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उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय

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  उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय ,उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है जो उत्तरी भारत में स्थित है। यह भारत का सबसे आबादी वाला राज्य भी है और गणराज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इसके प्रमुख शहरों में लखनऊ, आगरा, वाराणसी, मेरठ और कानपूर शामिल हैं। राज्य का इतिहास समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता से भरपूर है, और यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। उत्तर प्रदेश का पहला नाम क्या है ,उत्तर प्रदेश का पहला नाम "यूपी" है, जो इसे संक्षेप में पुकारा जाता है। यह नाम राज्य की हिन्दी में उच्चतम अदालत के निर्देशन पर 24 जनवरी 2007 को बदला गया था। उत्तर प्रदेश की विशेषता क्या है ,उत्तर प्रदेश की विशेषताएं विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक स्थलों, और बड़े पैम्पस के साथ जुड़ी हैं। यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है और कई प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का घर है, जैसे कि वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, और प्रयागराज। राज्य में विविध भौगोलिक और आधिकारिक भाषा हिन्दी है। यह भी भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है जो आबादी में अग्रणी है। इसे भी जाने उत्तर प्रदेश की मु

मुंशी प्रेमचंद की कार्यस्थान और विरासत | munshi premchand ka jeevan parichay

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 दोस्तों आज हम मुंशी प्रेमचंद की कार्यस्थान और विरासत के बारें में जानेगे की कैसे थे karyathal और  कैसे मिली virashat इन दो पहलुओं पर चर्चा करेंगे      विरासत (legacy of Munshi Premchand)     प्रेमचंद ने अपनी कला के शिखर तक पहुँचने के लिए कई प्रयोग किए।  प्रेमचंद ने जिस दौर में कलम उठाई, उस दौर में न तो उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत थी और न ही उनके सामने विचार और प्रगति का कोई मॉडल था.  लेकिन समय के साथ उन्होंने गोदान जैसे क्लासिक उपन्यास की रचना की जिसे आधुनिक क्लासिक माना जाता है।  उन्होंने खुद चीजों को डिजाइन और आकार दिया।  जब भारत का स्वतन्त्रता आन्दोलन चल रहा था, तब उन्होंने हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं को कथा साहित्य के माध्यम से जो अभिव्यक्ति दी, उसने राजनीतिक उत्साह, उमंग और आन्दोलन को उभार कर उसे शक्तिशाली बना दिया और उनका लेखन भी शक्तिशाली हो गया।   इस अर्थ में प्रेमचंद निश्चित रूप से हिन्दी के प्रथम प्रगतिशील लेखक कहे जा सकते हैं।  1936 में, उन्होंने प्रगतिशील लेखक संघ के पहले सम्मेलन को इसके अध्यक्ष के रूप में संबोधित किया।  उनका यह भाषण प्रगतिशील आंदोलन के घोषणापत्र का आध