देव दिवाली (Dev Diwali)भारतीय पौराणिक परंपरा में मनाई जाती है, जिसका मुख्य उद्देश्य देवताओं की पूजा और समर्पण है। इसे दिवाली के पूर्व दिन, यानी कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन, लोग अपने घरों को सजाने और दिव्य प्रदीप जलाकर देवताओं की पूजा करते हैं। इसे देव दिवाली कहा जाता है क्योंकि इस दिन देवताओं का आगमन माना जाता है, और लोग उन्हें स्वागत करते हैं। यह परंपरा हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और भक्ति और आध्यात्मिकता के रूप में मानी जाती है।
देव दीपावली का मतलब क्या होता है?
"देव दीपावली" का मतलब होता है "देवताओं की दीपावली" या "देवताओं का दीपों का त्योहार"। यह एक हिन्दू पर्व होता है, जिसे कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन लोग देवताओं की पूजा और आराधना करते हैं और घरों में दिव्य प्रदीप (दीपक) जलाते हैं।
इसे भी जाने
दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
इसे "देव दीपावली" कहा जाता है क्योंकि इस दिन देवताओं का आगमन माना जाता है और लोग उनका स्वागत करते हैं। यह दिवाली के पूर्व दिन मनाया जाता है और यह एक आध्यात्मिक और धार्मिक महत्वपूर्ण त्योहार है।
देव दीपावली कैसे मनाया जाता है?
देव दीपावली को मनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
घर को सजाना: इस दिन, अपने घर को सजाने और साफ-सुथरा बनाने का प्रयास करें।
दिव्य प्रदीप जलाना: देव दीपावली के दिन, अपने घर के चारों ओर दिव्य प्रदीप (दीपक) जलाएं। यह दिव्य प्रकाश आत्मा के आध्यात्मिक उजाले को प्रतिष्ठित करने के रूप में माना जाता है।
देवताओं की पूजा: लोग देवताओं की पूजा करते हैं, विशेष रूप से गणेश, लक्ष्मी, और कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
व्रत और प्रार्थना: कुछ लोग इस दिन उपवास रखते हैं और दिव्य प्रार्थनाओं के लिए समय निकालते हैं।
दिवाली और देव दिवाली में क्या अंतर है?
दिवाली और देव दिवाली दो अलग-अलग पर्व हैं, और इनमें कुछ मुख्य अंतर हैं:
तिथि: दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जब चाँद नहीं दिखता। वहीं, देव दिवाली कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जब चाँद पूरी तरह से फुल होता है।
प्रमुख उद्देश्य: दिवाली का मुख्य उद्देश्य भगवान राम के अयोध्या लौटने के अवसर पर मनाना है, जब उन्होंने रावण को मारकर सीता को लौटाया। इसे धर्मिक और संस्कृति के रूप में मनाया जाता हैं.
देव दिवाली कब मनाते हैं?
देव दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे दिवाली के पूर्व दिन मनाया जाता है, जिसे चंद्रमा पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन हिन्दू पंचांग के हिसाब से अक्टूबर से नवम्बर के बीच होता है। देव दिवाली के दिन, देवताओं की पूजा और दीपों के साथ विशेष आराधना की जाती है।
देव दीपावली कब है 2023
देव दीपावली की शुरुआत आम तौर पर सुबह के समय होती है, जब पूर्णिमा का दिन आरंभ होता है। लोग इस दिन जले हुए दियों को और दीपकों को जलाकर अपने घरों की ओर से देवताओं का स्वागत करते हैं। इसे ध्यान और पूजा के साथ किया जाता है, और लोग अपनी आराधना करते हैं और देवताओं के आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करते हैं। इस दिन त्योहार के आध्यात्मिक और धार्मिक पहलू को महत्वपूर्ण माना जाता है।