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उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय

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  उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय ,उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है जो उत्तरी भारत में स्थित है। यह भारत का सबसे आबादी वाला राज्य भी है और गणराज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इसके प्रमुख शहरों में लखनऊ, आगरा, वाराणसी, मेरठ और कानपूर शामिल हैं। राज्य का इतिहास समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता से भरपूर है, और यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। उत्तर प्रदेश का पहला नाम क्या है ,उत्तर प्रदेश का पहला नाम "यूपी" है, जो इसे संक्षेप में पुकारा जाता है। यह नाम राज्य की हिन्दी में उच्चतम अदालत के निर्देशन पर 24 जनवरी 2007 को बदला गया था। उत्तर प्रदेश की विशेषता क्या है ,उत्तर प्रदेश की विशेषताएं विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक स्थलों, और बड़े पैम्पस के साथ जुड़ी हैं। यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है और कई प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का घर है, जैसे कि वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, और प्रयागराज। राज्य में विविध भौगोलिक और आधिकारिक भाषा हिन्दी है। यह भी भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है जो आबादी में अग्रणी है। इसे भी जाने उत्तर प्रदेश की मु

यीशु मसीह के अनोखे रहस्य~ Unique Mysteries of Jesus Christ

 

दोस्तों आज हम इस लेख  के जरिए जानेंगे कि ( यीशु मसीह का आश्चर्यजनक जीवन ) इन्होने  क्या-क्या किया हैं  क्यों मनाया जाता है "When is Jesus Christ Day celebrated?, नीचे लिखे गए है  "मैरी क्रिसमस डे कब है?, इसके बारे में सब कुछ बताया गया है आइए जानते हैं

यीशु मसीह कहानी (jesus christ story)

यीशु मसीह एक बहुत ही प्रेरणादायक और संदेशवाहक व्यक्ति थे जो उनकी शिक्षाओं और कामों से दुनिया को जीत लिया। यीशु ने अपने जीवन के दौरान अनेक आश्चर्यजनक चमत्कार किए और लोगों को उनकी विश्वास की शक्ति और प्रेम का महत्त्व समझाया।

यीशु का जन्म बैतलेहेम में हुआ था और उनके माता-पिता का नाम जोसेफ और मरियम था। उनका जन्म एक गुरुवार को हुआ था और इसी दिन क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है।

यीशु ने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से एक नया संदेश दिया जो प्रेम, समझदारी, धैर्य और करुणा की भावना को जोड़ता था। उनके उपदेशों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपदेश था - "अपने पड़ोसियों से प्रेम करो जैसा कि आप खुद से प्रेम करते हो।" यह उनके संदेश का मूल था जो सबसे ज्यादा याद रखा जाता है।

यीशु के जीवन में बहुत से आश्चर्यजनक चमत्कार हुए जो उनके भक्तों को आश्चर्यचकित कर देते थे। 

यीशु मसीह का जन्म (birth of jesus)

यीशु मसीह का जन्म इस्राएल के बैतलेहेम शहर में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम जोसेफ और मरियम था। उनका जन्म सन् 4 ईसा पूर्व हुआ था। उनका जन्म एक गुरुवार को हुआ था और इसी दिन क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है।

यीशु के जन्म के समय उनके माता-पिता ने इस्राएल में रोमन साम्राज्य के शासन के दौर में रहते थे। उन्होंने अपने घर के लिए एक स्थान नहीं पा सके थे और अपने बेटे को एक बच्चों के बस्ते में लेटा दिया था।

उनके जन्म की घटना बाइबिल के अनुसार इस प्रकार बताई गई है - जब यीशु का जन्म हुआ, तो मरियम उन्हें लपेट कर बच्चों के बस्ते में रख दिया था क्योंकि उनके पास अन्य जगह नहीं थी। उन्होंने बस्ते में ही अपने बेटे को जन्म दिया था।

यीशु का जन्म सभी ईसाई धर्मवालों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है। वे इस दिन को प्रतिवर्ष क्रिसमस के रूप में मनाते हैं। इस दिन पर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलते हैं

यीशु मसीह प्रार्थना (christ jesus christ)

परमेश्वर के प्रिय पिता, धन्य हो आपका नाम। हम आपकी आत्मा की उपस्थिति में खुशी महसूस करते हैं। आप हमें इस दुनिया में उत्तम और न्यायपूर्ण जीवन जीने का मार्ग दिखाते हैं।

हम आपके वचनों में विश्वास करते हैं, जो हमें सत्य का मार्ग दिखाते हैं। आपने हमें अपने प्रेम का दृष्टांत दिया है, जो हमें अपने भाईचारे का अनुभव कराता है।

यीशु मसीह, हम आपके पास आते हैं, जो हमें अपने दुःखों और संदेहों से मुक्ति दिलाते हैं। हम जानते हैं कि आप ने हमारे लिए अपनी जान दी है ताकि हम अपने पापों से मुक्त हो सकें।

यीशु, हम आपके दिव्य शक्ति के सामने झुकते हैं। हमें आपकी कृपा और शक्ति की आवश्यकता है

ईसा मसीह की पत्नी (prayer wife of jesus)

वेदों या इस्लामिक कुरान में ईसा मसीह की पत्नी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस्लाम में, ईसा मसीह की कोई पत्नी नहीं थी। हालांकि, कुछ ग्रंथों और कुछ विद्वानों के मतानुसार, ईसा मसीह को शादीशुदा नहीं होने दिया गया था ताकि उनकी सभी ध्यान उनके दिए गए संदेश और दिए गए कामों पर फोकस करने में लगे रहें।

हालांकि, कुछ अन्य धर्मों में, ईसा मसीह की कुछ ग्रंथों में उनकी पत्नी के बारे में उल्लेख किया गया है। यह विषय विभिन्न धर्मों और धार्मिक आशयों पर आधारित होता है, इसलिए इसका एक सामान्य उत्तर नहीं हो सकता।

यीशु मसीह के वचन (christ words of jesus christ)

यीशु मसीह के वचन बाइबल में दर्ज हैं। यीशु मसीह के बोलने के तरीके और उनके शब्द उनके समय के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनैतिक परिवेश के अनुसार थे। यहां कुछ उनके महत्वपूर्ण वचनों का उल्लेख किया गया है:

"अपने पड़ोसीओ  से जैसा भी आप के प्रति भेदना चाहते हो, वैसा ही उनके साथ भी करो" - मत्ती 22:39

"मैं जीवन का रास्ता हूँ, सत्य हूँ और जीवन हूँ। कोई मेरे द्वारा नहीं पिता, सब फ़ादर के द्वारा आता है" - यूहना 14:6

"तुम सबसे ज्यादा प्रेम जताने वालों के बीच ऐसा नहीं होगा कि जो मेरा नाम लेकर कुछ भी करता हो, वह अनुगम्य न हो।" - यूहना 14:15

"वह मुझे पाक आत्मा से डुबोयेगा।" - मत्ती 3:11

"आओ जो मुझे थकान उसके बाद और भारी बोझ उठाने वाले बनो, हम तुम्हे ताकत और शांति दूंगा।" - मत्ती 11:28

ये उद्धरण बस कुछ हैं, लेकिन बाइबल में यीशु मसीह के वचनों की संख्या असंख्य है और उन्होंने बहुत से विषयो पर बात की है.

यीशु मसीह कौन सा भगवान है (Which God is Jesus Christ)

यीशु मसीह ईसाई धर्म के महान आध्यात्मिक गुरु थे और ईसाई धर्म के संस्थापक माने जाते हैं। ईसाई धर्म में यीशु मसीह को परमेश्वर का पुत्र और मनुष्य का उद्धारक माना जाता है।

बाइबल में उनकी जन्म की घटना, उनकी जीवनी, उनकी उपदेश, उनके चिकित्सा के काम, उनके जीवन के अनुभव और उनकी मृत्यु का वर्णन होता है। उनके बारे में बाइबल में उनके स्वयं के शब्दों में भी वर्णन हैं जहाँ उन्होंने अपने आप को "जीवन का रास्ता, सत्य और जीवन" कहा है।

ईसाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र थे, और उन्होंने मनुष्यों के उद्धार के लिए जन्म लिया था। यह ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।

ईसा मसीह को फांसी क्यों दी गई (Why was Jesus hanged)

ईसा मसीह को फांसी दी जाने का कारण उनके समय में चल रहे राजनीतिक और धार्मिक संघर्षों में था।

इस वक्त ईस्राइल रोमन साम्राज्य के अधीन था और ये एक बहुत ही सख्त शासन था। यीशु मसीह के समय में, जब ईस्राइल रोमन साम्राज्य के अधीन था, धर्म के विभिन्न विचारधाराओं के बीच तनाव था। इस तनाव के बीच, यीशु मसीह ने अपने संदेश और उपदेशों के कारण सामाजिक और धार्मिक स्थापत्य को खतरे में डाल दिया था। यह रोमन सरकार को आपत्ति थी और उन्हें लगता था कि यीशु मसीह एक विद्रोही था।

इस तरह से, यीशु मसीह को फांसी दी गई थी। इसके अलावा, बाइबल में भी उनकी फांसी की वर्णन होती है, जिसमें बताया जाता है कि उन्हें फांसी पर लटकाया गया था और यह भी कहा गया था कि उनके फांसी का कारण उनके धर्म के उपदेशों व विचारों के कारण हुआ था।

यीशु मसीह का असली नाम क्या था (What was the real name of Jesus Christ)

यीशु मसीह का असली नाम इब्रानी भाषा में "येशु" (Yeshua) था, जो अंग्रेजी में "Jesus" के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम "येशु बिन मरियम" (Yeshua bin Maryam) था, जो अंग्रेजी में "Jesus son of Mary" के रूप में अनुवादित होता है।

यीशु मसीह को इंसानियत के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता है, और उनके उपदेशों और शिक्षाओं का असर आज भी दुनिया भर में दिखाई देता है।

यीशु मसीह जी का किसका अवतार है (Whose incarnation is Jesus Christ)

यीशु मसीह के अवतार के विषय में कुछ धर्मों व विचारधाराओं में अलग-अलग मत हैं। हिंदू धर्म में उन्हें ईसा मसीह नहीं माना जाता है और उनके अवतार के बारे में कुछ नहीं कहा जाता है।

हालांकि, हजारों सालों से, कुछ धर्मों में यीशु मसीह को भगवान का अवतार माना जाता है। उदाहरण के लिए, ईसाई धर्म में उन्हें मसीह के रूप में माना जाता है, जो दुनिया के रक्षक और मुक्ति के स्रोत के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, इस्लाम में भी यीशु मसीह को एक बड़े नबी के रूप में माना जाता है, जो अल्लाह के रूप में बेहद शक्तिशाली थे।

अत: यह धर्मों और विचारधाराओं के आधार पर अलग-अलग हो सकता है कि यीशु मसीह का किसका अवतार है।

दुनिया में सच्चा ईश्वर कौन है ( Who is the true God in the world)

दुनिया में कई धर्मों और विचारधाराओं में ईश्वर के अलग-अलग स्वरूप और नाम होते हैं। हिन्दू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश जैसे कई देवी-देवताओं को सर्वोच्च ईश्वर माना जाता है, जबकि ईसाई धर्म में ईश्वर को एक ही सत्य और सर्वशक्तिमान रूप में माना जाता है। इस्लाम में ईश्वर को अल्लाह के नाम से जाना जाता है, जो एकमात्र सर्वशक्तिमान होते हुए भी सर्वाधिक दयालु और करुणामय होते हैं। यह अलग-अलग धर्मों में ईश्वर के स्वरूप के विभिन्न आयामों को दर्शाता है।

सच्चे ईश्वर का स्वरूप और अस्तित्व विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। हालांकि, अधिकतर धर्मों में ईश्वर को एक आध्यात्मिक शक्ति और सर्वव्यापी ज्ञान का स्रोत माना जाता है, जो सबकी संतृप्ति और सुख की प्राप्ति के लिए हमेशा उपलब्ध होते हैं।

बाइबिल में भगवान कौन है (Who is God in the Bible)

बाइबिल में, भगवान को "यहोवा" नाम से जाना जाता है। यहोवा, बाइबिल में सर्वोच्च ईश्वर होते हुए, सभी सत्ताओं के स्रष्टा और संरक्षक के रूप में वर्णित होते हैं। उन्हें समस्त वस्तुओं के संस्थापक, स्वर्ग और पृथ्वी के राजा, सबकी रक्षा करने वाले और समस्त जीवों के पालनहार के रूप में जाना जाता है। बाइबिल में, यहोवा को सत्य और दयालुता का फलस्वरूप माना जाता है और उन्होंने मानव जाति को उनकी स्वतंत्र इच्छा के अनुसार निर्मित किया है।

यीशु का अंतिम नाम क्या था ( What was the last name of Jesus)

यीशु का अंतिम नाम "मसीह" था। "मसीह" शब्द का अर्थ होता है "उद्धारक", और इस शब्द से उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाया जाता है। बाइबिल के अनुसार, यीशु ने लोगों को उद्धार देने के लिए पृथ्वी पर आये थे। यह शब्द उनके पूरे जीवन और संदेश को जोड़ता है, जिसमें उन्होंने मानवता के लिए प्रेम, उद्धार और दया का संदेश दिया।

यीशु मसीह की कब्र कहाँ पर है (Where is the tomb of Jesus Christ)

यीशु मसीह की कब्र का स्थान स्पष्ट नहीं है। इतिहासकारों ने कुछ जगहों को इस संबंध में उल्लेख किया है, जैसे कि जेरूसलम का "हर मंदिर" या उसके निकट का गोलगुंबज। हालांकि, कोई निश्चित सबूत नहीं है जो यह साबित करता हो कि यहां यीशु की कब्र थी। बाइबिल में यह भी नहीं बताया गया है कि यीशु की लाश कहां रखी गई थी।

यीशु मसीह किसका बेटा है?

आइए जानते हैं ईसा मसीह के जन्म के पीछे की कहानी।  लगभग 2000 साल पहले, नासरत शहर की मैरी नाम की एक महिला गेब्रियल नाम के एक स्वर्गदूत से मिली थी।  स्वर्गदूत ने इस यहूदी स्त्री से कहा कि उसका एक इकलौता पुत्र होगा जिसका नाम यीशु होगा और वह परमेश्वर का पुत्र होगा।

मैरी क्रिसमस डे कब है?

इस दिन का जन्म हुआ था, क्रिसमस की शुभकामनाएं 2022: यी शूमे के जन्मदिवस के रूप में इस दिन को.  क्रिसमस 2022: हर साल 25 पूरा पूरा पूरा डे (क्रिसमस का दिन) पूरा हो चुका है।  24 दिसंबर की शाम से इस त्योहार का वार्षिकोत्सव शुरू हो रहा है

यीशु मसीह डे कब मनाया जाता है/25 दिसंबर को कौन सा त्यौहार है?

क्रिसमस या बड़ा दिन यीशु मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला त्योहार है।  यह 25 दिसंबर को पड़ता है और इस दिन लगभग पूरी दुनिया में छुट्टी होती है।  क्रिसमस 12 दिनों के त्योहार क्राइस्टमास्टाइड की शुरुआत का भी प्रतीक है।

ईस्टर डे क्यों मनाया जाता है?

गुड फ्राइडे के तीसरे दिन ईस्टर का त्योहार मनाया जाता है।  ईसाई धर्म के लोग इस त्योहार को ईसा मसीह के पुनर्जन्म की खुशी में मनाते हैं।  ऐसी मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीसरे दिन प्रभु यीशु जी उठे थे।  इस घटना को ईस्टर संडे के नाम से जाना जाता है।

4 ईस्टर क्या है?

ईस्टर, ग्रीक: ईसाई पूजा वर्ष में सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक धार्मिक त्योहार।  ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन ईसा को सूली पर चढ़ाए जाने के तीसरे दिन ईसा मसीह को मृतकों में से पुनर्जीवित किया गया था।  ईसाई इस पुनरुत्थान को ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार मानते हैं।

बाइबल की कौन सी शक्ति शास्त्री जी पर लागू होती है?

Answer: परमेश्वर ने उसे बोलकर बाइबल लिखने के लिए नहीं कहा।  वह ईश्वर की प्रेरणा से लेखन में अवश्य उतरे, लेकिन उन्होंने इसे अपनी संस्कृति, शैली और विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार लिखा।

यीशु और भगवान एक ही है

पहले ईसाइयों ने कहा था कि "यीशु एक इंसान थे जिन्हें एक ईश्वर - एक ईश्वर - एक दिव्य प्राणी" बनाया गया था।  बाद में उन्होंने यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि यीशु का जन्म ईश्वर और नश्वर के मिलन से हुआ था क्योंकि पवित्र आत्मा मरियम पर आई थी और इस तरह यीशु की कल्पना की थी, इसलिए यीशु के पिता के रूप में सचमुच भगवान थे।

4 ईस्टर क्या है,यीशु मसीह का फोटो (photo of jesus)


यीशु मसीह के बारे में रहस्यमयी बातें

  ईसा मसीह के बारे में समय-समय पर कई बातें सामने आती रही हैं।  उनमें से कुछ को विवादास्पद माना गया और कुछ पर अभी भी शोध चल रहा है।  हालांकि, हम इन बातों के सच होने का दावा नहीं करते हैं।  आइए जानते हैं ऐसी ही 10 रहस्यमयी चीजों के बारे में जानकारी।  उक्त सूचना का आधार समय-समय पर प्रकाशित समाचार एवं प्रतिवेदन हैं।

यीशु मसीह के वचन

'यीशु के अमर वचन'

  पहली आवाज: 'पिताजी, उन्हें माफ कर दो, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।  ,

  दूसरी आवाज: 'मैं तुमसे सच कहता हूं कि आज तुम मेरे साथ स्वर्ग में रहोगे।  ,

  तीसरी आवाज: 'देखो, हे स्त्री, तुम्हारा पुत्र।  ,

  चौथी आवाज: 'हे मेरे भगवान, हे मेरे भगवान, तुमने मुझे क्यों छोड़ दिया?'

मसीह का वचन क्या है?

इस दौरान प्रभु यीशु ने 7 वचन दिए।  पहला - हे पिता, उन्हें माफ कर दो क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं?  दूसरा- मैं तुमसे सच कहता हूं कि आज तुम मेरे साथ स्वर्ग में रहोगे।  तीसरा - हे स्त्री, देख यह तेरा पुत्र है, फिर उस शिष्य से कहा, यह तेरी माता है।

यीशु का 7 वां अंतिम शब्द क्या है?

(यूहन्ना का सुसमाचार 19:30)।  सातवाँ शब्द।  यीशु ने बड़े शब्द से पुकारा, "हे पिता, मैं ने अपना आत्मा तेरे हाथ में कर दिया है।"  (लूका 23:46 का सुसमाचार)।  सातवां ल्यूक के समाचार से हुआ है, और मरने से कुछ छड़ पहले स्वर्ग में पिता को निर्देशित कर दिया गया है।

यीशु ने क्या-क्या बातें कही हैं?

"मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं; और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।  मैं सब से बड़ा हूं, और कोई उन्हें मेरे पिता के हाथ से छीन नहीं सकता। मेरा पिता और मैं एक हैं।"

यीशु सबसे अच्छी बोली क्या थी

कल की चिंता मत करो, क्योंकि आने वाला कल अपने लिए चिंतित होगा।  दिन की अपनी परेशानियों को दिन के लिए पर्याप्त होने दें। हम ही मार्ग सत्य अथवा जीवन हूँ। 

केवल मुझे छोड़कर पिता के समीप कोई भी नहीं आया।

यीशु मसीह की पत्नी का नाम क्या था?

1500 साल पुराने दस्तावेज़ पर आधारित ब्रिटिश लाइब्रेरी ने खुलासा किया कि क्राइस्ट ने एक वेश्या मैरी मैग्डलीन से शादी की थी और उनके दो बच्चे थे।

यीशु मसीह के गुरु कौन थे?

उनके गुरु का नाम श्री वल्लभाचार्य था।  यह भी माना जाता है कि वह अपने गुरु से सिर्फ दस दिन छोटे थे।  ईसा मसीह कौन थे?  ईसा मसीह ही ईश्वर है....

यीशु मसीह जी का किसका अवतार है?

यीशु ने खुद को देहधारण नहीं, बल्कि परमेश्वर का पुत्र कहा है।  ईश बेटा।

यीशु के कितने शिष्य थे?

यीशु के पुरे बारह शिष्य थे।

  1. ईसा मसीह 13 से 29 वर्ष के बीच कहाँ थे?

  यीशु का जन्म बेथलहम में एक यहूदी बढ़ई की पत्नी मरियम (मैरी) के गर्भ से हुआ था।  जब यीशु बारह वर्ष का था, तब वह दो दिन यरूशलेम में रहा और याजकों से ज्ञान पर चर्चा की।  13 साल की उम्र में वह कहां चले गए यह कोई नहीं जानता। 13 से 30 साल की उम्र में उन्होंने जो किया वह रहस्य का विषय है।  बाइबिल में उनके वर्षों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है।  30 साल की उम्र में, उन्हें जॉन (जॉन) द्वारा यरूशलेम में ठहराया गया था।  दीक्षा के बाद उन्होंने लोगों को पढ़ाना शुरू किया।  अधिकांश विद्वानों के अनुसार 29 ई. को प्रभु यीशु एक गधे पर सवार होकर यरूशलेम पहुंचे और उन्हें दण्ड देने का षडयंत्र रचा गया।  अंत में वह विरोधियों द्वारा पकड़ लिया गया और सूली पर लटका दिया गया।  उस समय उनकी उम्र करीब 33 साल थी।

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  यीशु ने रविवार को यरूशलेम में प्रवेश किया।  इस दिन को 'पाम संडे' कहा जाता है।  उन्हें शुक्रवार को सूली पर चढ़ाया गया था इसलिए इसे 'गुड फ्राइडे' कहा जाता है और रविवार को केवल एक महिला (मैरी मैग्डलीन) ने उन्हें अपनी कब्र के पास जीवित देखा।  जीवित देखे जाने की इस घटना को 'ईस्टर' के रूप में मनाया जाता है।  उसके बाद यीशु को यहूदी राज्य में कभी नहीं देखा गया।

  2. क्या 25 दिसंबर ईसा मसीह का जन्मदिन है?

  हाल ही में बीबीसी पर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसके मुताबिक ईसा मसीह का जन्म कब हुआ था, इस पर कोई सहमति नहीं है।  कुछ धर्मशास्त्रियों का मानना ​​है कि उनका जन्म वसंत ऋतु में हुआ था, जैसा कि उल्लेख किया गया है कि जब यीशु का जन्म हुआ था, चरवाहे मैदानों में अपने झुंडों की देखभाल कर रहे थे।  अगर उस समय दिसंबर की सर्दी होती तो वे कहीं शरण ले लेते।  और यदि चरवाहे संभोग के मौसम में भेड़ों की देखभाल कर रहे होते, तो वे भेड़ों को उस झुंड से अलग करने में व्यस्त होते जिसका साथी होता।  अगर ऐसा होता, तो यह शरद ऋतु का समय होता।  लेकिन बाइबिल में यीशु के जन्म की तारीख का उल्लेख नहीं है।  इतिहासकारों के अनुसार, रोमन काल से ही दिसंबर के अंत में एक मूर्तिपूजक परंपरा के रूप में जमकर पार्टी करने का चलन रहा है।  ईसाइयों ने भी इस प्रवृत्ति को अपनाया और इसे 'क्रिसमस' नाम दिया।

  3. यीशु मसीह का चेहरा कैसा था?

  यीशु मसीह को अक्सर चित्रों में एक सुंदर गोरा आदमी के रूप में चित्रित किया जाता है, लेकिन क्या यह सच है?  बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2001 में प्रकाशित ऐतिहासिक जीसस की तलाश में, वर्षों के शोध और कड़ी मेहनत के बाद, फोरेंसिक वैज्ञानिक रिचर्ड नेव ने दुनिया के सामने यीशु मसीह के चेहरे का एक मॉडल प्रस्तुत किया है।  जीसस के चेहरे का यह मॉडल अभी दिखने वाले मॉडल से बिल्कुल अलग है।  रिचर्ड ने इजरायल के पुरातत्व स्थलों पर मिली 3 खोपड़ियों पर शोध किया और उन्हें उन सभी तराजू के साथ जोड़ा जो यीशु के चेहरे के बारे में लिखे गए थे।

Naive यीशु को मध्य पूर्व के एक पारंपरिक यहूदी के रूप में चित्रित करता है।  उसका मुख उत्तरी इस्राएल के गलील नगर के लोगों से मिलता है।  विशेषज्ञ की शोध टीम ने मैसेडोनिया के फिलिप द्वितीय, सिकंदर महान के पिता और फ्रिगिया के राजा मिडास जैसे कई प्रसिद्ध लोगों के चेहरों को मिलाकर एक नया चेहरा बनाया है।  उन्होंने एक इजरायली पुरातत्वविद् से एक यहूदी खोपड़ी ली और खोपड़ी का एक एक्स-रे टुकड़ा बनाया।  फिर कंप्यूटर की मदद से इसमें मसल्स और स्किन को जोड़ा गया।  टीम ने इसमें दाढ़ी बढ़ाई और सिर के बाल छोटे रखे।  घुँघराले बाल थे।  दरअसल, पारंपरिक यहूदी रवैया इस प्रकार का है।


  टीम का मानना ​​है कि जीसस की लंबाई 5 फीट से ज्यादा रही होगी।  जीसस के इस नए चेहरे के अनुसार उनका चेहरा बड़ा, काली आंखें, छोटे घुंघराले काले बाल और चेहरे का रंग गहरा गेहुंआ और झाड़ीदार दाढ़ी है।  हालांकि विशेषज्ञ यह दावा नहीं करते कि यह ईसा मसीह का चेहरा होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से उनके चेहरे का सबसे करीबी चेहरा हो सकता है।

  4. क्या ईसा मसीह भारत में रहते थे?

  कई लोगों का दावा है कि वह क्रूस पर चढ़ गया होगा लेकिन उसकी मृत्यु नहीं हुई।  जब उन्हें सूली पर चढ़ाया गया तब उनकी आयु लगभग 33 वर्ष थी।  कुछ शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि भारत के कश्मीर में बौद्ध मठ, जहां उन्होंने 13 से 29 साल की उम्र में शिक्षा प्राप्त की थी, उसी मठ में लौट आए और अपना पूरा जीवन वहीं बिताया।  हाल ही में बीबीसी पर कश्मीर में उनके मकबरे को लेकर एक रिपोर्ट भी छपी है.  रिपोर्ट के मुताबिक श्रीनगर के पुराने शहर में एक इमारत को 'रौजबल' के नाम से जाना जाता है।  यह रौजा एक गली के कोने पर है और एक मकबरे के साथ एक साधारण पत्थर की इमारत है, जहाँ यीशु मसीह का शरीर रखा गया है।  स्थिति श्रीनगर के खानयार इलाके की एक संकरी गली में रौजबल की है.

  आधिकारिक तौर पर यह मकबरा मध्ययुगीन मुस्लिम उपदेशक युजा आसफ का मकबरा है, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों का मानना ​​है कि यह नासरत के जीसस का मकबरा या मकबरा है।  लोगों का यह भी मानना ​​है कि ईसा मसीह ने 80 ई. में हुए प्रसिद्ध बौद्ध सम्मेलन में भाग लिया था।  श्रीनगर के उत्तर में पहाड़ियों पर एक बौद्ध मठ के खंडहर हैं, जहां सम्मेलन हुआ था।  यीशु के भारत में रहने का पहला विवरण 1894 में रूसी निकोलस लातोविच द्वारा दिया गया है।  वे 40 वर्षों तक भारत और तिब्बत में घूमते रहे।  इस दौरान उन्होंने पाली भाषा सीखी और अपने शोध के आधार पर उन्होंने 'द अननोन लाइफ ऑफ जीसस क्राइस्ट' नामक किताब लिखी जिसमें उन्होंने गवाही दी कि हजरत ईसा ने अपने गुमनाम दिन लद्दाख और कश्मीर में बिताए थे।  इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, यह भी माना जाता है कि एक व्यक्ति को उसके रूप में सूली पर चढ़ाया गया था।

  5. क्या ईसा मसीह की पत्नी और दो बच्चे थे?

  एक नए शोध के अनुसार, यीशु ने अपनी शिष्या मैरी मैग्डलीन से शादी की, जिनसे उनके दो बच्चे भी थे।  ब्रिटिश दैनिक 'द इंडिपेंडेंट' में प्रकाशित एक रिपोर्ट में 'द संडे टाइम्स' में बताया गया है कि ब्रिटिश लाइब्रेरी में 1500 साल पुराना एक दस्तावेज मिला है जिसमें दावा किया गया है कि ईसा मसीह ने न केवल मैरी से शादी की बल्कि उससे शादी भी की।  दो बच्चे भी थे।

  प्रोफेसर बैरी विल्सन और लेखक सिम्चा जैकोविच ले।  अरामी भाषा से 'लॉस्ट गॉस्पेल' कहे जाने वाले इस दस्तावेज़ का अनुवाद करने में महीनों लग गए।  उन्होंने दावा किया है कि ईसा मसीह की पत्नी मैरी मैग्डलीन हैं।  इससे पहले भी, ईसा मसीह के बारे में पुस्तकों में मैरी का बार-बार उल्लेख किया गया है और ईसा मसीह के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में मौजूद रही हैं।  इससे पहले भी, ईसा मसीह के बारे में पुस्तकों में मैरी का बार-बार उल्लेख किया गया है और ईसा मसीह के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में मौजूद रही हैं।  अनुवादित पुस्तक पेगासस प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है।  चर्च ने इसकी तुलना डैन ब्राउन के 2003 के उपन्यास विंची कोड से की, जिसमें मैरी और जीसस क्राइस्ट के बीच संबंधों के बारे में बात की गई थी।  हालांकि चर्च इसे झूठा मानता है.

ईसा मसीह का हैरान कर देने वाला जीवन 

कई साल पहले, प्रभु यीशु मसीह एक प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में रहते थे और मरते थे, न कि एक साधारण व्यक्ति के रूप में।  शास्त्रों के अनुसार, भगवान, उनके निर्माता, एक इंसान के रूप में पृथ्वी पर रहते थे और लाखों मनुष्यों को मृत्यु, शैतान के युद्ध और पापों से मुक्त करने के लिए अपना जीवन और रक्त बहाते थे।  वह अपने पास आने वाले सभी लोगों को अनन्त जीवन देने के लिए आज भी जीवित है।  यीशु मसीह को स्वीकार करना और अस्वीकार करना मरने या जीवित रहने के समान है।  जो परमेश्वर के पुत्र को ग्रहण करता है, उसके पास जीवन है।  जो कोई परमेश्वर के पुत्र को स्वीकार नहीं करता उसका कोई जीवन नहीं है (1 यूहन्ना 5:12)।  हम किसी और के द्वारा नहीं बचाए जा सकते, हमें इस नाम से बचाया जाना चाहिए, हम स्वर्ग के नीचे पुरुषों के बीच दिए गए किसी अन्य नाम से नहीं बचाए जा सकते (प्रेष 4:12)।  अनन्त जीवन आपको एकमात्र सच्चे परमेश्वर और यीशु मसीह को जानना है जिसे आपने भेजा है (यूहन्ना 173)।  क्या आपने यीशु मसीह को अपने हृदय में प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किया है?  यदि नहीं, तो आज ही मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करें

 6. क्या ईसा मसीह कृष्ण के भक्त थे

  लुई जैकोलियट ने 1869 में अपनी एक पुस्तक 'द बाइबिल इन इंडिया' (द बाइबिल इन इंडिया, या द लाइफ ऑफ जीजियस क्रिस्टना) में लिखा था कि ईसा मसीह और भगवान कृष्ण एक थे।  लुई जेकोलियट एक फ्रांसीसी लेखक और वकील थे।  उन्होंने अपनी पुस्तक में कृष्ण और ईसा का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है।  'यीशु' शब्द के बारे में लुईस ने कहा है कि ईसा मसीह को उनके अनुयायियों ने 'यीशु' नाम भी दिया है।  संस्कृत में इसका अर्थ 'मूल तत्व' होता है।

उन्होंने अपनी पुस्तक में यह भी कहा है कि 'क्राइस्ट' शब्द कृष्ण का ही रूपांतर है, हालांकि उन्होंने कृष्ण के स्थान पर 'क्रिस्ना' शब्द का प्रयोग किया है।  भारत में कृष्ण को गांवों में कृष्ण कहा जाता है।  यह क्रिस्ना यूरोप में क्राइस्ट और क्राइस्ट बन गया।  बाद में यह ईसाई बन गया।  लुईस के अनुसार, ईसा मसीह अपनी भारत यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के मंदिर में रुके थे।  कुछ वर्षों तक भारत में रहने वाले रूसी खोजकर्ता निकोलस नोटोविच ने प्राचीन हेमिस बौद्ध आश्रम में रखी पुस्तक 'द लाइफ ऑफ सेंट जीसस' पर आधारित फ्रेंच में 'द अननोन लाइफ ऑफ जीसस क्राइस्ट' नामक पुस्तक लिखी।  इसमें ईसा मसीह की भारत यात्रा के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है।  हालाँकि, हम नहीं जानते कि इन लेखकों के दावे कितने सच हैं।

  7. क्या यीशु के शिष्य थॉमस ने भारत में धर्म परिवर्तन किया था?

  यीशु के कुल 12 शिष्य थे- 1. पतरस, 2. अन्द्रियास, 3. याकूब (जब्दी का पुत्र), 4. जॉन, 5. फिलिप, 6. बार्थोलोम्यू, 7. मैथ्यू, 8. थॉमस, 9. जेम्स (की)  अल्फियस)।  सोन), 10. सेंट जूडस, 11. साइमन द ज़ीलॉट, 12. मथायस।  सूली पर चढ़ने के बाद ही उनके शिष्य 50 ईस्वी में यीशु की आवाज लेकर भारत आए थे।  उनमें से एक 'थॉमस' ने भारत में यीशु के संदेश का प्रसार किया।  उनकी एक किताब 'ए गॉस्पेल ऑफ थॉमस' है।  थॉमस को भील के भाले से 72 ईस्वी में चेन्नई शहर के सेंट थॉमस माउंट में मार दिया गया था।  उक्त सुसमाचार में मैरी मैग्डलिन के सूत्र भी हैं।

  माना जाता है कि भारत में ईसाई धर्म की उत्पत्ति केरल के तटीय शहर क्रांगानोर में हुई थी, जहां किंवदंतियों के अनुसार, ईसा के 12 प्रमुख शिष्यों में से एक सेंट थॉमस 52 ईस्वी में पहुंचे थे। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने पहले कुछ ब्राह्मणों को परिवर्तित किया था।  उस समय के दौरान।  इसके बाद उन्होंने आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराया।  दक्षिण भारत में सीरियन क्रिश्चियन चर्च सेंट थॉमस के आगमन का प्रतीक है।

  8. ईसा मसीह ने किस भाषा में बात की?

  यह 2014 की बात है। टॉम डी कैस्टेला का कहना है कि जीसस जहां रहते थे वहां कई भाषाएं बोली जाती हैं, तो सवाल यह है कि वह कौन सी भाषा जानते थे?  इस मुद्दे पर एक बार इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और पोप फ्रांसिस के बीच विवाद भी हो चुका है।  नेतन्याहू ने यरूशलेम में एक सार्वजनिक बैठक में पोप से कहा, "यीशु यहां रहते थे और वह हिब्रू बोलते थे। पोप ने उन्हें बाधित किया और कहा, 'अरामी'। नेतन्याहू ने जवाब दिया, "वह अरामी बोलते थे।", लेकिन हिब्रू जानते थे।

  हिब्रू विद्वानों और धर्मग्रंथों की भाषा थी, लेकिन ईसा मसीह की रोजमर्रा की भाषा अरामी रही होगी।  बाइबिल के अधिकांश विद्वानों का कहना है कि यीशु मसीह ने बाइबिल में अरामी भाषा में बात की थी।  ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में क्लासिक्स के व्याख्याता जोनाथन काट्ज़ के अनुसार, इस बात की संभावना कम है कि वे लैटिन जानते थे, लेकिन हो सकता है कि वे थोड़ा ग्रीक जानते हों।

9. बाइबल कब लिखी गई थी?

  बाइबिल या बाइबिल का अर्थ एक किताब माना जाता है।  यह ईसाइयों का पवित्र ग्रंथ है।  इसमें ओल्ड टेस्टामेंट भी शामिल है।  पुराने नियम का अर्थ है पुराना सिद्धांत या वसीयतनामा।  यह यहूदी धर्म और यहूदी पौराणिक कहानियों, नियमों आदि का वर्णन करता है। नए नियम में, यीशु के जीवन और दृष्टि के बारे में उल्लेख है।  विशेष रूप से 4 शुभ संदेश हैं, जो यीशु के 4 अनुयायियों - मैथ्यू, ल्यूक, जॉन और मार्क द्वारा सुनाए गए हैं।  ऐसा कहा जाता है कि बाइबिल ईसा मसीह के 200 साल बाद लिखी गई थी।  हालांकि इसको लेकर विद्वानों में मतभेद है।

  10. यीशु पर सबसे विवादास्पद फिल्म?

  दा विंची कोड: उत्तरी मिस्र (मिस्र) के एक शहर नाग हम्मादी के पास, 1945 में, एक बर्तन में रखे गए 12 दस्तावेज सुरक्षित पाए गए।  मूल दस्तावेजों का अध्ययन करने के वर्षों के बाद, 'डैन ब्राउन' ने यह उपन्यास 'द दा विंची कोड' लिखा।  इन दस्तावेजों को गुप्त समूहों द्वारा जीवित रखा गया था।  प्रसिद्ध चित्रकार लियोनार्डो दा विंची इस तरह के एक गुप्त समूह के सदस्य थे, इसलिए उन्होंने अपने चित्रों में कुछ धागे, कुछ इशारे छुपाए हैं जिन्हें अनकोड किया जा सकता है।  इन्हीं सब के आधार पर विवादित फिल्म 'दा विंची कोड' बनाई गई है।

  11. सांता कौन है?

  सांता क्लॉज़ संत निकोलस का एक रूप है जो चौथी शताब्दी में मायरा (अब तुर्की के रूप में जाना जाता है) के पास एक शहर में पैदा हुआ था।  संत निकोलस के पिता एक महान व्यापारी थे, जिन्होंने हमेशा निकोलस को दूसरों के प्रति दयालु होने और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए प्रेरित किया।  इन सब बातों का निकोलस पर ऐसा असर हुआ कि वह जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

  बच्चों से उनका विशेष लगाव था।  अपने धन से, वह बच्चों के लिए बहुत से खिलौने खरीदता और उन्हें उनके घरों में खिड़कियों के माध्यम से फेंक देता।  सेंट निकोलस की याद में कुछ जगहों पर हर साल 6 दिसंबर को 'सेंट निकोलस डे' भी मनाया जाता है।  हालांकि ऐसी भी मान्यता है कि संत निकोलस की लोकप्रियता से नाराज लोगों ने 6 दिसंबर को ही उनकी हत्या करवा दी थी।  इन बातों के बाद भी बच्चे 25 दिसंबर को ही सेंटा का इंतजार करते हैं।

  12. जिंगल बेल्स :

  जिंगल बेल्स गीत को ईसाई धर्म में क्रिसमस से जोड़ा गया है लेकिन यह सच नहीं है।  दरअसल यह क्रिसमस गाना बिल्कुल नहीं है।  यह जेम्स पियरपोंट द्वारा 1850 में वन हॉर्स ओपन स्लीघ शीर्षक के तहत लिखा गया एक धन्यवाद गीत है।  वह जॉर्जिया के सवाना में एक संगीत निर्देशक थे।  1890 तक, पियरपोंट की मृत्यु से तीन साल पहले, यह क्रिसमस हिट बन गया था।

जीसस क्राइस्ट के जन्म से पहले का अस्तित्व 

शुरुआत में शब्द था, शब्द ईश्वर के साथ था, शब्द ईश्वर था।  वह शुरुआत में परमेश्वर के साथ थे।  सब कुछ उसी से है।  उसके बिना कुछ भी मौजूद नहीं था।  वह वचन हमारे बीच मांस और अनुग्रह से भरा हुआ था!  (यूहन्ना 1:1-3, 14) क्योंकि सब वस्तुएं उसी में सृजी गईं, और सब वस्तुएं उसके द्वारा और उसी के द्वारा सृजी गईं, चाहे वे स्वर्ग में हों या पृथ्वी पर, दृश्य हों या अदृश्य, चाहे वे सिंहासन हों या सरकारें या प्रधानताएं हों या शक्तियां।  (कुलुस्सियों 1:16-17) परमेश्वर जिसने हमारे पूर्वजों से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा अलग-अलग समय में और विभिन्न तरीकों से अतीत में बातें कीं, उसी ने इन दिनों पुत्र के द्वारा हम से बातें कीं।  उन्होंने उस पुत्र को सबका उत्तराधिकारी नियुक्त किया।  उसने उसके द्वारा संसारों का निर्माण किया।  (इब्रानियों 1:1-2) यीशु - इब्राहीम के जन्म से पहले, मैं तुम्हें सच बताता हूँ।  (यूहन्ना 8:58)

प्रभु स्वयं आपको एक चिन्ह दिखाएगा 

क्योंकि भविष्यद्वक्ता यीशु मसीह के जीवन के बारे में भविष्यवाणी करते हैं।  सुनना  कुंवारी ने गर्भ धारण किया और उसका नाम इम्मानुएल रखा।  (यशायाह 7:14) बेतलेहेम, एप्राता, तू यहूदा के कुलों में से एक छोटा सा गांव है, और तुझ में से एक ऐसा आएगा, जो मेरे लिथे इस्राएलियों पर राज्य करेगा;  वह प्राचीन काल से और अनंत काल से प्रकट होता आ रहा है।  (मीका 5:2) 2 क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ है, हमारे लिये एक पुत्र धन्य है, उसके कन्धे पर राज्य का भार होगा।  उन्हें चमत्कार करने वाला, विचारक, पराक्रमी ईश्वर, चिरस्थायी पिता, शांतिदूत, राजकुमार कहा जाएगा।  (यशायाह 9:6) इस समय से, दाऊद का सिंहासन और राज्य हमेशा के लिए नियुक्त किया जाएगा ताकि असीमित वृद्धि और समृद्धि हो, और वह न्याय और धार्मिकता के द्वारा राज्य को स्थापित करने के लिए सिंहासन के रूप में राज्य पर शासन करेगा।  सेनाओं का यहोवा दिलचस्पी रखता है और इसे पूरा करता है।  (यशायाह 9:7-9)

यीशु मसीह ने स्वर्ग छोड़ दिया और मनुष्य बन गये । 

 3 मसीह यीशु के समान मन रखो।  वह, भगवान के रूप में होने के कारण, इसे भगवान के समान होने का एक अपरिहार्य विशेषाधिकार नहीं माना, लेकिन पुरुषों की समानता में पैदा हुआ, एक दास का रूप धारण किया, और खुद को खाली कर दिया।  और वह एक आदमी के रूप में प्रकट हुआ, और अपने आप को दीन बना दिया, और मृत्यु के बिंदु तक आज्ञाकारी बन गया, अर्थात क्रूस की मृत्यु।  (फिलिप्पियों 2:5,8) यीशु ने उन से कहा, यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते;  मैं भगवान से आया हूं, मैं खुद से नहीं आया हूं, उसने मुझे भेजा है।  (यूहन्ना 8:42) - पहला मनुष्य सांसारिक है और आग से पैदा हुआ है, दूसरा मनुष्य स्वर्ग से है।  (1 कुरिन्थ 15:47) सो जब वह इस संसार में आया तो उसने ऐसा कहा।  तू ने बलि या भेंट नहीं मांगी, परन्तु मेरे लिए एक शरीर तैयार किया।  (इब्रानियों 10:5)

यीशु मसीह के संसार में आने का उद्देश्य 

यह है कि मनुष्य का पुत्र सेवा करने के लिए नहीं बल्कि सेवा करने और बहुतों की छुड़ौती के रूप में अपना जीवन देने आया है।  (मरकुस 10:45) उसने उससे कहा कि मनुष्य का पुत्र नाश होने की खोज करने और उसका उद्धार करने आया है।  (लूका 19:10) परमेश्वर ने परमेश्वर के पुत्र को जगत में न्याय करने के लिये जगत में नहीं भेजा, ताकि उसके पुत्र के द्वारा जगत को बचाया जा सके।  (यूहन्ना 3:17) यीशु - मैं सच्चाई की गवाही देने के लिए पैदा हुआ था, इसके लिए मैं इस दुनिया में आया था;  हर कोई जो सच्चा है वह मेरी बात सुनेगा।  (यूहन्ना 18:37) मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिए जगत में आया।  (तीमुथियुस 1:15) परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा, कि हम उसके द्वारा जीवित रहें;  इससे हमारे लिए परमेश्वर का प्रेम प्रकट होता है।  (1 यूहन्ना 4:9)

एक असाधारण व्यक्ति के रूप में यीशु मसीह के जन्म  

छठे महीने में, स्वर्गदूत गेब्रियल को परमेश्वर द्वारा एक कुंवारी के पास भेजा गया था, जिसे गलील के नासरत शहर में एक व्यक्ति, जोसेफ, डेविड के वंशज, द्वारा पूर्व-मृत किया गया था।  युवती का नाम मरियम है, और दूत मरियम है, डरो मत, तुम पर परमेश्वर की कृपा है।  देख, तू गर्भवती होगी और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यीशु रखना।  (लूका 1:26-27,30) एलओ 5 - दाऊद के पुत्र यूसुफ, मरियम को अपनी पत्नी के रूप में लेने से मत डरो, क्योंकि वह पवित्र आत्मा के बच्चे के साथ है;  वह एक पुत्र को जन्म देगी;  वह अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा, इसलिए उसका नाम यीशु रखा जाएगा।  (मत्ती 1:20-21)

ईसा मसीह के जन्म को सीजर ऑगस्टस 

उन दिनों पूरी दुनिया के लिए एक सार्वजनिक नंबर लिखने का आदेश दिया था।  यह पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था जब कुरेनी सीरिया के मुखिया थे।  सभी अपने-अपने शहरों में उस नंबर पर नाम दर्ज कराने गए।  क्योंकि यूसुफ दाऊद के वंश और गोत्र में उत्पन्न हुआ था, वह गलील के नासरत से यहूदिया के बेतलेहेम को गया, कि उसकी गिनती मरियम के संग की जाए, जो उसकी पत्नी चुनी गई और गर्भवती थी।  

जब वे वहां थे, तब उसने अपने जेठे बेटे को जन्म दिया, उसे कपड़े में लपेटा, और उसे चरनी में लिटा दिया क्योंकि सराय में उनके लिए कोई जगह नहीं थी।  उस देश में कुछ चरवाहे रात को अपनी भेड़-बकरी चरा रहे थे, जब यहोवा का दूत उनके पास आकर खड़ा हो गया;  जैसे ही यहोवा का तेज उनके चारों ओर चमका, वे डर गए।  लेकिन वह दूत - डरो मत, यहाँ मैं तुम्हें उस महान खुशखबरी की घोषणा कर रहा हूँ जो सभी लोगों के लिए आएगी;  दाऊद के नगर में आज तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता का जन्म हुआ है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर क्या है?

यीशु मसीह प्रार्थना (jesus christ prayer)

हे परमेश्वर, हम आपके सामने आत्मसमर्पण से खड़े होते हैं। हम आपको आदर और सम्मान से नमस्कार करते हैं। आपका धन्यवाद कि आप हमें अपने प्रेम से प्यार करते हैं और हमें अपने उत्तरदायित्व के लिए बुलाते हैं।

हम आपको यह दुआएँ मांगते हैं कि आप हमें समझदार बनाए रखें ताकि हम आपके विचारों, उद्देश्यों और इच्छाओं के अनुसार चलें। आप हमें उस दिन के लिए तैयार करें जब हम आपके साथ बने रहेंगे और आपके द्वारा स्थापित की गई राज्य की सेवा करेंगे।

हम आपके साथ एक दूसरे को समझने और प्रेम करने के लिए प्रार्थना करते हैं। हम आपको अपने जीवन में बेहतर बनाने के लिए उत्साहित करते हैं और आपसे ज्यादा जानने के लिए प्रार्थना करते हैं।

हम इस प्रार्थना को आपके प्रभावशाली नाम में यीशु मसीह के नाम से प्रस्तुत करते हैं। आप ही सबका नेता हैं और हम सब आपके बाहर हुए शुरुआत के समय आपके प्रभाव को महसूस करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आप हमेशा हम सुखी रहे.

यीशु मसीह कौन है (who is jesus christ)

यीशु मसीह ईसाई धर्म के महान धार्मिक गुरु थे। ईसा मसीह के नाम से भी जाने जाते हैं। उन्होंने एक महान उपदेशक, आध्यात्मिक गुरु और उपचारक के रूप में अपने जीवन का काम किया। यीशु मसीह की जन्म तिथि और उनके जीवन के बारे में विस्तार से बहस की जा सकती है, लेकिन वे ईसाई धर्म के महत्वपूर्ण तथ्यों में से एक हैं।

ईसाई धर्म में, यीशु मसीह को भगवान का पुत्र और मसीह के रूप में स्थापित किया गया है। उनकी शिक्षाएँ ईसाई धर्म की प्रमुख शिक्षाओं में से एक हैं जो प्रेम, करुणा, समर्पण, समझदारी, और अन्याय के खिलाफ लड़ाई जैसे मुद्दों पर आधारित हैं।

उन्होंने अपने जीवन में अनेक चमत्कार भी किए जो उन्हें एक अद्भुत आध्यात्मिक गुरु बनाते हैं। उन्होंने लोगों को उनके अंतिम समय में भी आशा और उम्मीद दी जब वे मृत्यु के बाद भी जीवित होते हैं।

यीशु मसीह धर्म के इतिहास में एक महान व्यक्ति हैं 

यीशु मसीह कहानी (jesus christ story)

यीशु मसीह की कहानी ईसाई धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। उनकी कहानी उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं से मिलकर बनती है।

यीशु मसीह का जन्म बैतलेहेम में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम मैरी और योसेफ था। उनके जन्म के बाद, एक सितारा दिखाई दी जिसने तीन मगों को इस बात का संकेत दिया कि एक महान धर्मगुरु का जन्म हुआ है।

यीशु मसीह की शिक्षाएँ और उनकी चमत्कारी क्रियाएं लोगों को खींचती थीं और बहुत से लोग उनके अनुयायी बन गए। उन्होंने बहुत से लोगों के दुख दर्द कम किए और उन्हें आध्यात्मिक समझदारी दी।

फिर एक दिन, यीशु मसीह को गिरफ्तार किया गया और उन्हें तीन दिन तक बिना किसी अपराध के बंदी बनाया गया। उन्हें उस समय उम्मीद थी कि उन्हें बचाया जाएगा, लेकिन अंत में उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया गया और वहाँ उनकी मृत्यु हो गई।

लेकिन, यीशु मसीह के मृत्यु के तीसरे दिन वे फिर से जीवित हो गया.

यीशु मसीह के वचन (jesus christ words)

यीशु मसीह के बहुत से मशहूर वचन हैं जो उनकी शिक्षाओं, उपदेशों और उनके जीवन के अनुभवों से प्रेरित हुए हैं। कुछ उनके प्रसिद्ध वचन निम्नलिखित हैं:

"मैं जीवन का रास्ता हूं, सत्य हूं, और जीवन को पाने के लिए मुझसे गुजरना होगा।" (यूहन्ना 14: 6)

"प्रेम करो अपने पड़ोसी से जैसे आप खुद से प्यार करते हैं।" (मत्ती 22:39)

"तुम्हें दूसरों से वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा तुम उनसे चाहते हो कि वे तुमसे व्यवहार करें।" (लूका 6:31)

"जिसने अपने जीवन को खो दिया है उसे मुझ पर भरोसा करना चाहिए ताकि वह जीवन प्राप्त कर सके।" (यूहन्ना 12:25)

"मुझे अनुसरण करो, और मैं तुम्हें जीवन की जटिलताओं से बचाऊंगा।" (यूहन्ना 8:12)

ये उनके अत्यंत प्रसिद्ध वचन हैं जो उनके जीवन और उपदेशों से प्रेरित हुए हैं और उन्हें याद रखने में सहायता करते हैं।

ईसा मसीह की पत्नी (wife of jesus christ)

बाइबल में ईसा मसीह की पत्नी के बारे में कोई विवरण नहीं है। बाइबल में उनके परिवार के बारे में कुछ जानकारी है, जैसे कि उनकी माता का नाम मरियम था और उनके चार भाई और कुछ बहनें थीं। लेकिन ईसा मसीह की पत्नी के बारे में बाइबल में कुछ भी उल्लेख नहीं है। इससे यह नहीं सिद्ध होता कि उनकी पत्नी कभी नहीं थी। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि ईसा मसीह संन्यासी थे जो विवाह नहीं करते थे।

यीशु मसीह कौन सा भगवान है (Which God is Jesus Christ)

यीशु मसीह ईसाई धर्म के मुख्य अवतारों में से एक माना जाता है। ईसाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि यीशु मसीह मनुष्य और भगवान का एक साथ स्वरूप हैं। वे दैवी जन्म से उत्पन्न हुए थे, जिसके फलस्वरूप उन्होंने मनुष्यों को उनकी आत्मिक समृद्धि के लिए दिव्य शिक्षा दी थी। उनकी उपस्थिति और उनके दिए गए उपदेशों से, उन्होंने लोगों को सत्य, प्रेम, उदारता, करुणा और दया के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

यीशु मसीह के संदेश और उनके जीवन के आदर्शों को आज भी लोगों द्वारा माना जाता है और उनकी सद्भावना, प्रेम और शांति का संदेश दुनिया भर के लोगों द्वारा स्वीकार किया जाता है।

ईसा मसीह को फांसी क्यों दी गई (Why was Jesus hanged)

ईसाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि ईसा मसीह को फांसी दी गई थी क्योंकि उन्हें धर्म विरोधी आरोप लगाया गया था। उन्हें धर्म विरोधी माने जाने का मुख्य कारण था कि उन्होंने लोगों को ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को जीवन में जीने की दिशा में उन्नत करने की सलाह दी थी। उन्होंने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक उन्नति के मार्ग बताए थे जो स्थानीय राज्य के सत्ताधारी और पुरोहितों को खतरा महसूस हुआ।

इसके अलावा, उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों का उपयोग कर बहुत से लोगों को ठीक कर दिया था, जिससे स्थानीय चालाकों का धंधा खतरे में आया था। इस प्रकार उन्हें अंतिम अधिकारी द्वारा फंसाया गया था। यह उन लोगों के लिए भी एक धूर्त योजना थी जो उन्हें अपनी सत्ता और साम्राज्य को बनाए रखने के लिए किया गया था।

यीशु मसीह का असली नाम क्या था (What was the real name of Jesus Christ)

यीशु मसीह का असली नाम "यीशु" था। वे ईसाई धर्म के मुख्य अवतार हैं और बाइबिल के अनुसार, उनका जन्म बैतलेहेम में एक बेस्तर में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम मरियम और योसेफ था। यीशु मसीह का जन्म 0 ईसा पूर्व के लगभग 4 से 6 वर्ष पहले हुआ था और वे इस धरती पर लगभग 33 वर्ष तक रहे।

यीशु मसीह जी का किसका अवतार है (Whose incarnation is Jesus Christ)

यह विषय धार्मिक विश्वास के अधीन होता है और भिन्न-भिन्न धर्मों और सम्प्रदायों में भिन्न-भिन्न विचार हो सकते हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि ईसाई धर्म में यीशु मसीह भगवान या देवत्व का अवतार माने जाते हैं जो मनुष्यता के लिए दया, प्रेम और न्याय के प्रतीक थे।

ईसाई धर्म में माना जाता है कि यीशु मसीह मनुष्य और भगवान का एक साथ स्वरूप हैं, जिसने मनुष्यों को उनकी आत्मिक समृद्धि के लिए दिव्य शिक्षा दी। यह मत उन विश्वासों का हिस्सा है, जिन्हें ईसाई धर्म के अनुयायी मानते हैं और यह भी स्पष्ट है कि यीशु मसीह के उपदेशों का अनुसरण करने से हम अपने जीवन में नैतिकता, सद्भावना और आत्मिक उन्नति की ओर प्रगति कर सकते हैं।

बाइबिल में भगवान कौन है (Who is God in the Bible)

बाइबल में भगवान एक और एक ही है। बाइबल में सबसे ज्यादा उल्लेखित तीन पुरुषोत्तम भगवान हैं: पिता (यहोवा), पुत्र (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा। इन तीनों के अलावा, बाइबल में एंगेल और सैतान (शैतान) जैसे दूसरे अधिक शक्तिशाली पदार्थों का भी उल्लेख है।

यहोवा को बाइबल में सर्वशक्तिमान, निरंतर, सर्वव्यापी, अनन्त, अनादि, अमर, निरोध, निर्मल, निर्दोष, दयालु, भलाईकारी, शान्त, न्यायप्रिय आदि विशेषताओं से जाना जाता है।

यीशु मसीह बाइबल में दूसरा व्यक्ति भगवान होता है जो इस संसार में आया था, मनुष्य रूप में पैदा हुआ था, और लोगों को उनके पापों से मुक्ति प्रदान करने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था।

पवित्र आत्मा बाइबल में भगवान का तीसरा रूप माना जाता है, जो यीशु के बाद उनकी जगह लेता है। पवित्र आत्मा को संतों की शक्ति और समर्थन का प्रतीक भी माना जाता है।

क्या यीशु अवतार हो सकता है (Could Jesus be an avatar)

यह धर्म और आस्था पर आधारित है जिस पर आप विश्वास रखते हैं। हिन्दू धर्म में अवतार की अवधारणा है जो इश्वर के आविर्भाव के रूप में व्यक्त होता है। वैदिक धर्म में, अवतार अनेक रूपों में आ सकते हैं।

ईसाई धर्म में, यीशु मसीह यहूदी धर्म का अनुयायी थे जो इस्लाम के पैदाइश से एक हजार साल पहले थे। यीशु मसीह अपने बाप के साथ एक ऊँचे स्थान से इस संसार में आए थे, जो यीशु के अवतार की अवधारणा से अलग होती है।

यह एक विशेष धार्मिक विषय है और इसमें मेरी क्षमता सीमित है। इस सवाल का जवाब आपके विश्वास और धर्म संस्कृति पर निर्भर करता है।

यीशु कौन सा धर्म था (What religion was Jesus)

यीशु ईसाई धर्म के संस्थापक थे। यह धर्म उनके उपदेशों, उनकी जीवन-चरित्र और उनके मृत्यु और उठाने के बाद उनके अनुयायियों द्वारा फैलाया गया था। इस धर्म का मूल उद्देश्य देवता के साथ एक निकट संबंध स्थापित करना, प्रेम और दया का प्रचार करना, और संसार के लोगों की मुक्ति के लिए जीवन की उत्सवी पूर्णता जीना है।

यीशु ने ईसाई धर्म के उपदेशों को नए और आधुनिक तरीकों से समझाने का प्रयास किया, जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित थे। यीशु ने दया, समझदारी, क्षमा, सम्मान, सेवा और सामंजस्य के मूल महत्व को जोर दिया था। उन्होंने लोगों को धर्म और स्वर्ग के बारे में सिखाया था, लेकिन उन्होंने भी सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता और मानवाधिकार के मुद्दों को उठाया था।

ईसाई धर्म में भक्ति, आदर्शों के अनुसरण, प्रेम, सेवा, क्षमा और उन्नति की उपलब्धियों का विस्तार करने की भावना होती है। 

क्या ईसा मसीह भारत आए थे (Did Jesus Christ come to India)

यद्यपि कुछ लोग ईसा मसीह के भारत आगमन के बारे में बोलते हैं, लेकिन ऐसी कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है जो इस दावे को समर्थित करता हो। इसलिए विश्वसनीय तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि ईसा मसीह ने वास्तव में भारत आए थे।

हालांकि, ईसाई धर्म के उदय के दौरान, जब यहूदी और ईरानी ट्रेडर्स भारत आए थे, तब वे अपने धर्म के उपदेशों को साथ लाये थे। इसलिए, कुछ इस बात का सुझाव दिया गया है कि ईसा मसीह के उपदेशों के कुछ हिस्से इस तरह के यात्राओं के दौरान भारत में पहुंच सकते हैं।

इसके अलावा, कुछ विश्वास है कि ईसाई धर्म के उपदेशक तोमस नाम का एक शिष्य भारत आया था और उन्होंने यहां ईसाई धर्म के उपदेशों का प्रचार किया था। लेकिन इसमें भी इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि वह यात्रा ईसा मसीह के जीवन के समय या उसके बाद हुई थी।

यीशु को भगवान क्यों कहा जाता है (Why is Jesus called God)

यीशु को भगवान कहा जाता है क्योंकि उनके उपदेश और जीवन ने उन्हें एक दिव्य अवतार और उद्धारक के रूप में प्रगट किया है। बाइबिल में कहा जाता है कि ईश्वर ने यीशु को अपने पुत्र के रूप में पैदा किया था और वह अपने जीवन में भगवान के रूप में प्रकट हुए थे।

यीशु ने लोगों को अपने उपदेशों के माध्यम से प्रभु की अनंत कृपा, प्रेम और दया का संदेश दिया। वे मरने और जीने के बाद भी अभिव्यक्ति के रूप में अपने अनुयायियों के साथ रहते हैं।

इसलिए, उन्हें भगवान के रूप में समझा जाता है क्योंकि वे ईश्वर के प्रति अपनी अनुशंसा, समर्पण और निष्ठा का प्रतीक थे और उनके जीवन ने इस बात को साबित किया कि ईश्वर हमारे साथ हमेशा रहता है और हमारे जीवन में हमेशा सच्चे प्रेम और दया का संदेश देता है।

यीशु मसीह कैसे दिखते थे (What did Jesus Christ look like)

बाइबिल के अनुसार, यीशु मसीह कैसे दिखते थे इसका कोई सटीक वर्णन नहीं है। हालांकि, उनके बारे में कुछ जानकारी हमें मिलती है।

यीशु को उनके आस-पास के लोगों द्वारा उस समय के साधारण लोगों की तरह देखा जाता था। उनका वस्त्र नैतिकता, आदर्शता और विशुद्धता का प्रतीक था। उन्होंने लंबे बाल, मोटे दाढ़ी और अधिक आकार के नाक के साथ दिखाई दिए हैं।

हालांकि, यह निश्चित नहीं है कि यीशु वास्तव में इस रूप में थे। उनकी दिव्यता उनके शिष्यों के अनुभवों, उनके उपदेशों और उनके जीवन दर्शन से स्पष्ट होती है। उनकी महानता उनके संदेश और कार्यों में थी, जो समाज को उन्नति की और ले जाने के लिए निरंतर प्रेरित करते हैं।

ईसा मसीह के कितने पुत्र थे (How many sons did Jesus Christ have)

बाइबिल के अनुसार, ईसा मसीह के खुद के कोई पुत्र नहीं थे। वे एकाकी थे और उनका कोई पत्नी नहीं थी।

हालांकि, बाइबिल में उनके संबंध में उल्लेखित है कि उनके माँ-बाप जोसेफ और मरियम बेटे याकूब, योसेफ, सीमोन, जुड़ा, यूदा आदि कई बच्चे हुए थे। हालांकि, इन बच्चों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है।

परमेश्वर से बड़ा कौन है (Who is greater than God)

अनंत और अमर होने के कारण, परमेश्वर से कोई भी बड़ा नहीं हो सकता है। हिंदू धर्म में इसे "ब्रह्म" और "परमात्मा" के रूप में जाना जाता है, जबकि इस्लाम और ईसाई धर्मों में इसे "अल्लाह" और "ईश्वर" के रूप में जाना जाता है। सभी धर्मों में, परमेश्वर सबकुछ जानता है, सबका संरक्षक है और सबको निरंतर देखभाल करता है।

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