उत्तर प्रदेश का सामान्य परिचय
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विवाह पंचमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे सोरठ मेला, बासोदा, तुलसी विवाह, मुखटा दर्शन आदि।
इस त्योहार का महत्व हमारे पौराणिक ग्रंथों से जुड़ा हुआ है। विवाह पंचमी के दिन, भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था। इस दिन को सीता के विवाह का दिन माना जाता है और इसी के उपलक्ष्य में यह त्योहार मनाया जाता है।
इस त्योहार के अलावा, विवाह पंचमी के दिन भगवान शिव और पार्वती की भी शादी हुई थी जो कि हिंदू धर्म में एक और महत्वपूर्ण विवाह है।
विवाह पंचमी के दिन लोग शादी का विवाह करने के लिए बधाई देते हैं और इस दिन को भगवान राम, सीता, शिव और पार्वती की शुभ यादों में बिताते हैं।
विवाह पंचमी एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्योहार शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है और इस दिन पति-पत्नी के बीच प्रेम और सम्मान को बढ़ावा दिया जाता है। यह दिन विवाह के समय विवाहितों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है।
इस दिन कुछ उपाय और विधियों को अपनाकर आप विवाह पंचमी को और अधिक शुभ बना सकते हैं। कुछ उपाय हैं:
पति-पत्नी के बीच प्रेम और सम्मान का बढ़ावा देने के लिए उन्हें गिफ्ट दें। इससे आप दोनों के बीच बॉन्डिंग और मजबूत होगी।
वैवाहिक सुख और समृद्धि के लिए स्त्री और पुरुष दोनों को पंचमेवा चढ़ाएं।
शादीशुदा लोगों को शुभकामनाएं दें।
विवाह पंचमी के दिन दान और दान करें।
भगवान विष्णु की पूजा करें और उनसे आशीर्वाद लें।
शादीशुदा जोड़ों के लिए पंचमृत बनाएं और दोनों नए पति-पत्नी के लिए यह प्रसाद ग्रहण कराये
विवाह पंचमी एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है जो भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है और हर साल फरवरी या मार्च के महीने में मनाया जाता है।
विवाह पंचमी को शादी करने के लिए एक शुभ मुहूर्त माना जाता है। हालांकि, शादी करने के लिए समय और दिन के साथ-साथ अन्य कई फैक्टर भी महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे कि जन्म कुंडली, ग्रहों की स्थिति, पंचांग आदि।
इसलिए, अगर आप विवाह पंचमी पर शादी करना चाहते हैं, तो आपको एक अच्छे ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेना चाहिए। वे आपको शुभ मुहूर्त और समय के बारे में सलाह दे सकते हैं, जो शादी के लिए सबसे उपयुक्त हो सकता है।
विवाह पंचमी 2023 में 23 फरवरी को है।
विवाह पंचमी 2024 में 16 फरवरी को होगी।
विवाह पंचमी 2025 में 5 फरवरी को होगी।
vivah panchami 2023: विवाह पंचमी 2023 में 23 फरवरी को है। को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा में राम-जानकी के विवाह की कथा का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। आइए जानते हैं राम जानकी की शादी की कहानी...
vivah panchami : मार्गशीर्ष या अघन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री राम और माता जानकी का विवाह हुआ था। इस वर्ष ram vivah का पर्व 08 दिसंबर को मनाया जाएगा। हिंदुओं में इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। इस भगवान श्री राम और माता जानकी का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही इस दिन पूजा में राम-जानकी के विवाह की कथा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। आइए जानते हैं राम जानकी की शादी की कहानी...
रामायण के अनुसार भगवान राम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ से हुआ था। माता सीता का जन्म मिथिला के राजा जनक से हुआ था। इसलिए उन्हें जानकी भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता की मुलाकात राजा जनक से खेत में हल जोतते समय हुई थी। एक बार सीता जी ने एक खेल में भगवान शिव का धनुष उठा लिया था। जिसे परशुराम ने राजा जनक को दिया था। यह देखकर राजा जनक चौंक गए क्योंकि केवल परशुराम जी में ही इस धनुष को उठाने की क्षमता थी। माता सीता के इन गुणों को देखकर राजा जनक ने उनके स्वयंवर की शर्त रखी कि जो कोई भी शंकर जी का धनुष उठाकर उन्हें अर्पित करेगा, सीता जी का विवाह उन्हीं से होगा।
राजा जनक की यह स्थिति सुनकर विश्वामित्र भगवान श्री राम और लक्ष्मण को साथ लेकर सीता स्वयंवर पहुंचे। अन्य सभी राजकुमार और राजा जो स्वयंवर में पहुंचे थे, वे शिव के धनुष को उठाने में असमर्थ थे। राजा जनक निराश होने लगे कि 'क्या मेरी पुत्री के योग्य कोई नहीं है?
फिर आया भगवान श्री राम का अवसर। राम जी ने एक ही बार में धनुष उठा लिया। यह देख सभी दंग रह गए। लेकिन जब गुरु के कहने पर भगवान श्री राम ने धनुष की डोरियां चढ़ानी शुरू कर दीं। रस्सी चढ़ाने के प्रयास में शिव का धनुष टूट गया। इससे क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने स्वयं श्रीराम से प्रायश्चित करने को कहा। लेकिन श्रीराम में भगवान विष्णु का रूप देखकर उन्होंने सीता से विवाह का आशीर्वाद दिया। सभी के आशीर्वाद से श्री राम और माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ। राम-सीता की जोड़ी हिंदू धर्म और भारतीय समाज में आदर्श मानी जाती है। विवाह पंचमी के दिन इस कथा का पाठ करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
Happy Vivah Panchami 2022: भगवान श्री राम और माता जानकी के विवाह का पर्व विवाह पंचमी मनाया जा रहा है. मार्गशीर्ष या अघन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इस पर्व को मनाने का विधान है। मान्यता है कि इसी दिन मिथिला के राजा जनक के दरबार में भगवान श्री राम ने सीता के स्वयंवर की शर्त पूरी की थी। माता सीता ने भगवान श्रीराम को पति के रूप में चुना। इस दिन भगवान श्री राम और माता सीता का व्रत और पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही आज सीता-राम का विवाह भी आयोजित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन सुखमय और आदर्श बनता है। इस दिन जो अविवाहित लड़कियां व्रत, पूजा और सीता राम विवाह की कथा का पाठ करती हैं, उन्हें मनचाहा वर मिलता है। . ऐसा करने से भगवान श्री राम और माता सीता की कृपा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है।
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