उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय
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नीम का पेड़ कहानी |
घर के मोहारे पर नीम का पेड़ था वही एक बड़ा सा तालाब था नीम का पेड़ नंदू के बचपन का साथी था । उसके साए में बैठना - खेलना उसे अच्छा लगता था । अकेला होता तो अपने मित्र पेड़ से बातें भी करता । बड़ा हुआ तो उसके ऊपर चढ़ना भी सीख लिया था ।
नीम के साए में नंदू एक दिन बड़ा भी हो गया । मेहनत से काम करता । उसे व्यापार में खूब सफलता भी मिली । फिर भी अपने मित्र का साथ न छोड़ा । थका - मांदा घर आता तो सीधे नीम के नीचे बैठ , ठण्डी हवा का आनन्द लेता । कुछ और समय निकला ।
एक दिन परेशानी में था तो उसी पेड़ के साए में आकर लेट गया । सोचने लगा- " जैसे - जैसे मेरा व्यापार बढ़ रहा है , वैसे - वैसे मेरी परेशानियाँ भी बढ़ रही हैं . कमाने की परेशानी , रुपए सम्भालकर रखने की परेशानी । फिर कभी रुपयों का नुकसान हो जाता है , तो भी परेशानी ।
मुझसे तो यह नीम ही अच्छा है । शांत और संतुष्ट दिखता है । न कहीं भागदौड़ , न चोरों का डर । कोई काम करे न करे , इसे क्या परवाह ! " तभी नीम का पेड़ हँसा । बोला- “ ऐसा नहीं है , मेरे दोस्त । मैं भी काम में लगा रहता हूँ । मैंने खुद कड़ी से कड़ी धूप झेलकर अपने साए में तुझे आराम दिया । अपने अंदर कड़वाहट भरकर जी रहा हु ।
इन्हीं कड़वी पत्तियों और छाल ने कई बार बचपन में तेरी बीमारी दूर की । रस्सी की रगड़ खा - खाकर भी मैंने तुझे व तेरे दोस्तों को झूले का आनन्द दिया । पक्षियों के लिए मेरी बाहें सदा खुली रहती हैं ताकि वे उन पर बैठ , कर आराम कर सकें ।
मेरे तनों के छेदों में तोतों के बच्चे पलते हैं । " “ अंतर केवल इतना ही है कि तुम अपने लिए सब कुछ करते हो , जबकि मैं दूसरों के लिए जी रहा हूँ यही मेरी शांति और संतोष का कारण है ! " नंदू को वही समझ में आ गया और उसे एक नई राह दिखाई देने लगी। यह छोटी कहानी युवाओ का प्रेरणादायक story अगर आपको थोड़ा भी प्रभावित कर दे तो कमेंट करके हमें जरूर बताये ताकि ऐसे कहानी हम आप तक पहुंचते रहेंगे 🙏🙏