उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBG37t7zaQQ2Btg3XMfRqmekoHQ64thorOnY0wAKCsntRjhAzq3WPh62peEVzEMuWnnfk9R1BjVYvE5Az7qxJmNUGAwHJNJLSOHwZlt2848ACmbCjAZKlNdtZ9iyDOVR9WuZwkfAM8a9lGGWnyjq6Pcb4TnUVrAHgS52Ku7QlFlBLa2MNvohRRCVXVSCg/w320-h213/Screenshot_2023-12-16-13-39-14-23-min.jpg)
दोस्तों आज हम इस लेख के जरिए जानेंगे कि ( बस्ती का पुराना नाम क्या है?)" आखिर "बस्ती क्यों प्रसिद्ध है, नीचे लिखे गए है "बस्ती में क्या मशहूर है , और भी बहुत सारी जानकारियां " बस्ती के बारे में सब कुछ बताया गया है आइए जानते हैं
बस्ती भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक शहर है। यह गणेश चतुर्थी और विजयादशमी जैसे हिन्दू त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। बस्ती क्षेत्र में कृषि और व्यापार मुख्य आर्थिक गतिविधियाँ हैं। इसके अलावा, शहर का सांस्कृतिक विरासत भी महत्वपूर्ण है और यहाँ पर कई मंदिर और धार्मिक स्थल हैं।
कृपया अधिक विशिष्ट जानकारी के लिए आप बस्ती के इतिहास, संस्कृति, और वर्तमान स्थिति के बारे में अपने विश्वस्त स्थानीय स्रोतों से प्राप्त कर सकते हैं।
प्राचीन काल में बस्ती को मूल रूप से 'वैशिष्ठी' के नाम से जाना जाता था। वैशिष्ठी नाम वशिष्ठ ऋषि के नाम से लिया गया है, जिनका ऋषि आश्रम यहीं था। वर्तमान जिला बहुत पहले निर्जन और जंगल से आच्छादित था लेकिन धीरे-धीरे यह क्षेत्र रहने योग्य हो गया। वर्तमान नाम बस्ती को राजा कल्हण ने चुना था, एक घटना जो शायद 16वीं शताब्दी में हुई थी।
प्राचीन काल में, भगवान राम के गुरु वशिष्ठ ऋषि के नाम पर बस्ती को वशिष्ठ के नाम से जाना जाता था, कहा जाता है कि उनका यहां एक आश्रम था। अंग्रेजों के जमाने में जब इस जिले का गठन हुआ था तो यह वीरान, जंगलों और झाड़ियों से घिरा हुआ था। लोगों के प्रयास से यह धीरे-धीरे रहने योग्य हो गया। वर्तमान नाम को राजाकल्हण ने चुना था।
बस्ती ज़िला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। जिला मुख्यालय बस्ती है।
बस्ती में क्या मशहूर है-Basti Mein mashhur Kya Hai
मखौदा धाम बस्ती जिले में हरैया तहसील के सबसे प्राचीन स्थानों में से एक है जहां राजा दशरथ ने महर्षि को भेजा था... श्रृंगीनारी, यह कर्मिया से 5 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर स्थित एक बहुत पुराना मंदिर और प्रत्येक मंगलवार... छावनी उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में अमोधा के पास एक ऐतिहासिक स्थान है।
कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। यहाँ धार्मिक मंदिर रामरेखा मंदिर भी इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान के पास है, अमोरा भारत के उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में राजा जालिम सिंह के राज्य अमोर (जिसे अमोधा के नाम से भी जाना जाता है) का स्थान भी है।
बस्ती में कितनी नगर पंचायत है(Basti Mein Kitne Nagar Panchayat Hain)
बस्ती जिला, बस्ती संभाग का एक हिस्सा, चार तहसीलों से बना है: बस्ती सदर, हरैया, भानपुर और रुधौली और 14 विकास खंड, 139 न्याय पंचायत, अमोरा और नगर नाम के दो परगना और साथ ही 10 ग्राम सभा।
यह 16वीं सदी की बात है। 1801 में यह तहसील मुख्यालय बना और 6 मई 1865 को यह गोरखपुर से अलग होकर नया जिला मुख्यालय बना। अयोध्या से सटा यह जिला प्राचीन काल में कोसल देश का हिस्सा था।
आपको बता दें कि अमरोहा शहर का स्वतंत्रता संग्राम से पुराना नाता है। इधर राजा जालिम सिंह ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए थे। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लेकर उन्हें चना चबाने के लिए मजबूर किया और अंतिम सांस तक युद्ध जारी रखा।
बस्ती तहसील में लगभग 1038 गाँव हैं, जिन्हें आप बस्ती तहसील गाँवों की सूची (ग्राम पंचायत सूचना के साथ) के नीचे से देख सकते हैं।
बस्ती जिले के ग्रामीण भाग को 1247 ग्राम पंचायतों/ग्राम सभाओं में विभाजित किया गया है।
बस्ती तहसील मुख्यालय कब बना(Basti Tahsil Mukhyalay kab banaa)
बस्ती जिले की स्थापना: 1801 में बस्ती तहसील मुख्यालय बनाया गया और फिर 6 मई 1865 (जिला मुख्यालय) बस्ती जिले की स्थापना की गई।
यह जिला 14 विकास खण्डों में विभाजित है- परशुरामपुर, विक्रमजोत, दुबुलिया, हरैया, गौर, कप्तानगंज, बस्ती, बहादुरपुर, कुदरहा, बनकटी, सौ घाट, साल्टुआ गोपालगंज, रुधौली और रामनगर।
बस्ती में कितने राज्य हैं(Basti Mein Kitne Rajya Hain)
इन जिले को पुरे 4 तहसीलों में बिभाजित किया गया है:
हरैया, बस्ती, भानपुर और रुधौली।
2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या
2011 में बस्ती की कुल जनसंख्या 2,464,464 पुरुष जनसंख्या 1,255,272 महिला जनसंख्या 1,209,192 क्षेत्र (प्रति वर्ग किमी) 2,688 घनत्व (प्रति वर्ग किमी) 917 है
जिले के मध्य और दक्षिणी भाग में कुवां और घाघरा नदियाँ प्रमुख नदियाँ हैं, इसके अलावा इस क्षेत्र में कई नदियाँ, धाराएँ और तालाब हैं। जिले की पूरी भूमि गंगा और सहायक नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बनी है। यह आम तौर पर मैदानी और उपजाऊ भूमि है जो घाघरा नदी के उत्तर में स्थित है।
वर्तमान नाम 'बस्ती' राजा कल्हण द्वारा चुना गया था, एक घटना जो शायद 16 वीं शताब्दी में हुई थी। 1801 में बस्ती तहसील का मुख्यालय बना और 1865 में इसे नव स्थापित जिले के मुख्यालय के रूप में चुना गया।
बस्ती जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव जिला प्रशासन की ओर से राजस्व परिषद को भेजा गया है। बस्ती: नहीं, बस्ती, अब वशिष्ठनगर करने का प्रयास जारी है
बस्ती: क्या आप जानते हैं कि आपका बस्ती जिला 151 साल का हो गया है. यह बात सरकारी प्रशासन को कभी याद नहीं रही। आने वाली पीढ़ियों को जिले के इतिहास से अवगत कराने के लिए बुद्धिजीवियों ने पहल की है। मनवर, महराजगंज और चंगेरवा त्योहार यहां मनाए जाते हैं लेकिन बस्ती त्योहार कभी नहीं मनाया जाता है।
प्राचीन काल में, भगवान राम के गुरु, गुरु वशिष्ठ ऋषि के नाम पर बस्ती को वशिष्ठ के नाम से जाना जाता था, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनका यहां एक आश्रम था। अंग्रेजों के जमाने में जब इस जिले का गठन हुआ था तो यह वीरान, जंगलों और झाड़ियों से घिरा हुआ था। लोगों के प्रयास से यह धीरे-धीरे रहने योग्य हो गया। वर्तमान नाम को राजकल्हन ने चुना था। यह 16वीं सदी की बात है। 1801 में यह तहसील मुख्यालय बना और 6 मई 1865 को इसे गोरखपुर से अलग कर नया जिला मुख्यालय बनाया गया।
Radha Ashtami 2022: राधा अष्टमी कब है? जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व,कथा
Tula Sankranti 2022: जानें तुला संक्रांति की कथा और पूजा विधि
अयोध्या से सटा यह जिला प्राचीन काल में कोसल देश का हिस्सा था। रामचंद्र राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे, जिनकी महिमा पूरे देश में फैली हुई थी, जिन्हें एक आदर्श वैध राज्य, ब्रह्मांडीय राम राज्य की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। परंपरा के अनुसार, राम के बड़े पुत्र कुश कौशल के सिंहासन पर बैठे, जबकि छोटे लव को राज्य के उत्तरी भाग का शासक बनाया गया, जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी। बृहदवाला इक्ष्वाकु से 93वीं पीढ़ी और राम से 30वीं पीढ़ी में थे। वह इक्ष्वाकु शासन के अंतिम प्रसिद्ध राजा थे, जो महाभारत युद्ध में चक्रव्यूह में मारे गए थे। भगवान बुद्ध के समय में भी यह क्षेत्र शेष भारत से अछूता रहा। यह क्षेत्र कोसल के राजा चंद प्रद्योत के समय कोसल के अधीन रहा। गुप्त काल के अंत में, यह क्षेत्र कन्नौज के मौखरी वंश के अधीन आ गया। 9वीं शताब्दी में, यह क्षेत्र फिर से गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट के नियंत्रण में आ गया। 1225 में इल्तुतमिश का सबसे बड़ा पुत्र नासिर उद दीन महमूद अवध का गवर्नर बना और इसने भर लोगों के सभी प्रतिरोधों को पूरी तरह से कुचल दिया। 1479 में बस्ती और आसपास का जिला जौनपुर राज्य के शासक ख्वाजा जहान के उत्तराधिकारियों के नियंत्रण में था। बहलुल खान लोधी ने इस क्षेत्र का शासन अपने भतीजे कला पहाड़ को सौंप दिया। उस समय प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक महात्मा कबीर इसी जिले के मगहर में रहते थे।
अकबर और उसके उत्तराधिकारी के शासनकाल के दौरान, बस्ती अवध उप-गोरखपुर सरकार का हिस्सा बना रहा। 1680 में, मुगल काल के दौरान, औरंगजेब ने एक दूत, काजी खलील-उर-रहमान, गोरखपुर भेजा। उन्होंने ही गोरखपुर से सटे सरदारों को राजस्व चुकाने के लिए मजबूर किया था। अमोरहा और नगर के राजा को राजस्व का भुगतान करने के लिए सहमत हुए, जिन्होंने हाल ही में सत्ता हासिल की थी। रहमान मगहर गए, जहां उन्होंने एक चौकी का निर्माण किया और राप्ती के तट पर बंसी राजा के किले पर कब्जा कर लिया। नव निर्मित जिले संत कबीरनगर के मुख्यालय खलीलाबाद शहर को इसका नाम खलील-उर-रहमान से मिला, जिसका मकबरा मगहर में मौजूद है। उसी समय गोरखपुर से अयोध्या रोड का निर्माण किया गया था।
एक महान और दूरगामी परिवर्तन तब आया, जब 9 सितंबर 1772 को सआदत खान को अवध प्रांत का गवर्नर नियुक्त किया गया, जिसमें गोरखपुर की फौजदारी भी थी। उस समय बंसी और रसूलपुर पर सरनेट राजा का शासन था, बिनायकपुर पर बुटवल के चौहान का शासन था, बस्ती पर कल्हण शासक का शासन था, अमोदा पर सूर्यवंश का शासन था, गौतम शहर पर था, माहुली पर सूर्यवंश का शासन था। केवल मगहर पर नवाब का शासन था। मुस्लिम शासन काल में यह क्षेत्र कभी जौनपुर के नवाबों के हाथ में था तो कभी अवध के। जब अंग्रेजों ने यह क्षेत्र मुसलमानों से प्राप्त किया तो गोरखपुर को उनका मुख्यालय बना दिया गया। 1865 में, अंग्रेजों ने सुचारू शासन और राजस्व संग्रह के लिए इस क्षेत्र को गोरखपुर से अलग कर दिया। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास आज भी छावनी के अमोरहा में बिखरा हुआ है, जहाँ राजा जालिम सिंह और रानी ताला कुँवारी की वीर गाथा गर्व से सुनी और सुनाई जाती है। यह क्षेत्र महात्मा गांधी के आंदोलन के कारण लगायत देश की आजादी तक हमेशा सक्रिय रहा।
प्रमुख स्थान: अमोड़ा, छावनी बाजार, संतरविददास वन विहार, भादेश्वरनाथ मंदिर, मखोड़ा, श्रृंगीनारी, गणेशपुर, धीरोली बाबू, केवारी मुस्तकम, चांदो ताल, बरह, अगौना, बहिल नाथ
परिवहन: बस्ती देश और राज्य के प्रमुख शहरों से रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां से हावड़ा, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, जम्मू के साथ-साथ कई राज्यों के लिए ट्रेनें चलती हैं। इसके अलावा लखनऊ, दिल्ली और मुंबई के साथ ही राज्य के अन्य शहरों के लिए रोजाना बसें चलती हैं।
भौगोलिक संरचना: जिले का आकार एक आयत के समान है। उत्तर में आमी का प्रवाह है, दक्षिण में घाघरा नदी का प्रवाह है। जल संचयन के लिए कई नदियाँ और तालाब हैं।
,
इतिहास की नजर में
बस्ती 1801 में बना तहसील मुख्यालय
6 मई 1865 को गोरखपुर जिला मुख्यालय बना।
1988 में सिद्धार्थनगर जिले को उत्तरी भाग से काटकर बनाया गया था।
1997 में, संत कबीरनगर जिले को पूर्वी भाग से काटकर बनाया गया था।
जुलाई 1997 में बस्ती संभागीय मुख्यालय बना
बस्ती के प्रसिद्ध स्थलों:बस्ती भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक जिला है। इसके अलावा बस्ती शहर भी इस जिले में स्थित है। बस्ती कई ऐतिहासिक और प्राचीन स्थलों के लिए मशहूर है, जैसे कि:
श्रावस्ती: यह बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, जहां भगवान बुद्ध ने अपने आखिरी छ: महीनों का समय व्यतीत किया था।
नागरहा: यह अखिल भारतीय विद्यालय और संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए मशहूर है।
महुआ: यहां रामलीला का अभिनय भी बहुत लोकप्रिय है।
धामखरा: यह एक शांतिपूर्ण और सुंदर गांव है, जिसे पर्यटक आकर अपने शहरी जीवन से दूरी ले सकते हैं।
इनके अलावा बस्ती के शहर में भी कई मंदिर, मस्जिद और आकर्षक स्थल हैं जो पर्यटकों को खींचते हैं।
बस्ती जिले में है:बस्ती उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जिले में स्थित है।
बस्ती जिला उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है और इसे कई रूपों में प्रसिद्ध होने के लिए जाना जाता है। कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
ऐतिहासिक महत्व: बस्ती जिला प्राचीन ऐतिहासिक केंद्रों में से एक है और इसे रामायण काल से जुड़ा माना जाता है। भगवान राम के भूमिकाग्रहण से जुड़ी कई घटनाओं का स्मरण इस स्थान पर अभी भी मौजूद है।
प्राकृतिक सुंदरता: बस्ती जिला प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। कई प्राकृतिक आश्चर्य जैसे कि दुधवा झरना, नगरकोट की गुफाएं, वर्षा वन, सरस्वती झील और अन्य प्राकृतिक स्थल इस जिले में हैं।
विविधता: बस्ती जिला विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों के लिए एक आकर्षण केंद्र है। यहां कई धर्मों के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च हैं।
स्थानीय खाद्य: बस्ती जिले में कई स्थानीय व्यंजन हैं जो लोकप्रिय हैं, जैसे कि बाल मिठाई, तहरी, समोसे, लिट्टी-चोखा खूब प्रसिद्ध हैं.
बस्ती जिले में सबसे बड़ी तहसील बस्ती तहसील है। यह जिले के मध्य में स्थित है और इसमें कई बड़े शहरों को शामिल किया गया है, जैसे कि बस्ती नगर, हरैया, महराजगंज, और कुछ अन्य छोटे शहर और गांव हैं। इस तहसील का कुल क्षेत्रफल 1682.17 वर्ग किलोमीटर है।
बस्ती जिले में कई गांव हैं। जैसा कि आपने पूछा है कि बस्ती जिले में कितने गांव हैं, उसका उत्तर मुश्किल है क्योंकि इसका अंतिम संख्या निर्धारित नहीं है। लेकिन बस्ती जिले में करीब 1300 से अधिक गांव होने की अनुमानित राशि है।
खतौनी एक विवरण होता है जो जमीन के मालिकाना हक़ प्रमाणित करता है। खतौनी दस्तावेज़ जमीन के स्वामित्व को प्रमाणित करता है जो किसी भूमि के मालिक द्वारा जमा किया जाता है।
खतौनी बस्ती जिला में कैसे निकाला जाता है, उसके लिए निम्नलिखित कदम अनुसरण करें:
सबसे पहले, आपको अपनी जमीन के लिए खतौनी प्राप्त करने के लिए जमाबंदी रजिस्ट्रार के पास जाना होगा।
जब आप वहां पहुंचेंगे, तो आपको अपनी जमीन के विवरण जैसे कि क्षेत्रफल, जमीन का पता, मालिक का नाम, आदि प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी।
उन्हें आपकी जमीन के स्वामित्व को सत्यापित करने के लिए जांच करनी होगी।
जब जांच पूरी हो जाती है, तो आपको खतौनी प्राप्त करने के लिए एक आवेदन भरना होगा।
अपने आवेदन के साथ आपको कुछ आवश्यक दस्तावेज भी जमा करने होंगे।
इसके बाद, आपको एक शुल्क भी देना हो सकता है।
जब आपका आवेदन स्वीकृत हो जाता है,