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सुंदर सुंदर परियों की कहानियां और खूनी राक्षस
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परियों के इस छोटे से देश में चारों ओर खुशियाँ ही खुशियाँ नाच रही थीं । इस देश में न तो कोई दुःखी था और न ही कोई उदास । सब ओर परियाँ ही परियाँ थीं । नारी देश में किसी भी पुरुष को आने की अनुमति तो नहीं थी ।
हाँ कभी - कभी देवराज इन्द्र इस देश में आते थे क्योंकि देवराज इन्द्र परियों के राजा थे । इसलिए उन्हें यहाँ पर आने में किसी से आज्ञा लेने की आवश्यकता नहीं थी । देवराज जब भी आते थे उस रात में नृत्य की पूरा रंग जमता था ।
पूरी - पूरी रात नृत्य एवं गाने चलते थे । हर अप्सरा अपनी कला और रूप का प्रदर्शन करके देवराज को प्रसन्न करने का पूरा प्रयास करती थीं । इस बात को तो सब परियाँ भली - भाँति जानती थीं कि यदि देवराज प्रसन्न होते हैं तो पूरा विश्व ही प्रसन्न हो जाता है ।
यदि देवराज क्रोध में होंगे तो सबसे पहले तो वर्षा नहीं होगी , वर्षा नहीं होगी तो अन्न नहीं होगा , अन्न , फल - फूल सब्ज़ियाँ , दाल , चारा यही तो जीवन को चलाने वाले हैं । इनके बिना जीवन ही कहाँ है । जीवन नहीं तो संसार नहीं , संसार नहीं तो प्रभु नहीं ।
यदि यह संसार नहीं होगा तो प्रभु का नाम कौन लेगा ? यह बात परियाँ भली - भाँति जानती थीं । यही कारण था कि देवराज के दरबार में तीनों लोकों के सबसे अधिक लोकप्रिय नृत्य होते थे । हर अप्सरा अपने नृत्य को अधिक से अधिक आकर्षक बनाना चाहती थीं ।
आज की सभा में भी यही हो रहा था । हर अप्सरा ने अपनी कला का पूरा - पूरा रंग दिखाया । पूरी रात नृत्य करना यह कोई साधारण बात नहीं थी , लेकिन इस सब अप्सराओं के पास देव शक्ति थी । वे अपनी कला को देवराज पर नौछावर करना अपना धर्म समझती थीं । इन्द्र ही उनके प्रभु हैं ।
सुबह होने वाली थी । देवराज प्रसन्नचित होकर जाने लगे तो उन्होंने सब अप्सराओं को अपने पास बुलाया और हँसकर बोले- " तुम सबकी सब अपनी कला में पूरी तरह से सम्पन्न हो । हम आज तुम सबसे बहुत खुश हुए । धन्यवाद देवराज ! हमें इस बात की खुशी है कि आप प्रसन्न होकर जा रहे हैं ।
हम तो यह सोच रहीं थीं कि आपके अचानक आने का कारण कुछ ... यह बात कहते - कहते मोनिका अप्सरा कुछ देर के लिए रुक गई ...। जैसे आगे की बात कहने का साहस न कर पा रही हो अथवा कहने से डर रही हो । " मोनिका । " “ जी देवराज ! हम आपकी बात को समझ गए हैं ।
वास्तव में तुमने जो कुछ भी सोचा है वह सत्य ही है । " " तो क्या आप हमसे भी यह बात छुपाकर रखना चाहते हैं ? " " नहीं मोनिका ऐसा तो कुछ नहीं है । " " तो फिर आप कहते क्यों नहीं । " " कहूँगा तो आप डर जाओगी । " आपके होते हुए हम डर सकतीं हैं कभी ... यह बात आपने कैसे सोच ली ।
मोनिक ! सत्य बात तो यह है कि हमें तो इस समय आप सबकी चिंता है क्योंकि नर्कलोक से एक खूनी राक्षस धोखे से भागकर स्वर्गलोक में प्रवेश कर गया है । वह जब नीचे संसार में था तब तो परियों ने ही उसके पाप की सज़ा देकर मार डाला था । नर्क में आने के पश्चात् उसने यह प्रतिज्ञा की थी कि मैं एक दिन बदला लेकर रहूँगा ।
प्रतिशोध ... बदला ...। " यह आप क्या कह रहे हैं देवराज ! मोनिका एकदम से डर गई । मोनिका वह खूनी राक्षस भगवान शिव के जानवरों की भाँति लटके होंठ , लम्बे - लम्बे कानों को औरत ध्यान से देखती तो वह घृणा और डर की भावना से चीखें मारती हुईं दूर भागने लगती ।
लड़की को इस प्रकार से नफरत की निगाह से देखते हुए उसे इतना क्रोध आता कि वह उसके पीछे पागलों की भाँति भागता हुआ जाता और उसकी हत्या कर देता । एक दिन ऐसा भी आया जब उसे एक चुड़ैल मिल गई । उसने उसे पकड़ लिया और बोली- " क्या तुम मुझसे शादी करोगे ?
नहीं ... नहीं ... नहीं ... मैं तो केवल किसी परी से ही शादी करूंगा । मैं तुमसे भला क्यों शादी करने लगा । काली - कलूटी लम्बे - लम्बे दाँतों वाली चपटी नाक छीं ... छीं ... छीं .. जाओ - जाओ मेरे पास से जाओ किसी और की तलाश करो ।
मैं तो परी से शादी करूँगा । मैंने यह सुना है कि जो परी तुमसे शादी करने से मना कर देती है तुम उसकी हत्या भी कर देते हो । " हाँ ... मैं ऐसा ही करता हूँ । "
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