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जुलाई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय

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  उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय ,उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है जो उत्तरी भारत में स्थित है। यह भारत का सबसे आबादी वाला राज्य भी है और गणराज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इसके प्रमुख शहरों में लखनऊ, आगरा, वाराणसी, मेरठ और कानपूर शामिल हैं। राज्य का इतिहास समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता से भरपूर है, और यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। उत्तर प्रदेश का पहला नाम क्या है ,उत्तर प्रदेश का पहला नाम "यूपी" है, जो इसे संक्षेप में पुकारा जाता है। यह नाम राज्य की हिन्दी में उच्चतम अदालत के निर्देशन पर 24 जनवरी 2007 को बदला गया था। उत्तर प्रदेश की विशेषता क्या है ,उत्तर प्रदेश की विशेषताएं विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक स्थलों, और बड़े पैम्पस के साथ जुड़ी हैं। यह भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अहम भूमिका निभाता है और कई प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का घर है, जैसे कि वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, और प्रयागराज। राज्य में विविध भौगोलिक और आधिकारिक भाषा हिन्दी है। यह भी भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है जो आबादी में अग्रणी है। इसे भी जाने उत्तर प्रदेश की मु

गुड़िया कितनी तारीख को है 2022 | when is the festival of dolls

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नागपंचमी का पर्व यूँ तो हर एक वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाया करता है लेकिन उत्तर प्रदेश में इसे मनाने का ढंग कुछ अनोखा होता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी वाले दिन को इस त्योहार पर राज्य में गुडि़या को पीटने की निराला परम्परा होती है  नागपंचमी को महिलाएँ घर के पुराने कपडों से गुड़िया बनाकर उसे नदी या तालाब में डालती हैं और सभी बच्चे उन्हें डंडों और कोड़ा बनाकर उसे पीटकर बहुत खुशियां  मनाते हैं। इस पर्व की शुरूआत के बारे में एक कहानी खूब प्रचलित है। गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती कब है | What is the name of the autobiography of Tulsidas तक्षक नाग राज के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो जाती है । कुछ वक्त बीतने पर तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में ब्याह दी गई। उस नाग कन्या ने अपने ससुराल में एक महिला को यह रहस्य बता दिया लेकिन उसने इस बारे में किसी को भी नहीं बताने के लिए बोली थी परन्तु औरतो को कहा बात पच पाती है उस महिला ने दूसरी महिला को यह रहस्य के बारे में बता दी फिर उसने भी यह राज किसी और से ना बताने के लिए कसम धराकर बता दिया । लेकिन यह बा

Kajari Teej: कजरी तीज व्रत कब? जानें शुभ मुहूर्त तिथि, पूजा विधि और महत्व

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Kajari Teej 2022 सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी कन्याएं भी कजरी तीज का व्रत किया करती हैं। यह त्योहार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। अबकी वर्ष अगस्त महीनें में यह व्रत पड़ रहा है। जानें तिथि पूजा विधि और महत्व। Kajari Teej 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का त्यौहार रखा जाता है। इसे बूढ़ी तीज, सातुड़ी तीज जैसे नामों से भी माना जाता है। इस दिन माता पार्वती अथवा  भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। कजरी तीज के शुभ मौके पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक भविष्य के लिए निर्जला उपवास किया करती हैं। शाम को चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं। जानिए कजरी तीज त्यौहार के तिथि, शुभ मुहूर्त और इसके महत्व। कजरी तीज 2022 की शुभ मुहूर्त कजरी तीज की तिथि- 14 अगस्त 2022, दिन रविवार को होगा. भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ- 13 अगस्त, शनिवार की करीब रात 12 बजकर 53 मिनट से प्ररम्भ होगी. तृतीया तिथि समापन - 14 अगस्त, रविवार की रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगा

Raksha Bandhan: रक्षाबंधन कब है राखी बंधन कितने तारीख को है बहनों को मिलेगा बस इतना समय

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रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो भारत में हर साल श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्यार और संबंधों की महत्वपूर्णीयता को मनाने का एक उपयुक्त तरीका है। इस मौके पर, बहन अपने भाई की लड़ी की माला बांधती है और उसकी रक्षा करने की कामना करती है। रक्षाबंधन का शब्द अर्थ 'रक्षा' और 'बंधन' से आया है, जिसका मतलब होता है 'रक्षा की बंधन'। इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा राखी होती है, जो बहनें अपने भाइयों की हाथों में बांधती हैं। इसके साथ ही, वे भाई से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं और उनकी खुशियों की कामना करती हैं। रक्षाबंधन की कहानियाँ भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। प्रमुख कथा में रानी कर्णावती के महाराणा प्रताप के लिए आवश्यक रक्षा रखने की कहानी है। इस पर्व का उद्देश्य परिवार के सदस्यों के बीच प्यार, समझदारी और समर्पण को मजबूती देना है। यह भाई-बहन के प्यार के आदर्श को प्रकट करता है और उनके आपसी संबंधों को मजबूती देता है। समाज में यह पर्व भाई-बहन के प्यार और संबंधों को मजबूती देने के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों की ओर एक कदम

Skanda Shashti : स्कन्द षष्ठी अपने बाल बच्चो के के समृद्धि के लिए करे ऐ व्रत होगी भविष्य उज्वल

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  स्कंद षष्ठी 2022 (skanda sashti) के व्रत में शिव पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय का पूजा अर्चना किया जाता है। कार्तिकेय के पूजन से रोग, राग, दुःख और दरिद्रता का निवारण के लिए माना जाता है।अनुयायीहिन्दू और प्रवासी भारतीयतिथिकार्तिक महीना, कृष्ण पक्ष की षष्ठी वाले दिन से ।संबंधित देवता कार्तिकेय पौराणिक उल्लेख स्कंद पुराण में नारद-नारायण संवाद में संतान प्राप्ति अथवा संतान की पीड़ाओं का शमन करने वाले इस व्रत का विधान होता है।संबंधित लेखशिव-पार्वती, तमिलनाडु अन्य जानकारी कार्तिकेय की पूजन मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिलनाडु में हुआ करती है। भगवान कार्तिकेय के बहुत प्रसिद्ध मंदिर तमिलनाडू राज्य में  स्थित हैं। Raksha Bandhan Date: कब है रक्षा बंधन? राखी बंधन कितने तारीख को है बहनों को मिलेगा बस इतना समय स्कन्द षष्ठी का व्रत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी दिन को किया जाता है। 'तिथितत्त्व' ने चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को 'स्कन्द षष्ठी' बताया जाता है। यह व्रत 'संतान षष्ठी' नाम से भी जाना गया है। कुछ ब्यक्ति आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी वाले

संवत्सरी पर्व क्यों मनाया जाता है | मिच्छामी दुक्कड़म कब है | When is Samvatsari Mahaparva

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क्षमा, अहिंसा और मैत्री का पर्व होता है संवत्सरी। संवत्सरी पर्व पर जैन धर्मावलंबी जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए एक-दूसरो से क्षमा मांगा करते हैं। गौरतलब है कि जैन धर्म के श्वेतांबर पंथ में पर्युषण पर्व संपन्न हो जाते हैं और क्षमावाणी दिवस मनाया जा रहे है।  संवत्सरी पर्व : मिच्छामी दुक्कड़म' बोलकर करें प्रायश्चित जैन धर्म की परंपरा के अनुसार पर्युषण पर्व के अंतिम दिन क्षमावाणी दिवस पर सभी एक-दूसरे से 'मिच्छामी दुक्कड़म' बोलकर क्षमा मांगते हैं, इसके साथ ही यह भी बताया जाता है कि मैंने मन, वचन, काया से जाने-अनजाने अगर आपका दिल दुखाया हो तो मैं हाथ जोड़कर आपसे क्षमा चाहता हूं। • संवत्सरी पर्व : 'मिच्छामी दुक्कड़म' बोलकर मांगें क्षमा... • संवत्सरी : क्षमा, अहिंसा और मैत्री का पर्व होता है  जैन धर्म के अनुसार 'मिच्छामी' का भाव क्षमा करने का होता है अथवा 'दुक्कड़म' का अर्थ होता है गलतियों से होता है अर्थात हमारे द्वारा जाने-अनजाने में की गईं गलतियों के लिए हमें क्षमा कर दीजिए।  Skanda Shashti : स्कन्द षष्ठी अपने बाल बच्चो के के समृद्धि के लिए करे ऐ व्रत हो

Rishi Panchami: ऋषि पंचमी की कहानी, जानिये व्रत कथा और पूजा | Rishi Panchami VART story

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  Rishi Panchami fasting story : ऋषि पंचमी कथा- सतयुग में विदर्भ नगरी में श्येनजित नाम का राजा हुए थे। वह ऋषियों के बिलकुल समान थे। उन्हीं के राज में एक कृषक सुमित्र रहा करता था। उसकी पत्नी जयश्री अत्यंत पतिव्रता थी।    एक समय वर्षा ऋतु में जब उसकी पत्नी खेती के कामों में लगी रहती है, तो वह रजस्वला हो गयी। उसको रजस्वला होने का पता जब लग गया फिर भी वह घर के कामों में लगी रहती थी । कुछ समय बाद वह दोनों स्त्री-पुरुष अपनी-अपनी आयु भोगकर मृत्यु को प्राप्त हो गए । जयश्री तो कुतिया बन गई और सुमित्र को रजस्वला स्त्री के सम्पर्क में आने के वजह से बैल की योनी मिल गयी, क्योंकि ऋतु दोष के अतिरिक्त इन दोनों ने कोई अपराध नहीं किया था।    इसी वजह इन दोनों को अपने पूर्व जन्म का सम्पूर्ण  विवरण याद रह रह गया । वे दोनों कुतिया और बैल के रूप में ठीक उसी नगर में अपने बेटे सुचित्र के यहां रहने लगते है। धर्मात्मा सुचित्र अपने अतिथियों का पूर्ण सत्कार किया करता था। अपने पिता के श्राद्ध के दिन उसने अपने घर बहुत सारे ब्राह्मणों को भोजन के लिए नाना तरह के भोजन बनवाए।    संवत्सरी पर्व क्यों मनाया जाता है |

Nag Panchami: नागपंचमी वाले तिथि को किया जाता है नागों की पूजा, जानें ये है पूजा के बेहतर विधि और कथा

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2023 में नाग पंचमी 7 अगस्त, सोमवार के दिन मनाई जाएगी।  नाग पंचमी एक हिंदू त्योहार है जो सांपों या नागों की पूजा करने के लिए समर्पित है।  यह श्रावण के हिंदू महीने के उज्ज्वल आधे के पांचवें दिन मनाया जाता है।  इस दिन, लोग सांपों की मूर्तियों या जीवित सांपों को दूध, मिठाई और फूल चढ़ाते हैं ताकि सांप के काटने से उनका आशीर्वाद और सुरक्षा मिल सके।  नाग पंचमी भारत के कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जैसे कि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान, जहां सांपों को उर्वरता और पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।  त्योहार भी सहयोगी है  Nag Panchami 2023 Puja Vidhi: हिंदू संस्कृति में विभिन्न महत्वपूर्ण दिनों में, नाग पंचमी का दिन एक विशेष महत्व रखा करता है. यह दिन नाग देवता की पूजा अर्चना करने से काल सर्प दोषों से मुक्ति मिल जाती  है. नाग पंचमी का त्यौहार नागपंचमी पर जानिए नागों की पूजा करने का बेहतर तरीका Nag Panchami 2022 Puja Vidhi in Hindi: नागपंचमी हिंदू संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण दिनों में से एक गिनी और मानी जाती है, नागपंचमी सावन महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन पड़ती है. 

सावन सोमवार व्रत क्यों रखा जाता है, जानें सावन के महीने में व्रत रखने से क्या होता है | What to do and what not to do on the four Mondays of Sawan

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 सावन का सोमवार शिवजी की उपासना के लिए बेहद  उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। हिन्दु पंचांग में श्रावण महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये इस पूरे महीने को शुभ माना गया है। भगवान शिव को खुश करने के लिये भक्त श्रावण मास के दौरान विभिन्न-विभिन्न व्रत उपवास रखते हैं। श्रावण महीने को उत्तर भारतीय राज्यों में कावर यात्रा  के रूप में भी जाना जाता है। श्रावण मास के दौरान पड़ने वाले सारे सोमवार, व्रत के लिये बहुत शुभ माने जाते हैं और श्रावण सोमवार या सावन सोमवार व्रत के रूप में जाना जाता हैं। अनेको भक्त सावन महीने के पहले सोमवार से लेकर सोलह सोमवार या सोलह सोमवारी उपवास भी किया करते हैं। Nag Panchami: नागपंचमी वाले तिथि को किया जाता है नागों की पूजा, जानें ये है पूजा के बेहतर विधि और कथा  सावन माह में पड़ने वाले सोमवार को  सुबह-सुबह जल्दी में उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहन लें । पूजा स्थान की सफाई कर लें । भोलेनाथ के सामने आंख बंद कर शांति से बैठें और व्रत का संकल्प ले लें । केवल दिन मे

Andal Jayanti: जानें अंदल जयंती का महत्व, अनुष्ठान शुभ समय और लाभ

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  अंदल जयंती ‘ देवी अंदल’  को समर्पित की हैं. ऐसा भी माना जाता हैं कि देवी अंदल धन की महादेवी लक्ष्मीजी  का अवतार थी. यह जयंती एवं त्यौहार देवी अंदल के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता रहा हैं. यह तमिल महीने  ‘आदि’  में मनाया जाता हैं, यहीं वजह हैं कि इसे  आदि पूरम  भी बताया जाता हैं. अंदल जयंती, आदि पुरम कब मनाई जाती है (Aadi Pooram Date 2022) " Andal thirukalyanam 2022 date near chennai Tamil nadu अबकी साल आदि पूरम की तारीख 1 August 2022 को होना है. आदि पूरम देवी शक्ति को भी समर्पित होता हैं और ऐसी माना जाता हैं कि इस तिथि को देवी शक्ति धरती पर आया करती हैं और अपने भक्तों को आशिर्वाद प्रदान किया करती हैं. हिन्दू नक्षत्रों के माने कुल 27 नक्षत्रों में से  ‘पूरम’  भी एक नक्षत्र होता हैं. How to celebrate Aadi Pooram in Tamil Andal Jayanti: अंदल जयंती तमिलों के बीच प्रमुख और बेहद महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक होता है। यह देवी अंदल को समर्पित प्रमुख त्यौहारों में से एक होता है, जो भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी के अवतार है। अंदल जयंती वाले तिथि को देवी अंदल

Sawan Ganesh Chaturthi: सावन की विनायक चतुर्थी कब? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन के पूर्ण विधि अथवा कथा

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  Sawan Vinayak Chaturthi 2022: सावन की विनायक चतुर्थी का उपवास 1 अगस्त 2022 को अबकी बार रखा जा रहा है. इस दिन गणपति भगवान्  की पूजा से सभी बाधाएं खत्म हो जाया करती है और जीवन खुशहाल हो जाता है. चलिए जानते हैं मुहूर्त और उसके महत्व सावन विनायक चतुर्थी 2022 मुहूर्त अथवा पूजा विधि विधान  गणेश चतुर्थी की पूजा कैसे की जाती है Sawan 2022 ke Vinayak Chaturthi २०२२: सावन का हर दिन शिव जी को समर्पित होता है. इस महीने में महादेव के साथ-साथ देवी पार्वती की पूजा के लिए हर एक मंगलवार को मंगला गौरी का उपवास(vart) रखा जाता है ठीक उसी प्रकार से  शिव-पार्वती के पुत्र गजानन की भी दो ख़ास विशेष तिथियों पर आराधना याचना की जाती है. हर माह में दो चतुर्थी आया करती है. जैसे संकष्टी अथवा विनायक चतुर्थी. Andal Jayanti: जानें अंदल जयंती का महत्व, अनुष्ठान शुभ समय और लाभ सावन महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी दिन को विनायक चतुर्थी मनाने की परम्परा चलती आ रही है. अबकी बार सावन की विनायक चतुर्थी का vart 1 अगस्त 2022 (Sawan Ganesh Chaturthi 2022 date) को रखा जा रहा है. इस दिन गणपति बप्पा की पूजा याचना  और vart करने से

सावन मास की अमावस्या कब है जाने: श्रावण अमावस्या शुभ मुहूर्त कब से सुरु होंगे उसके बाद आपको करना है ऐ कार्य | Significance of Shravan Amavasya

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हिन्दू  पंचांग की मान्यता अनुशार श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या भी कहा जाता है, क्युकी इसी मास से सावन महीने की शुरुआत हो जाती है इस नाते इसको हरियाली अमावस्या भी कहा करते हैं। प्रत्येक अमावस्या की जैसा ही श्रावणी अमावस्या पर भी पितरों के शांति के लिए पिंडदान अथवा दान-धर्म करने का महत्व माना जाता है। श्रावण अमावस्या 2022 2022 में श्रावण अमावस्या कब है? 28 जुलाई, 2022 (गुरुवार) श्रावण अमावस्या 2023 में श्रावण अमावस्या मुहूर्त , जुलाई 27, 2022 में 21:13:42 से अमावस्या सुरु होगा जुलाई 28, 2022 को 23:26:14 पर अमावस्या समापन होगा Sawan Ganesh Chaturthi: सावन की विनायक चतुर्थी कब? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन के पूर्ण विधि अथवा कथा  श्रावण अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म सावन महीने में बारिश के आगमन होने वजह से धरती का कोना-कोना हरा-भरा होकर खिल जाता है। और श्रावण अमावस्या पर सभी पेड़-पौधों को नया जीवन मिल जाया करता है और उन सभी पौधों के वजह से ही मानव जीवन सुरक्षित रहा करता है, इसलिए प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व होता है। इन दिनों किये जाने वा

अन्वाधान अमावस्या का पर्व जिससे आप होंगे खूब लाभ जानें: इसके महत्व | what is anvadhan

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  Anvadhan: वैष्णव सम्प्रदाय के लिए अन्वाधान बेहद ही महत्वपूर्ण दिन के रूप में माना जाता है। वैष्णब सम्प्रदाय विष्णु भगवान के भक्त हुआ करते हैं। यह तिथि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के तिथि में मनाई जाती है। और कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि को भी यह मनाई जाती है। अन्वाधान पर्व का महत्व या लाभ। 1. अन्वाधान अमावस्या का ख़ास महत्व पितृ पूजन के लिए भी होता  है। 2. अन्वाधान अमावस्या की  पूजा, याचना  के बाद मांगी हुई हर एक कामना पूरी हो जाती है। आज का दिन पितृ के लिए बेहतर दान पुण्य की परंपरा के लिए भी माना जाता है।  की आज के दिन दिए गए दान पूर्ण रूप से पिता के आत्मा तक पहुंच जाती है। इसलिये अन्वाधान अमावस्या की पूजा को संपन्न करने की जरूरत होती है जिससे हमरे घर आगन में सुख समृद्धि विखरने लगती है सभी खुशहाल जीवन जीने लगते है।. सावन मास की अमावस्या कब है जाने: श्रावण अमावस्या शुभ मुहूर्त कब से सुरु होंगे उसके  बाद आपको करना है ऐ कार्य | Significance of Shravan Amavasya  This page is about Hindi Meaning of अन्वाधान to answer the question, "What is the Meaning of अन्वाधान in Hindi, (अन्वाधान ka

Hariyali Teej: हरियाली तीज के मौके पर कब बन रहा बेहतर संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व

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  Hariyali Teej 2022 Date and Muhurat: सावन में अनेक व्रत त्योहार आ जाते हैं। लेकिन धार्मिक मान्यताओं की माने, सावन को पूजा-पाठ और व्रत के लिए सबसे उत्तम मास माना गया है। हरियाली तीज का क्या मतलब होता है Hariyali Teej 2022 Date and Muhurat: सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाया करता है। हरियाली तीज का त्योहार नाग पंचमी से दो दिन पहले ही मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा करती हैं। हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और  माँ  पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। इस तीज को छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज अबकी बार 31 जुलाई, रविवार को मनाये जाने का सौभाग्य प्राप्त होगा । अन्वाधान अमावस्या का पर्व जिससे आप होंगे खूब लाभ जानें: इसके महत्व | what is anvadhan भगवान शिव व माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक- हरियाली तीज का व्रत कब है हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं माता पार्वती की पूजा अर्चना किया करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन के लि

Lokmany Bal Gangadhar Tilk Ki Jayanti: बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य क्यों कहा जाता है?

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 लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती,Birth anniversary of Lokmanya Bal Gangadhar Tilak भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में बाल गंगाधर तिलक का नाम बड़े ही मान सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी से छुटकारा दिलाने में वे  महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता आंदोलन में तिलक की भूमिका का खुलकर  उल्लेख करें लोकमान्य तिलक का स्वतंत्रता आन्दोलन में अतुलनीय योगदान रहा है। उन्होंने अपना जीवन का हर एक पल  राष्ट्र के नाम समर्पित कर क्रांतिकारियों की एक वैचारिक सिढ़िया तैयार कर दी । उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध स्वराज्य की आवाज बुलंद कर दी और "स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसको लेकर ही रहूँगा" के नारे से देश में साहस व विश्वास जगा दिया । Hariyali Teej: हरियाली तीज के मौके पर कब बन रहा बेहतर संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व बाल गंगाधर तिलक का नारा क्या है? लोकमान्य तिलक ब्रिटिश राज के समय स्वराज के सबसे पहले अथवा मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी भी सिद्ध हुए थे। उन्होंने मराठी भाषा में दिया

Darsh Amavasya Vrat 2022: जीवन में भर जयेगी खुशियां बस दर्श अमावस्या के दिन करें ये काम, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

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  Darsh Amavasya Vrat 2022: दर्श अमावस्या के दिन जो लोग चंद्रमा की पूजा याचना करते हैं, उन पर  चंद्र देव की विशेष कृपा बनी रहती है. चंद्रदेव उनकी प्रार्थना को सुनकर उनके सारी मनोकामना पूरा किया करते हैं. दर्श अमावस्या 2022 व्रत Darsh Amavasya Vrat 2022: दर्श अमावस्या के दिन आसमान में चंद्रमा दिखाई नहीं दिया करती है. इस दिन पूर्वजों की पूजा अर्चना भी रिवाज होता है और इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना अनिवार्य माना जाया करता है. ऐसी मान्यता भी है कि दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya Vrat 2022) के दिन पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आया करते हैं और अपने परिजनो को आशीर्वाद दिया करते हैं. इसलिए इस दिन पूर्वजों के लिए प्रार्थना किया जाता है. दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya Vrat 2022) को श्राद्ध अमावस्या के नाम से भी जानते  है. पित्र दोष से छुटकारा पाने हेतु दान पुण्य करना बहुत ही शुभ माना गया है. दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya) 28 जून 2022 को मनाई जा रही है .यह  दिन मंगलवार रहेगा हर माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya) रूप में माना जाता है. ज्योतिष काल गणना के हिसाब से दर्श अमावस्या

इस्लामी नया साल आपको मुबारक | lots of information about islam | Happy Islamic New Year in Hindi 2022

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इस्लामिक नया साल मुबारक - इस्लाम न्यू ईयर की मुबारकबाद देते है ! इस्लामी नया साल जिसे अल-हिजरा या अरबी न्यू ईयर के नाम से भी जाना गया  है। यह एक नए इस्लाम धर्म के कैलेंडर वर्ष सुरु हुई है उसको यह चिह्नित करता है। Islamic New Year मुहर्रम के पहले दिन से शुरू हो जाता है। साल मुहर्रम के पहले दिन से इस्लामी कैलेंडर के अनुसार पहला महिना होता है।  इस पोस्ट में हम इस्लामी न्यू ईयर के बारे. में जानकारी करेंगे - Islamic New Year 2022 की हिंदी जानकारी आपके लिए शेयर कर रहे है। Happy Islamic New Year 2022 Information Hindi. इस्लामी नए साल की तारीख शुरुआत हर वर्ष बदलती रहती है यह इसलिए क्योकि इस्लामी कैलेंडर सौर कैलेंडर की तुलना में 11 दिन कम माना जाता है। मुहर्रम के एक दिन पहले Maal Hijrah या इस्लामीओ का  नव वर्ष मनाया जाया करता है। यह एक नए साल के जश्न की तुलना में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम माना जाता  है। मुस्लिम धर्म में रहने वाले लोग शांति अथवा दुआओं के साथ इस्लामिक न्यू साल का स्वागत किया करते हैं। Darsh Amavasya Vrat : जीवन में भर जयेगी खुशियां बस दर्श अमावस्या के दिन करें ये काम, जानें तिथि और