डाकिया आया है । डाकिया आया है । " बच्चे चिल्लाते हुए साइकिल के पीछे भाग रहे थे । पीले रंग के घर के सामने डाकिया रुक गया । बंद दरवाजे के नीचे वह एक छोटा - सा सफेद लिफाफा डाल गया । चिट्ठी आई थी । लेकिन उस घर में किसी को भी पढ़ना - लिखना नहीं आता था ।
अनपढ़ घर जमाई की कहानी,अनपढ़ पति की कहानी
घर के सदस्यों ने वह चिट्ठी घर जमाई को दी । परन्तु कोई यह नहीं जानता था कि जमाई बाबू भी अनपढ़ थे । सब यही सोचते थे कि जमाई बाबू बहुत पढ़े - लिखे व्यक्ति हैं । चिट्ठी हाथ में पकड़े जमाई बाबू बहुत देर तक उसी को देखते रहे । न जाने उन्होंने क्या सोचा , उनकी आँखों से झर - झर आँसू बहने लगे । सभी डर गए कि कोई बुरी खबर ही होगी ।
उनके ससुर जी बोले- “ दामाद जी , खबर चाहे कुछ भी हो , सीने को पत्थर बना कर कह डालिए । " लेकिन यह कहकर वह खुद रो पड़े । उनका रोना था कि घर की सभी महिलाएँ रोने लगीं । इतना शोर सुनकर पड़ोसी आ गए । बेचारे वे भी अनपढ़ थे । सबको रोते देख , वे भी रोने लगे ।
सबने तो जैसे आसमान ही सिर पर उठा लिया था । घरजमाई को बहुत शर्म महसूस होने लगी । प्रार्थना की- " हे भगवान ! इस चिट्ठी में इतने सारे अक्षर हैं । काश , इनमें से एक अक्षर को तो मैं पहचान लूँ । " बचपन में वह सिर्फ एक बार स्कूल गए थे । उस दिन मास्टर जी बच्चों को अक्षर सिखा रहे थे । उन सभी अक्षरों से जमाई बाबू को केवल एक ही अक्षर याद था - ' म ' अब चिट्ठी में वह उसी को ढूँढ़ रहे थे । मिल गया ! यह रहा ' म ' ।
लेकिन मास्टर जी ने तो इसे बड़ा लिखा था । यहाँ पर तो ' म ' छोटा लिखा है । कोई बात नहीं , वह बोले " बड़ी मां ( ' म ' ) नहीं है । " यह सुनना था कि सब जोर - जोर से रोने चिल्लाने लगे- " बड़ी माँ , हमें छोड़कर क्यों चली गई तुम ? "
इसलिए कहते हैं कि खूब पढ़ो खूब बढ़ो कोई अनपढ़ ना रह जाए शुरुआत में तो नहीं पता चलता है लेकिन तो जब वक्त गुजर जाता है तो रोए आंसू में गिरते हैं जैसे की समुंदर में सूखा हो गया इसलिए पढ़ाई जीवन का एक हम हिस्सा है जिसे कोई भी गवा देता है तो बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलता
समय निकल जाना के बाद दोबारा वह वक्त घूम कर कभी भी नहीं आता इस नाते आज से ही चेते इस बात को हमेशा ध्यान में रखने की जरूरत होती है दोस्तों शायद आप भी इस भूल का शिकार ना हो जाए और ना अपने बच्चो को होने दे क्योंकि वह समय ना दोबारा आने वाला और ना वह बचपन जीवन में कभी आने वाला जीवन के इस भवर में कभी अफसोस ना करना पड़े
इसलिए जितना पढ़ाई कर लो उतना ही कम पड़ता है खूब पढ़ें ज्यादा आगे पढ़ें दमाद की कहानी को देखकर आपको खुद एहसास हो गया होगा कि भविष्य में कभी रोना ना पड़े किसी के सामने शर्मिंदा ना होना पड़े इसलिए आप जरूर पढ़ें अपने बच्चों को खूब बढ़ाएं