संदेश

अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Featured post

उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय

चित्र
  उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय ,उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है जो उत्तरी भारत में स्थित है। यह भारत का सबसे आबादी वाला राज्य भी है और गणराज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इसके प्रमुख शहरों में लखनऊ, आगरा, वाराणसी, मेरठ और कानपूर शामिल हैं। राज्य का इतिहास समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता से भरपूर है, और यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। उत्तर प्रदेश का पहला नाम क्या है ,उत्तर प्रदेश का पहला नाम "यूपी" है, जो इसे संक्षेप में पुकारा जाता है। यह नाम राज्य की हिन्दी में उच्चतम अदालत के निर्देशन पर 24 जनवरी 2007 को बदला गया था। उत्तर प्रदेश की विशेषता क्या है ,उत्तर प्रदेश की विशेषताएं विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक स्थलों, और बड़े पैम्पस के साथ जुड़ी हैं। यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है और कई प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का घर है, जैसे कि वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, और प्रयागराज। राज्य में विविध भौगोलिक और आधिकारिक भाषा हिन्दी है। यह भी भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है जो आबादी में अग्रणी है। इसे भी जाने उत्तर प्रदेश की मु

शादी के बाद प्यार की कहानी | love quotes from husband

चित्र
  एक वह ब्यक्ति जिसने एक बड़ी ही खूबसूरती का दीवाना हो चुका था लड़का उस लड़की से किसी तरह से शादी कर लिया। उसके  बाद दोनो के ज़िन्दगी दूर शहर में बहुत ही प्यार से कटने लगी थी। वह उसे बहुत चाहता था इसलिए कभी दोनों में झगड़ा भी नहीं होता था और वह उस लड़की के सुंदरता और चाल चालन का हरदम तारीफ़ किया करता था। किन्तु भगवान् को कुछ और ही मंजूर था  कुछ साल के बाद लड़की का तबियत बिगड़ गया उसका चेहरा खराब होने लगा तकरीबन 6 महीना बीमार रहने के बाद उस लड़की का धीरे-धीरे खूबसूरती बिलुप्त होने लगी। दुःख दर्द से परेशांन हो जाने बाद खुद का चेहरा इस तरह देख उसके दिल में डर बसने लगा कि अगर वह बेसूरत हो गई, तो उसका पति उसे कम चाहने लगेगा और उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत कर पाना उसके लिए कही बहुत बड़ी ही मुश्किल की एव चिंता जनक समस्या बन जाती। ठीक उसी वक्त एकदिन उसके पति को किसी काम के सिलसिले में उसके पति को शहर से बाहर कही दूर जाना पड़ा। उसने जयदा समय ना बिताकर दिन रात एक करके सम्पूर्ण कार्यो को समाप्त कर जब वह घर वापस आ रहा था, ठीक उसी वक्त उसका Accident हो गया। Accident बहुत ही भयानक हो

3 प्रेरणादायक कहानियां हिंदी में | inspirational story for youth

चित्र
  एक पीपल पेड़ पर हंस और एक कौवा साथ रहा करते थे. जोकि हंस एक सरल स्वभाव का एवं दयालु था, वहीं कौवा धूर्तबाज और छिना कपटी था. कौआ  के इस स्वभाव के बावजूद हंस ने अपने सरल स्वभाव के नाते कभी उसका साथ नहीं छोड़ा और वह कई वर्षों से उस पेड़ पर उसके साथ ही रहा था. एक दिन बात है जब एक शिकारी अपने शिकार के तलाश से जंगल में आ गया. वह दिन भर शिकार के लिए यहां वहा  भटकता रहा, लेकिन उसे कोई शिकार प्राप्त न हो पाया शाम भी हो चुका था फिर उसने अंत में थक कर -हार मानकर अपनी तीर-कमान एक ओर रख कर वह आराम करने लगा ठीक उसी पेड़ के नीचे बैठ जाता है जिस जगह  हंस और कौवा का पुराना निवास था. शिकारी थका हुआ था. कुछ ही देर में उसे अलष आ गयी और वह वही पेड़ के निचे गहरी नींद में सो जाता है  नींद में खर्राटे क्यों आते है? जिस पेड़ की छाव में शिकारी खर्राटे मरकर सो रहा था.लेकिन  कुछ देर बाद पेड़ की छाया हटकर दूसरे तरफ चली गयी और शिकारी के ऊपर धूप पड़ने लगती है.उसवक्त हंस ने शिकारी पर धूप पड़ते देखा, तो उसे उस पर दया आने लगी. उसने अपने पंख फैला लिया, ताकि शिकारी को छांव में सो सके. कौवा क्या संकेत देता है कौवे ने जब

नटखट चूहा की कहानी- husband wife and mouse

चित्र
 एक गांव में मियां और मियांइन रहते थे और उनके पास एक बकरी और मुर्गा था कुछ दिन बिता ही था मियां बीबी दोनों घर से बाहर चार पांच दिन के लिए अपने किसी रिश्तेदारों के यहां चले गए उस घर में एक चूहा भी रहता था चोरी चुपके से वह अनाज खा लेता था वही घर में यहाँ वहा रहता था लेकिन जब दिन बीत जाने के बाद वह घर नहीं आये भूखा प्यासा बेतहाशा होकर चूहा वैसे ही रह जाता था लेकिन उस चुहिया को विस्वास था की वह लोग एक ना एक दिन जरूर आएंगे जब वह लोग घर वापस आए साइकिल पर बड़ा झोला देख चूहा बड़ा खुश हुआ शायद हमको भी कुछ खाने पीने का सामान मिल जाये ये लोग लाए होंगे चार-पांच दिन का भूखा हु आज पेट भर कर खाऊंगा लेकिन उस चूहे को नहीं पता था कि वे मिया जी उसी के लिए मौत का सामान लेकर आए हैं चूहा खुश होकर चुपके से देखता रहा फिर देखता है झोले से मियाजी मुसदानी निकालते हैं मुसदानी देखते ही चूहे के होश उड़ गया अब चूहा को समझ में नहीं आ रहा था आखिर मै क्या करू कैसे इस मुसीबत से छुटकारा पाउ चूहा भागते-भागते मुर्गी के पास गया बोला हमारे लिए मुसीबत का सामान घर में आ गया है दिक्क्त की घड़ी आ गई है और घर में मिया जी मुसदानी

क्या शरीर की तलाश में किसी की आत्मा भटक भी रही है | Ghost Stories in Hindi

चित्र
  आज हम आपके लिए real ghost stories in hindi में लेकर उपस्थित हुए है lभूतो और प्रेतों से लिफ्ट इस लेख ghost stories  हिंदी में पढ़ने को पाएंगे  जिसको पढ़ कर आप कभी नहीं डरे हो तो डरने लगेंगे यह एक ऐसी कहानी है जो भूतों प्रेतों  के सारे हरकतों को इसमें बखूबी बताया जाएगा  आप यही  मान कर चलिए की यह real ghost stories यह रियल घोस्ट स्टोरी आसान भाषा में लिखा जा रहा है यह इसलिए है क्योंकि आपको पढ़ने में ज्यादा इंटरेस्ट आए और पढ़ते समय कोई भी दिक्कत ना हो   इसमें आसान शब्दों का इस्तेमाल  किया जा रहा है इस नाते आपको पढ़ने या फिर  समझने में  अधिकतर रूप से  आसानी से हो सके  नमस्कार दोस्तों यह कहानी  सदियों पुरानी है एक दिन एक लड़का जोकि हिमाचल के बद्दी मैं एक कंपनी में काम किया करता था उसको  भूतों और शैतानों पर जरा भी विश्वास नहीं करता था  की भूत प्रेत  होते भी हैं शुरुआत में वह शैतानियां भूत प्रेत यह सब केवल वह दिमाग की भरम जानकार रहता था  काम ज्यादा  बढ़  जाने के कारण में  उसको अपने घर वापस आने में काफी रात हो गई चुकी थी  उस समय अपनी मोटरसाइकिल से आ ही रहा था  तभी रास्ते में उसकी गाड़ी में थोड

हाथो के लकीरो में डमरू के निशान के फायदे देरी ना करे | The mystery of the damaru sign in the hands

चित्र
  भगवान शिव को डमरू अत्‍यंत प्रिय माना जाता है। इससे निकलने वाले नाद  जिस ध्‍वनि को ब्रह्मनाद भी कहा जाता हैं। उसकी ध्‍वन‍ि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार करती  रहती है। जब भी कैलासपति महादेव प्रसन्‍न होते हैं उस वक्त भी और जब नाराज होते है तब भी डमरू बजाते हुए दर्शाये गए  हैं। धर्मशास्‍त्रों की मान्‍यता के अनुशार बताया जाता है कि जिस घर में डमरू होता है  वहा कदापि नकारात्‍मक ऊर्जा का संचार नहीं हो सकता है। उस जगहों पर या फिर उन घर में हमेशा भगवान शिव की कृपा और सकारात्‍मक ऊर्जा का वहा पर निरंतर संचार होता रहता है। इससे अत्‍यंत शुभ डमरू क हस्‍तरेखा शास्‍त्र में भी महत्‍वपूर्ण माना गया है। बताते हैं की जिनके भी हथेली में यह शुभ चिह्न बना होता है, ऐसे लोग काफी भाग्‍यशाली पाए जाते हैं।  साथ ही भोले की कृपा के कारण उनके जीवन में कुछ ख़ास प्रकार की खुशियां आती रहती हैं। आपको यह भी जानना है जरुरी कि हथेली में डमरू का चिह्न होने का क्‍या अर्थ होता है और कहीं यह निशाँन आपके हाथो पर तो नहीं? यदि बृहस्‍पति पर्वत पर हो डमरू का निशान तो क्या होगा  हस्‍तरेखा शास्‍त्र में डमरू को

भगवन भोलेनाथ के साथ डमरू की कहानी | The Mysterious Story of Damru

चित्र
  भगवान शिव शंभू के हाथों में डमरु का  एक रोचक कहानी सृष्टि के शुरू में ही सरस्वती देवी प्रकट  हो गई देवी ने अपनी  वीणा  के स्वर से इस सृष्टि में ध्वन‌ि को जन्म दिया   ठीक उस  वक्त भगवान शिव के नेतृत्व में 14 बार डमरू बजाए और इस  ध्वन‌ि से व्याकरण  एवं संगीत  ताल धन्द का जन्म हुआ शिव शंकर के डमरु का क्या नाम था भगवान शिव शंभू के धनुष का नाम पिनाक से जाना जाता था  जिसको विश्वकर्मा ने ऋषि दधीचि की अस्थियों से तैयार किया था इस सृष्टि के आरंभ में ही ब्रह्रानाद  से जब भगवान शिव शंभू  प्रगट हुए तो  उनके  ही साथ  रज, तम और इसके अलावा 7 गुण  उत्पन्न हुए यही तीनों गुण  शिव शंभू के तीन शूल   यानी  त्रिशूल बने थे डमरु का अर्थ क्या होता है डमरु एक संस्कृत संज्ञा पुलिंग होती है यह   बजाए जाने वाली एक वस्तु के समान होता है यह एक वाद्ययंत्र है जो बीच में पतला रहता है और दोनों सिरों  पर मोटा  आकार का बना होता है   खास रूप से इस  वाद्य के दोनों सिरे पर चमड़े से मढ़ा हुआ होता है  और इसके बीच से दोनों तरफ  डोरी निकाली हुई होती है   जिसके दोनों छोर पर  छोटा-छोटा  कौड़ी बनी होती है या फिर कोई गोली बांध देत

रक्षाबंधन की कहानी | राजा बलि और श्री लक्ष्मी जी के भाई बहन के रिश्ते | Raksha Bandhan ki kahani 2023

चित्र
    रक्षाबंधन संसार का सबसे पवित्र रिश्ता माने जाने वालो मेसे एक है भाई बहन के इस अटूट प्रेम रोह और विश्वास का प्रतीक पावन पर्व रक्षाबंधन की आप सभी को अंनत हार्दिक शुभकामनाएं । हम सब का स्नेह , प्रेम , दुलार सदैव एक दूसरे के प्रति बना रहें इन्ही मंगलकामनाओं के साथ आप सभी को इस पुनीत पावन पर्व की बहुत बहुत हार्दिक बधाई ।  रक्षाबंधन की कहानी अत्यधिक रोचक और अद्भुत मानी जाती है  सावन के  पूर्णिमा को यह त्यौहार मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार इस बार 22 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा  हम और अपने बचपन से रक्षाबंधन के संबंध में हमने  बहुत अधिक कहानियां अलग-अलग तरीके से सुने हैं लेकिन सच यह है  पौराणिक काल से जुड़ी रक्षा बंधन भाई बहन की कहानी  यह वही कहानी है जिसको भारतीय स्कूलों में रक्षाबंधन के समय काफी ज्यादा सुनने को मिलता है और सुनाया जाता है लेकिन आपको पता होगा ही कि  इसके  अलग  हमारे इतिहास में  ऐसे बहुत सारे कई कहानियां  दर्ज हुआ है  जोकि रक्षाबंधन के त्यौहार  की महानता दिखाती है कहानी पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है  भगवान विष्णु से जुडी खास वजह | When and why is Rakshabandhan celebrated?  

पूजा पाठ हिन्दू को क्यों है जरुरी | how to do puja at home

चित्र
  सुबह पूजा करने के फायदे पूजा का संबंध धर्म और संस्कृति एवं भगवान से जुड़ा होता है  अनेको धर्मों  में पूजा अनेक तरीके  और लंबी लंबी विधियां होती हैं जबकि कई धर्मों में बड़े ही सैंपल एवं सरल  तरीके से पूजा अर्चना की जाती है जबकि दक्षिणी एशिया हिंदू सिख  और बौद्ध  जैन  यही चार धर्म यहां के प्रमुख  धर्मों की  जन्मभूमि मानी जाती है रोजाना पूजा करने की विधि  पूजा का  संबंध धर्म संस्कृति और भगवान से मिलती है कई ऐसे धर्म है जिनमें पूजा के आनेको लंबी से लंबी विधियां मानी गई है  जोकि ईसाई और इस्लाम धर्म का जन्म दक्षिण पश्चिम  में हुआ था  इन धर्मों के अनुसार खास तौर पर येरुशलम मक्का और मदीना में  बताया जाता है  इन सभी धर्मों में परमेश्वर के अस्तित्व  धारणा मानी जाती है  वही सिख धर्म में  अनुयायी मुख्य रूप से  गुरु धारणा पर विश्वास करते हैं किंतु इनके धर्मों में  पूजा एवं प्रार्थना  पर विशेष ध्यान दिया जाता है घर में प्रतिदिन पूजा कैसे करें?   पूजा अर्चना की प्रथा अभी  भी  मौजूद है  केवल हिंदू धर्म को छोड़कर  बाकी के सब धर्म का जन्म पिछले कुछ 2600 सालों के भीतर हुआ है हिंदू धर्म  का इतिहास

गौतम बुद्ध की बचपन की कहानी | Gautam Buddha ki Kahaniya

चित्र
एक समय था जब भगवान बुद्ध जेतवन विहार मे रहा करते थे तभी भिक्षु चक्षुपाल हमेशा बुद्ध भगवान से मिलने आया करते थे उनके आने के साथ साथ उनकी दिनचर्या एवं व्यवहार और  गुणों की हमेशा चर्चा होती रहती थी भिक्षु चक्षुपाल बचपन से ही वे अंधे थे 1 दिन बिहार के कुछ भिक्षुओं ने ढेर सारा मरे पड़े कीड़े मकोड़े को चक्षुपाल कुटी के बाहर में देखा और उन सभी ने चक्षुपाल की घोर निंदा करने में जुट गए की उन्होंने इन सभी जीवित प्राणियों का हत्या की है या फिर किसी से करवा दी है   भगवान बुद्ध ने जायदा शोर और भारी निंदा कर रहे उन सभी को अपने पास बुलवाया और पूछने लगे कि क्या आपमें से भिक्षु को किसी ने कीड़ो को मारते हुए किसी ने देखा है तो सभी के सभी ने कहा कि हमने तो नहीं देखा सभी के सभी एक एक करके मुकर जाते है   इसी बात को लेकर भगवान बुद्ध ने उन सभी भिक्षु को  बताया की जैसे आप लोगों में से  किसी ने उन्हें  कीड़े और मकोड़ों को मारते हुए  नहीं देखा ठीक वैसे ही चक्षुपाल ने  भी उन्हें मरते हुए नहीं देखा और उन्होंने कीड़ों को जानबूझकर नहीं मारा होगा इस नाते उन पर अपनी भड़ास निकालना उचित नहीं होगा   तभी सभी भिक्षुओं ने 

ओम का महत्व ओम का अर्थ क्या है | What is the secret behind Om | ॐ शब्द की सम्पूर्ण कथा

चित्र
  हिंदू धर्म में ( ॐ ) एक विशेष ध्वनि का शब्द  माना जाता रहा है  महा तपस्या कर्ताओं ने  जब यह गहरी आस्था में  ध्यान लगाकर सुना तो  उनको संज्ञान हुआ कि कोई  ऐसी ध्यानिया  भी है जो हमेशा सुनाई देते रहते हैं  हमारे शरीर के भीतर भी  और बाहर भी  किसी  भी जगह पर वह ध्वनि  हमेशा जारी रहती है  और  उसे निरंतर सुनने से मन और आत्मा को बड़ी शांति मिलती है परमेश्वर  के बिखरे हुए ध्वनि  सभी ऋषि-मुनियों ने  उसको महसूस  करने के मुताबिक ओम का दर्जा दिया और आगे  चलकर क्या  कहानी है और क्या है रहस्य  जानते हैं अनहद  नाद इसी ध्वनि को अनाहत कहा जाता है अनाहत का यह मतलब होता है जोकि किसी  आहट या फिर किसी चीजों से उत्पन्न होती है  बल्कि  वह खुद स्वयंभू है  इसको  नाद भी कहा जाता है  ओम की ध्वनि एक सशक्त ध्वनि है  जिससे ब्रह्मांड का जन्म हुआ था ॐ  एक ऐसी ध्वनि है जो किसी ने  बनाई नहीं यह एक ऐसा ध्वनि है  जो  इस ब्रह्मांड के  कण-कण में  सामाकर  पूरी तरीके से  मनरक्षित हो चुकी है हर एक इंसान के अंदर यह ध्वनि हमेशा चलती रहती हैं  सूर्य के साथ साथ  और अन्य ग्रहों  से यही ध्वनि  निरंतर  बाहर निकलती रहती है ब्रह्मां

स्वास्तिक हिन्दु धार्मिक कार्यो के लिए क्यों माना गया ख़ास | how to draw swastik correctly

चित्र
स्वास्तिक ( swastik )एक प्राचीन हिन्दू प्रतीक है जो वैदिक संस्कृति में महत्वपूर्ण रूप से प्रयुक्त हुआ है। यह प्रतीक चक्रवात, ब्रह्माण्ड या आदित्य के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत होता है। स्वास्तिक प्रतीक को चार अभिषेकों के माध्यम से बनाया जाता है जो चक्रवात की संकेतना करते हैं। इन चार अभिषेकों को सुंदर संगति का प्रतीक माना जाता है। स्वास्तिक शब्द संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है "सुखी" या "मंगलमय"। यह प्रतीक शुभता, शांति, समृद्धि, सुख, और भगवान के आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके अलावा, swastik को धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। हिन्दू धर्म में, स्वास्तिक धर्म और धर्मचक्र का प्रतीक है, और इसे मंगलमय और शुभ संकेत के रूप में स्वीकारा जाता है। यह धार्मिक समारोहों, पूजाओं और स्थलों पर देखा जा सकता है। हालांकि, आपको यह जानना जरूरी है कि इसका प्रयोग नास्तिक विचारधारा के कुछ उदाहरणों में भी हुआ है, जहां इसे नकारा जाता है या उसका प्रयोग विवशता के रूप में होता है। स्वास्तिक का इस्तेमाल भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक है,