ऊर्जा बढ़ती है जो उसे दिनभर चलाने में मदद करती है।
इसलिए, सूर्य की उपासना करना मन और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं.
सूर्योपासना क्या होता है (sooryopaasana kya hota hai)
सूर्योपासना एक प्राचीन धार्मिक प्रथा है जो सूर्य देवता की उपासना को दर्शाती है। इस प्रकार की उपासना भारतीय ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में स्थान पाती है और इसे ध्यान और मेधावी बनाने के लिए भी जाना जाता है।
सूर्योपासना के द्वारा हम सूर्य देवता की स्तुति, आराधना और पूजा करते हुए अपने मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि करते हैं। सूर्य एक ऐसा देवता है जो सभी जीवों के लिए जीवनदायक होता है। सूर्य एक प्राकृतिक स्रोत होता है जो हमें ऊर्जा, उजाला और जीवन का संचार प्रदान करता है। सूर्योपासना के द्वारा हम सूर्य देवता को समर्पित होते हुए उनसे ऊर्जा और शक्ति की मांग करते हैं।
सूर्योपासना करने से हमारे शरीर, मन और आत्मा में ऊर्जा का संचार होता है जो हमें स्वस्थ रखता है। इसके अलावा, सूर्योपासना से हमारी चेतना विकसित होती है जो हमें सकारात्मक सोचने की क्षमता प्रदान करती है। यह हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने छमता प्रदान करता है.
उपासना कैसे की जाती है (upaasana kaise kee jaatee hai)
उपासना के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरण होते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ आम चरण जो आप अपनाकर उपासना कर सकते हैं:
ध्यान करना: उपासना की शुरुआत ध्यान करके की जाती है। आप एक शांत और शुद्ध मन से बैठ सकते हैं और सूर्य देवता के बारे में सोच सकते हैं।
समर्पण करना: उपासना के दौरान आपको समर्पण और भक्ति के साथ कार्य करना होगा। आप सूर्य देवता के सामने समर्पण और भक्ति के भाव से उसकी पूजा कर सकते हैं।
मंत्र जप: आप सूर्य देवता के मंत्रों का जाप कर सकते हैं। इससे आपकी उपासना में आनंद आएगा और आप अपने मन को ध्यान में लगा सकते हैं।
पूजा करना: सूर्य देवता की पूजा करने से आप उन्हें समर्पित और उनसे संबंधित विभिन्न वस्तुओं का उपयोग कर सकते हैं। आप उन्हें फूल, धूप, दीपक आदि से प्रसन्न कर सकते हैं।
धारणा करना: उपासना के दौरान आप सूर्य देवता की धारणा कर सकते हैं। धारणा एक प्रकार की मेधावी अभ्यास होता है
सूर्य देवता को प्रसन्न कैसे करें (surya devata ko prasann kaise karen)
सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए आप निम्नलिखित उपायों का उपयोग कर सकते हैं:
सूर्य देवता की पूजा करें: सूर्य देवता को पूजने से आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। आप उनकी मूर्ति के सामने बैठकर उन्हें फूल, धूप, दीपक आदि से पूज सकते हैं।
सूर्य देवता के मंत्र का जाप करें: सूर्य देवता के मंत्र का जाप करने से भी आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। आप उनके मंत्रों को ध्यान से जप कर सकते हैं।
सूर्य देवता की धारणा करें: सूर्य देवता की धारणा करने से भी आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। आप उन्हें अपने मन में धारण कर सकते हैं और उनसे संबंधित उनकी शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं।
सूर्य उपासना करें: सूर्य उपासना करने से भी आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। आप सूर्य को ध्यान में लाएं और उनकी उपासना करें।
शुभ कार्य करें: सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए आप शुभ कार्यों को कर सकते हैं।
सूर्य मजबूत कब होता है (surya majaboot kab hota hai)
सूर्य को जल देने का सबसे सही समय सुबह के सूर्योदय के बाद होता है। सूर्योदय के तुरंत बाद एक घंटे के अंदर सूर्य को जल देना चाहिए। यह हिंदू धर्म में प्रचलित है और इसे सूर्योदय के प्रथम घड़ी में जल देने के नाम से जाना जाता है। इस रीति-रिवाज को अपनाकर मानव अपनी भूलों से मुक्त होते हैं और सूर्य भगवान के आशीर्वाद से समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त करते हैं।
सूर्य को जल देने का सही समय क्या है (surya ko jal dene ka sahee samay kya hai)
सूर्य को जल देने का सही समय हिंदू धर्म में सूर्योदय के समय के बाद होता है। सूर्योदय के बाद कुछ समय तक सूर्य की रोशनी मृदुल होती है और उस समय सूर्य को जल देने से उसका प्रभाव अधिक होता है। सूर्य को जल देने के लिए सूर्योदय के समय के कुछ समय तक इंतजार करना चाहिए।
हालांकि, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य के जल देने के लिए बेहतर समय का चयन कुछ और भी आधारों पर किया जा सकता है, जैसे कि व्यक्ति की जन्मतिथि, राशि और नक्षत्र आदि। इन सभी तत्वों के आधार पर सूर्य के जल देने के लिए विशेष मुहूर्त का चयन किया जा सकता है।
सूर्य को जल देने का मंत्र क्या है (surya ko jal dene ka mantr kya hai)
सूर्य को जल देने के लिए हिंदू धर्म में "जल प्रणाम मंत्र" का उच्चारण किया जाता है। इस मंत्र का उच्चारण करते समय व्यक्ति को सूर्य की ओर से शक्ति और समृद्धि मिलती है।
"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥"
इस मंत्र का अर्थ है, "हम इस जगत को सृष्टि के भूत, वर्तमान और भविष्य को समझने में सक्षम हों। हम सूर्योदय के सूर्य को अत्यधिक चाहते हैं। हम देवताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी बुद्धि का उद्वेग करते हैं, ताकि हमें एक सफल जीवन जीने में मदद मिल सके।"
सूर्य भगवान का मंत्र क्या है (surya bhagavaan ka mantr kya hai)
हिंदू धर्म में सूर्य देवता को श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा जाता है। सूर्य देवता के लिए विभिन्न मंत्र हैं जो भक्त उच्चारण करते हैं। ये मंत्र शास्त्रों में वर्णित हैं और सूर्य की आराधना के लिए उपयोग किए जाते हैं। यहां कुछ सूर्य भगवान के मंत्र हैं:
"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" - Om hraam hreem hraum sah suryaya namah
"ॐ सूर्याय नमः" - Om Suryaya Namah
"आदित्य ह्रुदयं स्तोत्रम्" - Aditya Hrudayam Stotram
इन मंत्रों के उच्चारण से सूर्य देवता की कृपा प्राप्त होती है और भक्त के जीवन में समृद्धि और शांति का संचार होता है।
सूर्य को हल्दी डालकर जल चढ़ाने से क्या होता है (surya ko haldee daalakar jal chadhaane se kya hota hai)
हल्दी को आयुर्वेदिक दवाओं में एक महत्वपूर्ण घटक माना जाता है। सूर्य को हल्दी डालकर जल चढ़ाने से उसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। हल्दी में मौजूद कुछ विशेष तत्व शरीर के लिए बेहद लाभदायक होते हैं, जैसे कि कुरकुमिन जो एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होता है।
सूर्य को हल्दी डालकर जल चढ़ाने से सूर्य देवता को समर्पित अर्पण करने से पूर्व भक्त अपने शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है। हल्दी के एंटीऑक्सिडेंट गुण शरीर में फ्री रेडिकल्स को नष्ट करते हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ रोगों के कारण बनते हैं। इसलिए, सूर्य को हल्दी डालकर जल चढ़ाना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
सूर्य भगवान को जल में क्या डालकर चढ़ाएं (surya bhagavaan ko jal mein kya daalakar chadhaen)
सूर्य भगवान को जल में कुछ नहीं डाला जाता है। हिंदू धर्म में, सूर्य भगवान को सलामी दी जाती है, जिसमें सूर्य के नाम का जप किया जाता है और फूल और अर्घ्य दिए जाते हैं। अर्घ्य के लिए शुद्ध जल लिया जाता है और उसमें शुद्ध कुश ग्रास, सुपारी और फूल डाले जाते हैं। अर्घ्य को धूप, दीप, नैवेद्य और मंत्रों के साथ सूर्य भगवान के चरणों में अर्पित किया जाता है।
सूर्य का बीज मंत्र क्या है (surya ka beej mantr kya hai)
सूर्य का बीज मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" है। यह मंत्र सूर्य भगवान को समर्पित होता है और सूर्य भगवान के ध्यान के दौरान जप किया जाता है। इस मंत्र का जप करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मन शांत होता है। सूर्य के बीज मंत्र का जप करने से भी व्यक्ति को सूर्य के अद्भुत गुणों का अनुभव होता है।