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अप्रैल, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय

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  उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय ,उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है जो उत्तरी भारत में स्थित है। यह भारत का सबसे आबादी वाला राज्य भी है और गणराज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इसके प्रमुख शहरों में लखनऊ, आगरा, वाराणसी, मेरठ और कानपूर शामिल हैं। राज्य का इतिहास समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता से भरपूर है, और यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। उत्तर प्रदेश का पहला नाम क्या है ,उत्तर प्रदेश का पहला नाम "यूपी" है, जो इसे संक्षेप में पुकारा जाता है। यह नाम राज्य की हिन्दी में उच्चतम अदालत के निर्देशन पर 24 जनवरी 2007 को बदला गया था। उत्तर प्रदेश की विशेषता क्या है ,उत्तर प्रदेश की विशेषताएं विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक स्थलों, और बड़े पैम्पस के साथ जुड़ी हैं। यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है और कई प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का घर है, जैसे कि वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, और प्रयागराज। राज्य में विविध भौगोलिक और आधिकारिक भाषा हिन्दी है। यह भी भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है जो आबादी में अग्रणी है। इसे भी जाने उत्तर प्रदेश की मु

गुरु हरिप्रसाद और विद्यार्थी की कहानी | how was the disciple

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शहर से दो मील की दूरी पर नदी किनारे हरे - भरे वृक्षों वाले एकलव्य आश्रम की मनमोहिनी छटा सचमुच देखते ही बनती थी । दूर दूर तक एकांत और शांत वातावरण था । आश्रम में केवल उन्हीं बच्चों को प्रवेश दिया जाता , जो हर दृष्टि से योग्य होते थे ।  गुरु हरिप्रसाद जी आश्रम के संचालक थे , जिनका बच्चे बहुत सम्मान करते थे । वह आश्रम के परिसर में बने निवास में ही रहते और वहाँ की व्यवस्था का पूरा ध्यान रखते थे । उनकी मधुलता एक विदुषी , पतिव्रता स्त्री थी । उनका इकलौता पुत्र सौरभ बहुत सुशील और होनहार था ।  आश्रम में कुल पच्चीस विद्यार्थी थे , जिनमें उनका पुत्र भी शामिल था । जयंत उन सबका मॉनिटर था । वह एक निर्धन परिवार से था । उसका पिता सेठ शोभाराम की दुकान पर मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पाला करता था ।  सेठजी के लड़के विक्रम ने इसी आश्रम में प्रवेश ले रखा था । लेकिन उसमें एक कमी थी कि वह जवंत को सदा तिरस्कार की दृष्टि से देखा करता था । एक रोज विक्रम ने गुरुजी से कहा कि उसकी जेब से किसी ने चाँदी का सिक्का चुरा लिया । पूछने पर उसने बताया कि उसका शक जयंत पर है ।  गुरुजी जयंत पर बहुत स्नेह रखते थे । यही नहीं

मेहनत करने से सफलता मिलती है कैसे? | Hard Work Success

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  उस दिन की कहानी है जब एक व्यक्ति सारी दुनिया के सामने एक ऐसी नींव रखी जिसे जानकर आप चकित हैरान हो जाएंगे यह बात हम सभी जानते हैं कि कभी ना कभी हम काम धंधा करने से दर किनारा कस लेते हैं यही सब कारण है जिस नाते हम सभी पीछे रह जाते हैं  परंतु हम में से ऐसे भी लोग होते हैं जो लोग हम लोगों से हटकर काम करते हैं वह लोग यह कभी नहीं देखते कि हमारे पास क्या है बल्कि वह लोग यह सोचते हैं हमारे पास क्या नहीं है और उस चीजों कैसे काम करें की हाशिल कर सके   आइए जानते हैं एक ऐसे इंसान की प्रेरणादायक कहानी  इस समय क्या बात है जब दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति जो थोड़ा पढ़ा लिखा था नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा था एक दिन एक ऑफिस में गया उसको साफ सफाई करने के लिए  कहां गया तो वह बच्चा बहुत गरीब घर परिवार से था उसको नौकरी की सख्त जरूरत थी उसने बड़े ही लगन से सब काम कर डालें  जो मालिक ने उसे बताया था  उसका काम को देख कर मालिक बहुत तेजी से ठहाका मारकर हश पड़ा फिर बोला मै तुम्हारे काम से बहुत खुश हु अपना फ़ोन नम्बर दे जाओ जब अवसक्ता होगी तो हम तुम्हे बुला लेंगे  वह लड़का बोलता है की शाहब हम बहुत गरीब हु मोबाइल च

गाय चरवाह की कहानी | The Story Of The Shepherd And The Cow

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दून घाटी के दक्षिण में भाजरा नाम का एक गाँव है । वहाँ के बासमती चावल विश्व भर में प्रसिद्ध हैं । वहाँ छंगू नाम का एक चरवाहा अपनी बूढ़ी माँ के साथ झोंपड़ी में रहता था । उसकी माँ गाँव के जमींदार के खलिहान में सफाई का काम करती थी ।  रोज सुबह माँ दो रोटी और सब्जी बाँधकर छंगू को दे देती । छंगू सुबह अपने घर से निकल पड़ता । फिर अड़ोस - पड़ोस के दो - तीन गाँवों से गायें इकट्ठी करता । उन्हें जंगल में चरने को हांक देता । छंगू उन्हें पास के जंगल में ले जाता ।  वहाँ एक छोटी नदी बहती थी । वहीं वह दोपहर को नदी किनारे बैठ , रोटी खाता , पानी पीता । शाम को डंगरों के साथ लौटता । गायों को उनके मालिकों के घरों में छोड़ देता । इसके बदले में किसी घर से उसे अनाज , किसी से साग सब्जी , कहीं से तेल - घी , कहीं से गुड़ वगैरह मिल जाता ।  बस , माँ - बेटे की उसी से गुजर - बसर होती । एक शाम छंगू जंगल से गायें चराकर लौट रहा था । उसने देखा , गायों के झुंड में एक सफेद रंग की साफ क - सुथरी गाय भी है । छंगू ने सोचा - ' शायद किसी ने नई गाय ली होगी । पर गाय है किसकी ? किसके घर इस गाय को छोडूं ? चलते है , गाय को उनके घर

उत्तम मनुष्य का परिचय | Story Of King Vishnuvarma

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 उत्तम मनुष्य श्रीपुर के राजा विष्णुवर्मा सहृदय और जिज्ञासु प्रकृति के व्यक्ति थे । उनकी सभा में एक विदूषक भी था । विदूषक का नाम था गौतम । एक शाम राजा वन - विहार के लिए निकले । विदूषक गौतम भी उनके साथ था । राजा विष्णुवर्मा ने विदूषक से पूछा , " बोलो , गौतम ! तुम्हारी दृष्टि में में कैसा मनुष्य हूँ ।  उत्तम मनुष्य की खोज महाराज , आप जैसा उत्तम मनुष्य तो पृथ्वी पर होना दुर्लभ हे ! " विदूषक गौतम ने उत्तर दिया । विदूषक की बात में राजा को अतिशयोक्ति प्रतीत हुई । उन्होंने पूछा , " गौतम , क्या तुम सोचते हो कि मेरे अन्दर कोई बुराई है ? " " महाराज , आपके अन्दर भला कौन - सी बुराई है ? यदि आप किसी पर क्रोधित होते हैं तो उस समय आपकी बात कुछ कठोर अवश्य प्रतीत होती है ,  लेकिन सब जानते हैं कि आपका हृदय मक्खन के समान कोमल है । " गौतम ने विनयपूर्वक कहा । विदूषक गौतम की बात से राजा के मन का समाधान नहीं हुआ । वे सोचने लगे , उत्तम मनुष्य कैसा होता है ? उसके लक्षण क्या है ? उसी दिन के बाद से राजा ने चैन की नींद नहीं लगी ।  वे इन्हीं प्रश्नों पर गहराई के साथ विचार करने लगे । र

राजा और नौकर की कहानी | The cook fired the Englishman

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 उस समय जयपुर रियासत के राजा थे माधोसिंह । एक बार वह घूमने के लिए इंग्लैण्ड गए । महाराजा अपने नौकर - चाकरों सहित एक भव्य आलीशान बंगले में ठहरे । सुबह का समय था । महाराजा बंगले में बैठे अपना काम - काज कर रहे थे । बाहर नौकर आपस में बतिया रहे थे ।  इसी समय महाराजा से मिलने उनका एक अंग्रेज दोस्त आया । अंग्रेज के आते ही सारे नौकर उसकी ओर देखने लगे । अंग्रेज टूटी फूटी मामूली हिंदी जानता था । उसने महाराजा से मिलना चाहा । वह बंगले की सीढ़ियों की ओर बढ़ ही रहा था , तभी मोटे ताजे , हृष्ट - पुष्ट चौथमल चखणा को देखकर थोड़ा ठिठका ।  चखणा के अधनंगे खुले बदन को देख , अंग्रेज़ ने मुसकराते हुए कहा- " क्या कुश्ती लड़ोगे ? " " लड़ लो ! " - चखणा ने उत्तर दिया और उसने अंग्रेज की कलाई पकड़ ली । अंग्रेज कलाई छुड़ाने का प्रयास करता रहा । चखणा उसे कुछ ही देर में खुले मैदान में खींच लाया । मैदान में लाकर उसने अंग्रेज को एक पटखनी मारी अंग्रेज संभल नहीं पाया ।  वह धूल चाटने लगा । बिना समय खोए वह खड़ा हुआ । अपने कपड़ों की धूल झाड़ता हुआ , वह चखणा को बुरा - भला कहने लगा । इस घटना से चखणा और उसके

पुरोहितानी और राजा की प्रेरणादायक कहानी छोटी सी

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काफी वर्ष पहले अवध के एक छोटे - से राज्य में एक बड़े लड़ाकू राजा राज्य किया करते थे । वे अपनी प्रजा में अत्यंत प्रसिद्ध थे । उनको प्रकृति से बहुत लगाव था । उसका बगीचा बहुत शोभायमान था । दूर - दराज से वृक्षों को लाकर उन्होंने अपने उपवन को नंदन वन - सा बना रखा था ।  नन्ही चिड़िया की कहानी उसके बाग में एक बबूल का वृक्ष था । इधर कुछ दिनों से उस पर एक नन्हीं चिड़िया आकर बैठती प्रथम प्रहर से अंतिम प्रहर तक वह कुछ पंक्तियों को बार बार दोहराया करती थी । राजा पक्षियों की बोली थोड़ा-थोड़ा जानते थे।  रात के पहले प्रहर में चिड़िया बोलती थी - " अरे किस मुँह में दूध डालूँ । अरे भाई कोई , आकर हमें " कोई बताए सही ? " रात के दूसरे प्रहर में में भी वह हमेशा बोलती रहती - ' इसके  जैसा हमने कहीं नहीं देख पाई । ' फिर रात के तीसरे प्रहर में भी वह दुखी और उदास स्वर में बोलती - ' अब हम क्या करू  ? कोई बताये न हम क्या करें ? "  राजा हर रात चिड़िया की बातें सुन - सुनकर चिंताग्रस्त हो गया । वह हर पल उन बातों का अर्थ निकालने का प्रयास करता । एक नन्हीं सी चिड़िया ने उसके मन की शांति छीन ल

सुंदरी कन्या और नाग की पूर्वजन्म की कहानी | Story of Sundari Kanya and Nag

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गोरा गाँव में एक विधवा स्त्री गोमती रहती थी । उसकी एक ही बेटी थी । नाम था सुंदरी । वह जन्म से ही गोरी - चिट्टी और सुंदर थी । जब वह शेयांन हो गयी , तब उसके विबाह के लिए बहुत धनी - मानी लोगो रिश्ते आने सुरु हो गए ।  सुंदरी जिस रिश्ते के लिए राजी हुई , माँ ने उसी की हामी भर ली । जिस दिन सुंदरी का शगुन चढ़ा , गोमती को उसी रात सपने में एक फुफकारता हुआ नाग दिखा । अब तो हर रात सपने में यही होता । वह नाग फुफकारकर उसे डसने के बजाए , उसके पैरों में अपना फन रखता ।  फिर उसे उसका वचन याद कराला । गोमती पसीना पसीना होकर डरी - डरी सी उठ बैठती । सुंदरी के बहुत पूछने पर वह केवल इतना ही कहती- " कुछ भी तो नहीं , बेटी । मैं सोच रही हूँ , शादी के बाद जब तू अपनी ससुराल चली जाएगी , तो मैं बिल्कुल अकेली रह जाऊँगी । सुंदरी को माँ ऐसा लाड़ - प्यार भरी बातों से बहला देती । लेकिन उसके ब्याह के दिन जैसे - जैसे समीप आने लगे , गोमती उस नाग के डर से पीली पड़ने लगी । होते - करते सुंदरी का तिलक भी चढ़ गया ।  आखिर लगन मंडप की स्थापना के समय , उस नाग ने सपने में उनकी माँ को यह संकेत भी दी-थी " अगर सुंदरी का विवा

काशी का रहस्य क्या है | Miracles of Kashi Vishwanath

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काशी विश्वनाथ मंदिर में भरत मुनि नाम काफी सिद्ध था महात्मा वही रहा करते थे । एक बार उनको तपोवन सीमा के समीप स्थित जंगल में देवताओं के दर्शन पाने की इच्छा जाग उठी । वे सुबह-सुबह भ्रमण को निकले हुए थे । दोपहर के समय में उन्हें हाराश का महसूस हुआ । एक साथ में पास ही बेर के दो पेड़ थे । उन्हीं के छाया में वह आराम करने लगे ।  एक वृक्ष के नीचे उन्होंने सिर रखा और दूसरे की जड़ में पैर टिका दिए । थोड़ी देर विश्राम के बाद तपस्वी वहाँ से चले गए । बेर के दोनों वृक्ष एक सप्ताह के भीतर सूख गए । सूखने के बाद दोनों वृक्ष एक ब्राह्मण के घर दो कन्याओं के रूप में पैदा हुए । जन्म के कुछ वर्ष बाद भरत मुनि एक विशेषज्ञ के घर के सामने से निकले हुए थे ।  उन्हें देखते ही दोनों लड़कियाँ उनके चरणों में गिर गई । बोली- " महात्मा जी , आपकी कृपा से हमारा उद्धार हुआ है । हमने पेड़ का जीवन त्याग मनुष्य का शरीर मिला है । " भरत मुनि के  समझ नहीं पा रहे थे उनके पकड़ में कुछ नहीं आ रहा था । उन्होंने अजमंजस से बोला- " पुत्रियों , हमने कब और किस प्रकार से तुम पर कृपा की है ? हमें तो इस विषय में कुछ नहीं मालूम ह

बुरा-भला बोलने पर नुकशान | inspirational story of a bull

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  चंद्रपुर के महाराजा महीपाल बड़े प्रतापी थे । उनके राज्य में सभी सुख - शांति से रहते थे । राज्य में हरियाली एवं भरपूर धन - धान्य था । चंद्रपुर के लोग दिन - रात मेहनत करते और अपने राज्य के विकास में लगे रहते । उन्हें महाराजा महीपाल से बहुत स्नेह था । वे महाराजा का बड़ा आदर - सत्कार करते थे ।  इसका कारण यह था कि महाराजा भी बड़े दयालु थे । मनुष्य तो मनुष्य , वह पशु - पक्षियों तक के प्रति किए गए किसी भी तरह के अन्याय को क्षमा नहीं किया करते थे । उनके राज्य में एक किसान था । नाम था हीरा । हीरा के पास एक बैल था । बैल बड़ा बलवान था । हीरा उसे खिलाता भी बहुत था और उसे बेहद प्यार करता था । सुबह होती । हीरा बैल को अपने साथ खेत पर ले जाता । उसे हल में जोतकर खेतों की बुवाई करता ।  फसल तैयार होने का समय आ जाता, तो वह उपज को अपने बैलगाड़ी में लाद लेता , उसे बेचने दूर शहर में ले जाता । वैसे तो हीरा में कोई ख़ास बुराईया नहीं थी । सादा साहियादा जीवन उसका स्वभाव था । पर उसमें एक बुरी आदत थी । जिससे वह जितना ही ज्यादा प्यार करता , उसे उतना ही ज्यादा बुरा - भला कहता ।  जब सुबह होती और वह बैल को हांककर खेत

सोमिया पोखरेल ने किया पावर स्टार पवन सिंह के नाम पर टिप्पणी भड़के लोग | Pawan Singh's audience

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 नेपाली लड़की के टिप्पणी से श्रोता हुए खुराफात देखो भैया जी जब कोई ऐसी बात होगी कि  किसी ऐसे पवार सुपरस्टार (Pawar Superstar) पवन सिंह का मजाक उड़ाया जाएगा तो जाहिर सी बात है कि उनके श्रोता  उन्हें एकदम उन्हीं के भाषा में कुछ ना कुछ ऐसे  टिप्पणी करेंगे की बर्दाश्त से भी बाहर हो जाएगा कि कोई समझ नहीं पाएगा कि कौन क्या कह देगा अब हम क्या करे तो इसी बातों को लेकर हम आज चर्चा करने वाले हैं  भोजपुरी के महानायक पवन सिंह का नाम भोजपुरी जगत में ही नहीं बल्कि हिंदी और अन्य भाषाओं में भी pavan Shinh बहुत सारे लोगो के दिलो पर राज कर रहे लोग उन्हें खूब पसंद किया करते हैं fans of pawan singh  पवन सिंह के दीवाने हो चुके  लड़कियां एवं  लड़के यूपी बिहार बंगाल और अन्य शहरों में पवन सिंह का बहुत  बोलबाला रहता है लोगों को बहुत पसंद आते हैं उनके पिक्चर निकलते ही लोगों का  तांता लग जाता है और लोगों के दिलों में बहुत बखूबी तरीके से भोजपुरी और हिंदी वाले लोगों के जी जान मरते है पवार जी का जो अकड़ है वह और मन में समा जाता है  एक बार ऐसे ही पहले भी पवन  सिंह पर  टिप्पणी करने  वाले का दर्शकों ने खूब गाली गलौज कि

मास्टर और बच्चों की कहानी | naughty kids

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 एक छोटे - से राज्य में विलासपुर नाम का कसबा था । पूरे कसबे में बच्चों के पढ़ने के लिए एक ही स्कूल था ' विद्या मंदिर ' । इसमें अमीर हो या गरीब , सभी प्रकार के बच्चे पढ़ने आते थे । इसकी ख्याति इतनी थी कि आसपास के गांवों या कसबों से भी बच्चे पढ़ने आते थे ।  इस विद्यालय का नाम ऊँचा उठाने में मास्टर आदर्श नारायणजी का बहुत बड़ा हाथ था । वह सही मायने में एक आदर्श शिक्षक थे । वह बड़ी लगन से मेहनत से बच्चों को पढ़ाया करते थे। बड़े बढ़िया बात है उन्हें प्यार भी बहुत किया करते थे । इस कारण पुरे स्कूल में सभी उनसे बहुत प्यार किया करते थे । परन्तु  इधर कुछ महीने से मास्टर आदर्श जी थोड़ा परेशान रहा करते थे ।  उनकी कलास में एक नया बच्चा आ गया था । उस छात्र नाम  ' नवीन था ' । उसको अभिवादन करना तो छोडो , कलास में गुरु जी को प्रवेश करने पर भी वह अकड़कर  शान से अपने ही  सीट पर बैठा हुआ रहता । अन्य छात्रों पर भी अपनी हेकड़ी जमाता । उसके कपड़े व जूते भी काफी कीमती दिखते थे ।  नवीन के बारे में उन्होंने प्रधानाचार्य से पता किया , तो मालूम हुआ कि वह पास के गाँव के एक बहुत बड़े जमीदार चौधरी मगनसि

राजा का बेटा और इंद्रलोक का घोड़ा

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  गंगा नदी के तट पर एक राज्य था - श्यामपुर । एक दिन वहाँ के राजा वीरभद्र का दरबार लगा था । राजा सोने के सिंहासन पर एवं उनके मंत्री चांदी के आसन पर बैठे थे । राजा के पीछे खड़ी दासियाँ चंवर डुला रही थीं ।  राज्य की समस्याओं पर विचार करने के बाद राजा वीरभद्र ने अपने मंत्री से पूछा- " मंत्रिवर , तीनों लोकों में सबसे सुंदर बाग किसने लगवाया है ? " " राजन , इंद्रलोक में नंदन - कानन नामक बाग तीनों लोकों में सबसे सुंदर है । वहाँ सभी देवी - देवता भ्रमण करने के लिए आते है ।  मंत्री ने बताया । राजा ने आदेश दिया- " मंत्रिवर , मैं अपने राज्य में नंदन - कानन से भी सुंदर एक बाग लगाना चाहता हूँ । आप लोग एक अनुपम बाग लगाने का प्रबंध कीजिए । " राजा की आज्ञा के अनुसार देश - विदेश से पौधे मंगवाकर लगवाए गए । उनकी सुरक्षा के लिए कंटीली बाड़ लगवा दी लेकिन इस बात का आश्चर्य हुआ , सुबह से शाम तक पौधे लगवाए गए लेकिन अगली सुबह होते ही वहा से सारे पौधे गायब हो गए ।  कंटीली बाड़ ज्यों की त्यों लगी रही । क्रोध में आकर राजा ने अपने गुप्तचरों को इसका पता लगाने के लिए कहा , लेकिन पौधों के गायब

दो बहनो की कहानी | What actually happened in a tale of two sisters?

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 एक गाँव में एक विधवा रहती थी । उसकी दो बेटियाँ थीं । रोजी और बेंलची । रोजी बड़ी लड़ाकू थी । वह काम - धाम से जी चुराती थी बेंलची भोली और मेहनती थी । सारे दिन काम में जुटी रहती थी । फिर भी माँ हमेशा रोजी का ही पक्ष लेती थी । रोजी को वह बहुत प्यार करती थी , इसलिए उससे कोई काम नहीं करवाती थी । घर के सारे काम बेंलची को करने पड़ते थे । एक बार बेंलची पानी भरने कुएँ पर गई । वहाँ उसने एक बुढ़िया को बैठे देखा । “ रानी बिटिया , थोड़ा पानी तो पिला दे । प्यास से मेरे प्राण निकले जा रहे हैं । " - बुढ़िया ने गिड़गिड़ाकर कहा । " जरूर पिलाऊँगी दादी ! " - कहकर बेंलची बुढ़िया को जल पिलाने लगी । ठंडा पानी पीकर बुढ़िया ने जल पीकर । वह बेंलची को आशीर्वाद देती हुई चली गई । इसी के कुछ दिन बाद माँ बेंलची से नाराज हो गई । उसने उसे खूब पीटा । फिर घर से बाहर निकाल दिया ।  बेचारी बेंलची जाए तो जाए कहाँ ? घर लौटने की हिम्मत नहीं हो रही थी । बाहर कहीं कोई आसरा न था । इसी उधेड़बुन में वह रोती - रोती बस्ती से बाहर चली गई । चलते - चलते सांझ हो गई । उसने देखा - एक बुढ़िया सामने खड़ी है । '  अरे , यह

भ्रमरी देवी की कथा | What is the meaning of Bhramari Mata

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एक बार नारद मुनि घूमते हुए भगवान विष्णु के पास पहुँचे । विष्णुजी शेषशय्या पर आराम कर रहे थे । नारद ने विष्णुजी को प्रणाम किया । विष्णुजी ने उन्हें अपने पास बैठाया । बोले- “ कहो मुनिवर ! यहाँ कैसे आना हुआ ? " नारद मुनि  जिद्द करने लगे “ भगवान , आप हमें भ्रमरी महा देवी की कथा की जान जानकारी देने का कष्ट करें । "  यह सुन , विष्णु भगवान्  बोले- " अच्छा तो ठीक है मुनिवर ! हम आपको देवी भ्रमरी की कथा सुना देता हूँ - काफी समय पहले अरुण नामक   एक दैत्य रहा करता था । वह परम विद्यवान और महा शक्तिशाली हो जाने के बाद देवताओं को जीत कर उन पर राज करना चाहता था । अतः वह हिमालय पर जाकर गायत्री मंत्र का जाप करने लगा । वर्षों तक निराहार रहकर उसने जाप किया । जाप के प्रभाव से उसका शरीर तेजस्वी हो गया । उसका तेज सम्पूर्ण संसार एवं दुनिया में  फैलता जा रहा था। उस राछस के परम  तेज से देवताओ में डर का माहौल छा सा गया था।  वे आपस में विचार - विमर्श कर ब्रह्माजी के पास पहुँचे । इंद्र ने ब्रह्माजी से प्रार्थना की ' प्रभो ! हमें दैत्यराज अरुण के तेज से डर लग रहा है । कृपया हमारे भय को दूर करें