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दिसंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय

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  उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय ,उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है जो उत्तरी भारत में स्थित है। यह भारत का सबसे आबादी वाला राज्य भी है और गणराज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इसके प्रमुख शहरों में लखनऊ, आगरा, वाराणसी, मेरठ और कानपूर शामिल हैं। राज्य का इतिहास समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता से भरपूर है, और यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। उत्तर प्रदेश का पहला नाम क्या है ,उत्तर प्रदेश का पहला नाम "यूपी" है, जो इसे संक्षेप में पुकारा जाता है। यह नाम राज्य की हिन्दी में उच्चतम अदालत के निर्देशन पर 24 जनवरी 2007 को बदला गया था। उत्तर प्रदेश की विशेषता क्या है ,उत्तर प्रदेश की विशेषताएं विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक स्थलों, और बड़े पैम्पस के साथ जुड़ी हैं। यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है और कई प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का घर है, जैसे कि वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, और प्रयागराज। राज्य में विविध भौगोलिक और आधिकारिक भाषा हिन्दी है। यह भी भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है जो आबादी में अग्रणी है। इसे भी जाने उत्तर प्रदेश की मु

नैना देवी मंदिर का रहस्य | Mystery Of Naina Devi Temple

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Naina Devi Temple हिमाचल में कौन सी देवी है? Naina देवी मंदिर का रहस्यमई रहस्य जिसे आप जानकर  हैरान चकित रह जायेंगे वैसे तो नैना देवी मंदिर के रहस्य के बारे में अद्भुत और आश्चर्यजनक बातों को जानेगे ही। नैना देवी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है और ये 51 शक्तिपीठों में से एक शक्ति यह भी प्रसिद्ध है । हिंदू धर्म ग्रंथों की माने तो जहां जहा माता सती के शरीर के अंग और आभूषण गिरे थे वहां वहां शक्तिपीठ बन गए यह पीठ अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये जाने वालो मेसे एक है, वैसे तो तीर्थ स्थल सम्पूर्ण भारत में फैले हुए है । किन्तु हिमाचल प्रदेश में अनेको ऐसे धार्मिक स्थल है जहां श्रद्धालुओं की लम्बी कतार में भीड़ उमड़ती है इन स्थलों मेसे ही एक स्थल माता नैना देवी मंदिर, है  यह जानकर आपको हैरानी होगी की नैना देवी मंदिर शिवालिक पर्वत श्रेणियों की पहाड़ियों पर स्थित एक भव्य मंदिर है । वहा पर जब आप मंदिर में जाएंगे तो आपको यहां स्थित पीपल का पेड़ दिखने लगेगा जो यहां के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जो कई शताब्दी पुराना यह पीपल का पेड़ । मंदिर के मेंन द्वार के दाई और श्री भगवान गणेश और श्री हनुमान

चाचा के आम अमरुद की कथा

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  पहलवान चाचा मुहल्ले के छोर पर रहते थे । उनकी उमर पचास से ऊपर थी , मगर कद - काठी से मजबूत थे । घर में चाची के अलावा कोई था नहीं । दोनों लोगों के लिए उनके बड़े - से आँगन में लगे आम अमरूद के फल और भैंस का दूध काफी था । चाचू को कहि चले जाने के बाद उनके यहां बच्चों की भीड़ उमड़ने लग जाती थी । चाचा की तनी मूछ से डर जाने वाले बच्चे चाची से घुले - मिले गए थे । इस कोने से उस कोने तक सभी आँगन में दौड़ते रहते थे लेकिन बच्चों को चाची कभी कभी आम या अमरूद खाने को देकर भुलवाया करती थीं ।  एक बार चाची मायके गई हुई थीं । चाचा के आंगन में सिंदूरी आम लटक रहे थे । लड़के आमों की ओर लालच भरी निगाह डालकर रह जाते थे । चाचा का स्वभाव कठोर था । लड़के जानते थे , इनसे कुछ मिलने वाला नहीं । कुछ लड़के चाचा के घर गए भी मगर कसरत करते चाचा को देखकर उनकी हिम्मत नहीं पड़ी । उलटे चाचा ने जब पूछा कहो  कैसे हो प्यारे बच्चो तो उनको लगा करता था की चाचा जी हम सभी को धमका डरा रहे हैं ।  लड़के भगवान से मगाते थे कि चाची जल्दी लौट आएँ । बरसात के साथ जब गदागद आम गिरने लगे , तब तो राजू का धीरज टूटने लगा । उसने धीरू और रज्जन से सला

सुनहरी मछली और दीनू की कहानी | Adal - Badal

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 गंगा के तट पर गाँव था सोनाली । वह धोबियों का गाँव था ।सुबह होते ही स्त्री - पुरुष नदी के किनारे कपड़े धोने लगते । उनमें एक धोबी था मंगलू । मंगलू के परिवार में पत्नी और एक बेटा था दीनू । दीनू कामचोर था । एक दिन वह नदी के किनारे बैठा था ।  अचानक उसे नदी में एक सुनहरी मछली तैरती दिखाई दी । उसने सुना था कि सुनहरी मछली धन का खजाना होती है । उसने दौड़कर जाल उठाया । नदी में छलांग लगा दी । उसे सुनहरी मछली को ढूँढ़ने में कोई कठिनाई नहीं हुई । क्योंकि सुनहरी रंग के कारण मछली पानी में दूर - दूर तक दिखाई देती थी । उसके जाल में मछली फँस ही गई ।  वह मछली को ले , गाँव को चल दिया । रास्ते में उसके कानों में एक आवाज सुनाई दी । उसने अपने कान को मछली के पास कर दिए । मछली बोल रही थी- “ हे मानव , तू मुझे क्यों अपने बंधन में लेना चाहता है ? तुम्हारी तरह हमें भी अपनी स्वतंत्रता प्यारी है । मुझे छोड़ दे , नहीं तो मेरा शाप तेरा विनाश कर देगा पर दीनू ने मछली की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया ।  दीनू ने घर आकर काँच के मर्तबान में मछली को रख दिया । आसपास के गाँवों में सुनहरी मछली की चर्चा फैल गई । मंगलू के घर लोगों

खुनी जल हुआ निर्मल | Shabri's biography

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 एक थी लड़की , करीब छह - सात साल उम् , सांवली - सी भोली भाली , सीधी - सादी । उसके पिता ने उस नन्हीं - सी उम्र में उसके ब्याह की तैयारी की । घर में धूम - धाम , बाजा - गाजा , त्यौहार - मेले सा वातावरण उसे खूब अच्छा लग रहा था ।  वह नन्हीं गौरैया - सी चहक चहक कर डोल रही थी । इतने में कुछ हिरन , कुछ खरगोश , कुछ मेमने , कुछ बछड़े घर में लाये गये । लड़की ने पिता से पूछा “ पिताजी , इतने ढेर सारे जानवर क्यों इकट्ठे किये जा रहे हैं ? " बेटी , तू मामूली बाप की बेटी तो है नहीं । तेरा बाप कबीले का सरदार है । तेरी शादी है , सारी बिरादरी को दावत दी गयी है ।  इन जानवरों की बलि दी जायेगी । इनका माँस पकाया जायेगा और बिरादरी वालों को खिलाया जायेगा । पिता की बात सुनकर बालिका का कोमल मन चीत्कार कर उठा - ' हाय , यह कैसी शादी है ? जिसमें इतने बेगुनाह - बेजुबान पशुओं की हत्या की जायेगी ? ' बेचैनी के मारे वह सारी रात सो नहीं पायी ।  यह छोटी - सी निरीह आँखें , यह खरगोश की लाल चमकदार आँखें , यह बछड़े की रोती आँखें । सभी बारी - बारी से उसे दिखलाई पड़ती थीं । सबके एक ही सवाल थे , हमारा क्या कसूर है ,

नौरहनी घाट की रहस्यमय कथा | Story of Naurhani Ghat

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  नौरहनी घाट की कहानी   नौरहनी घाट की एक कहानी यह भी है बस्ती जिले के कुदरहा ब्लॉक  के 3 किलोमीटर दक्षिण में  सरजू नदी   पर नौरहनी  घाट  स्थापित  है यहां की एक  किस्सा बताते हैं  करीब 50 साल पहले यहां पर एक इंसान घड़ियाल बन गया था यह सच की कहानी बताते है जोकि आपको इस पुरे घटना  जानके बहुत हैरानी होगी कि कैसे इंसान घड़ियाल बन गया था   एक इंसान कमाने के वास्ते कमरू  कामाख्या की तरफ गया हुआ होता है वह शादी करने के करीब 4 महीने बाद वह कमाने के  लिए शहर में चला जाता है और एक जगह काम करने लगता है वह तकरीबन लगातार 4 से 5 साल तक वहां पर काम करता है और फिर उसके दिल में जादू  सीखने का चक्कर लग जाता है उसी दिन से ही अपने घर वालों के सम्पर्क से दूर होने लगा घर पर एक अंतरदेसी तक नही भेजा और ना कोई खबर घरपरिवार वालों का लेता है वह वहा पर काफी दिनों तक रह जाता है  थोड़ा बहुत जब जादू सीख लेता है तब यह अपनी जादूगरी इधर-उधर दिखाने लगता है और फिर एक वक्त ऐसा भी आया की जब एक जादूगरनी उसको  अपने बस में कर लेती है और कभी ना घर जाने का उस छोटे जादूगर के ऊपर दबाव बनाने लगाती है वह कुछ दिनों के लिए अपने घर प

लेहड़ा देवी की कहानी | Story of Lehra Devi Temple (Adrauna)

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  इतिहास देवी मंदिर Story of Lehra Devi Temple (Adrauna) इस जनपद का यह ख़ास तीर्थ स्थल है यह स्थान फरेंदा तहसील मुख्यालय से ब़जमनगंज  की ओर पॉच कि0मी0 चलकर सड्क पार  02 पश्चिम जाकर पहुचा जाता है  प्राचीनकाल में यह स्थल आद्रवन नामक घने जंगल से घिरा हुआ था  यहाँ पवह नामक प्राचीन नदी भी बहती थी जो की अब यहां भठ कर इसकी चौड़ाई कम हो चुकी है  लेहडा देवी मंदिर बनदेवी दुर्गा का यह पवित्र मन्दिर अवस्थित है  लोकश्रुति एवं धार्मिक मान्यतायों की माने तो इस देवची मन्दिर की स्थापना महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास वक्त में स्वयं अर्जन ने इस महा देवी की स्थापना किया था यही वह धार्मिक स्थल है जोकि प्राचीन समय में इसका नाम ( अदरौना देवी मादिर ) हुआ करता था  लेहड़ा दुर्गा मंदिर जो वर्तमान में लेहडा देवी मन्दिर के नाम से विख्यात हुआ है  प्राचीन लोक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास की अधिकांश अवधि यही सघन ‘आर्द्रवन’ में व्यतीत की  इसी जंगल है यहां अर्जुन ने वनदेवी की अराधना किया था उनके अर्चना से खुश होकर माता वनदेवी  दुर्गा स्वरुप भगवती ने अर्जुन को अनेको आमोक्छ शक्तियां

हार से जीत तक की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है? | There is victory in front of defeat but short story

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दोस्तों हर किसी का एक ऐसा समय आता है कि जब वह  हर एक काम टाइम से करता है तो उसको सफलता जरूर मिलती है  अन्यथा यह बहुत मुश्किल हो जाता है   इस समय  का ध्यान देना  आवश्यक हो जाता है जबकि समय बहुत मूल्यवान होता है यह अमूल्य समय   का पालन करना चाहिए यही समय एकमात्र जरिया है जिससे व्यक्ति को अनेकों महारथ हासिल हो जाते हैं   हर एक व्यक्ति के अंदर होना चाहिए  वक्त किसी के लिए कभी रुकता नहीं और ना ही किसी के सामने झुकने वाला है जिससे हर एक इंसान को समय और उसके बताए गए नियमों का पालन करके अपना कार्य करना चाहिए  जैसे कि हर एक इंसान कुछ ना कुछ  बनना चाहता है कुछ अलग सोचता  रहता है कभी उसको कामयाबी मिल भी जाती है और  कभी कभार ऐसा भी होता है उसके हाथ ना कामयाबी लगती है दोस्तों आज हम इसी पर आगे चर्चा करने वाले हैं जिसको जानकर आप पर  सोचने पर मजबूर हो सकते हैं भारत में गरीबी  एक लड़की रीमा से जो अपनी गरीबी के कारण  उसने दिल्ली शहर में जाकर  एक मॉल में  काम करने  लगी उस मॉल में उसको साडे ₹12000 में  उस मालिक ने  उसको देने का वादा किया  अब वह समय से करीब  15 मिनट 20 मिनट पहले ही पहुंच  जाया करती थी   वह